एक रोज सचिन ने अपनी चाहतों से ममता के जिस्म को पिघलाना चाहा, लेकिन ममता ने काबू बनाए रखा और सचिन को समझाते हुए बोली, ‘‘सचिन, यह सब अभी नहीं, यह सब शादी के बाद ही हो तभी अच्छा लगता है. अगर तुम चाहते हो कि हम जल्दी से एक हो जाएं तो अपने घरवालों से कह कर मेरे घरवालों से शादी की बात कर लो.’’
‘‘ममता, मैं शादी से कहां मना कर रहा हूं. जब हम प्यार करते हैं और हमारे दिल एक हो चुके हैं तो हमारे शरीर भी एक हो जाने चाहिए. जिस से हमारे बीच किसी प्रकार की दूरी न रहे.’’ सचिन ने समझाया.
‘‘लेकिन शादी से पहले यह पाप है, जोकि मेरे लिए कलंक का टीका बन सकता है. इसलिए मैं ऐसा कोई कदम नहीं उठाऊंगी जिस से मेरे व मेरे घर वालों की इज्जत पर आंच आए.’’ ममता ने साफ कह दिया.
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‘‘इस का मतलब यह हुआ कि तुम्हें मेरे ऊपर बिलकुल भी विश्वास नहीं है.’’
‘‘अगर विश्वास न होता तो तुम्हारे प्यार में इतना आगे तक नहीं बढ़ती. लेकिन तुम जिस चाहत को पूरा करने की बात कह रहे हो, वह शादी से पहले मुमकिन नहीं है.’’
सचिन को क्रोध तो बहुत आया लेकिन उस ने ममता पर जाहिर नहीं होने दिया. फिर दोनों के बीच इधरउधर की बातें होती रहीं. उस के बाद दोनों विदा हो कर अपने घर चले गए.
असल में सचिन ममता से प्यार नहीं करता था, बल्कि वह उस की देह का पुजारी था और ममता की देह को अपनी बांहों में भर कर मसोसना चाहता था. जबकि ममता उस से सच्चा प्यार करती थी.
सचिन ने बारबार कोई न कोई बहाने से ममता को फुसलाना चाहा लेकिन वह सफल नहीं हो पाया. लेकिन सचिन भी जिद्दी था. उस ने ममता को एक दिन अपनी बातों के जाल में फांस ही लिया और वह सब कर गुजरा जो वह करना चाहता था.
उसे ममता के जिस्म का चस्का लगा तो वह बारबार उसे पाने के लिए बेचैन रहने लगा. ममता एक बार उस के लिए अपने जिस्म के द्वार खोल चुकी थी, इसलिए उस ने बारबार खोलने से इनकार नहीं किया. उसे भी इस में आनंद आने लगा था.
9 जनवरी, 2020 की शाम को सचिन अपने घर पर था. लगभग सवा 7 बजे किसी का फोन आया तो वह बाइक उठा कर जाने लगा. पिता रजनीकांत ने पूछा तो सचिन ने कहा कि वह काम से सुरसा जा रहा है. इतना कह कर सचिन अपनी बाइक स्टार्ट कर के चला गया. जब वह देर रात तक नहीं लौटा तो रजनीकांत को चिंता हुई. उन्होंने सचिन का मोबाइल नंबर मिलाया तो वह बंद था.
10 जनवरी की सुबह 6 बजे इच्छनापुर गांव की सीमा से सटे गांव ओदरा के बाहर सड़क किनारे खाई में एक युवक का शव औंधे मुंह पड़ा मिला. किसी ने 112 नंबर पर काल कर के लाश पड़ी होने की सूचना दे दी.
घटनास्थल सुरसा थाना क्षेत्र में आता था, इसलिए कंट्रोल रूम से इस की सूचना सुरसा थाने को दे दी गई. सूचना पा कर सुरसा थाने के इंसपेक्टर राजकरन शर्मा पुलिस टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए. मृत युवक की उम्र 21 से 25 साल के बीच रही होगी. युवक के गले व शरीर पर अनगिनत घाव के निशान थे, जो कि किसी तेज धारदार हथियार से किए गए थे.
कुछ ही दूरी पर एक टीवीएस स्पोर्ट्स बाइक नंबर यूपी30ए पी5804 भी लावारिस हालत में खड़ी मिली. संभवत: वह मृतक की ही होगी. बाइक से बैटरी, बाइक के कागज आरसी और अन्य पेपर गायब थे.
इसी बीच सूचना पा कर एसपी अमित कुमार गुप्ता और सीओ (सिटी) विजय राणा भी आ गए. दोनों अधिकारियों ने लाश व घटनास्थल का मुआयना किया, फिर आवश्यक दिशानिर्देश दे कर वहां से चले गए. मृतक की शिनाख्त न होने पर इंसपेक्टर राजकरन शर्मा ने फोटो खिंचवा कर लाश पोस्टमार्टम के लिए मोर्चरी भेज दी.
बाइक के नंबर के जरिए मृतक की शिनाख्त की कोशिश की गई तो सफलता मिल गई. लाश सचिन पांडेय की थी. उस की लाश मिलने की सूचना सचिन के घर भेज दी गई. सचिन के घर आने की बाट जोह रहे पिता रजनीकांत को उस की लाश मिलने की सूचना मिली तो उन्हें गहरा धक्का लगा. किसी तरह उन्होंने अपने आप को संभाला और फिर थाने पहुंच गए.
इंसपेक्टर राजकरन शर्मा ने उन को लाश का फोटो दिखाया तो उन्होंने उस की शिनाख्त सचिन के रूप में कर दी. शिनाख्त के बाद इंसपेक्टर शर्मा ने उन से पूछताछ की तो उन्होंने बताया कि सचिन का किसी युवती से प्रेम प्रसंग था. वह मोबाइल पर उसी युवती से बात करता रहता था. 9 जनवरी की शाम को सवा 7 बजे किसी के फोन करने के बाद ही वह घर से निकल गया था.
इस के बाद रजनीकांत की लिखित तहरीर के आधार पर इंसपेक्टर राजकरन शर्मा ने अज्ञात के विरुद्ध भादंवि की धारा 302 के तहत मुकदमा दर्ज करा दिया.
सर्वप्रथम इंसपेक्टर शर्मा ने सचिन के मोबाइल नंबर की काल डिटेल्स निकलवाई तो जिस नंबर से आखिरी काल की गई थी, उस के बारे में पता किया गया. वह नंबर सुरसा कस्बे में शराब ठेके के पीछे रहने वाले हीरालाल का निकला. लेकिन उस नंबर की लोकेशन जो हमेशा रहती थी, वह सथरी गांव की थी.
इंसपेक्टर शर्मा ने 13 जनवरी को हीरालाल को सथरी गांव के पास से हिरासत में ले कर कड़ाई से पूछताछ की तो उस ने अपनी प्रेमिका सोनिका और दोस्त पंकज निवासी गांव चमरौधा थाना सुरसा के साथ मिल कर सचिन की हत्या करने का जुर्म स्वीकार कर लिया. उस ने सचिन की हत्या के पीछे की पूरी कहानी सुना दी.
सचिन ममता के घर आताजाता था. इसी आनेजाने के दौरान देह के लोभी सचिन की नजरें ममता की छोटी बहन सोनिका की देह पर भी टिकने लगीं. सोनिका का कच्ची उम्र का यौवन सचिन को अपनी ओर खींचने लगा था.
अब सचिन की आंखों में ममता के बजाए सोनिका की देह रचीबसी रहती थी, इसलिए ममता को वह कन्नौज उस की मां के पास छोड़ आया. ममता के न होने से घर पर सोनिका ही अकेली रह जाती थी. उस घर में अकेला पा कर एक दिन सचिन ने उसे दबोच लिया.
सचिन की इस हरकत से सोनिका भौचक्की रह गई. वह जानती थी कि सचिन उस की बड़ी बहन का प्रेमी है, इसलिए ऐसी हरकत के बारे में वह सपने में भी नहीं सोच सकती थी, जैसी सचिन ने की थी.
उस ने सचिन को धमकाया कि वह वहां से चला जाए नहीं तो वह शोर मचा देगी. सोनिका के चिल्लाने की आवाज से आसपास के लोग आ सकते थे, इसलिए सचिन ने उस समय वहां से जाने में ही भलाई समझी. लेकिन वह उस दिन के बाद से सोनिका पर बारबार नाजायज संबंध बनाने के लिए दबाव बनाने लगा.
जुलाई, 2019 में सचिन लखनऊ गया तो वाहन चैकिंग के दौरान उस ने अपने 2 साथियों के साथ भागते समय पुलिस पर गोली चला दी, जिस पर इंटौजा थाने में मुकदमा दर्ज हुआ और इंटौजा पुलिस ने सचिन को उस के एक साथी के साथ गिरफ्तार कर के जेल भेज दिया. दिसंबर में वह जेल से छूटा और हरदोई में अपने गांव आ गया.
जेल से छूट कर आने के बाद वह फिर से सोनिका पर दबाव बनाने लगा. जब सोनिका ने देखा कि सचिन उस का पीछा नहीं छोड़ रहा है तो उस ने यह बात अपने प्रेमी हीरालाल को बताई. 20 वर्षीय हीरालाल सुरसा कस्बे में शराब के ठेके के पीछे रहता था. वह 3 भाइयों में सब से छोटा था और अविवाहित था. उस के दोनों बड़े भाइयों अनिल और छोटू का विवाह हो चुका था.
हीरालाल ने सोनिका को एक मोबाइल और अपनी आईडी पर एक सिमकार्ड खरीद कर दिया था. सोनिका उसी फोन से हीरालाल से बातें करती थी.
उस ने जब बताया कि सचिन उस पर नाजायज संबंध बनाने का दबाव बना रहा है और समझाने से भी नहीं मान रहा तो हीरालाल ने उस को सबक सिखाने के लिए उस की हत्या करने का निर्णय कर लिया.
सोनिका से उस ने बताया तो वह उस का साथ देने को तैयार हो गई. सचिन की हत्या में साथ देने के लिए हीरालाल ने अपने हमउम्र दोस्त पंकज से बात की तो दोस्ती की खातिर वह हीरालाल का साथ देने के लिए तैयार हो गया. तीनों ने मिल कर सचिन की हत्या की योजना बनाई.
योजनानुसार, 9 जनवरी को शाम सवा 7 बजे सोनिका ने अपने मोबाइल से सचिन को फोन कर के मिलने के लिए बुलाया. उस के बुलावे पर सचिन तुरंत बाइक उठा कर घर से चल दिया. गांव के बाहर निकलते ही उसे हीरालाल और पंकज मिल गए. हीरालाल ने सचिन से उन दोनों को सुरसा छोड़ देने को कहा तो सचिन तैयार हो गया. सचिन बाइक पर दोनों को बैठा कर चल दिया.
सुनसान जगह पा कर हीरालाल ने ओदरा गांव के पास बाइक रुकवा ली. हीरालाल ने उतरते ही साथ लाए चाकू से सचिन पर ताबड़तोड़ कई वार कर दिए. सचिन ने हाथपैर चलाने की कोशिश की तो पंकज ने उसे दबोच लिया. हीरालाल ने सचिन का गला चाकू से रेत दिया, जिस से सचिन की मौत हो गई.
दोनों ने उस की लाश सड़क किनारे खाई में डाल दी और उस की बाइक को एक पेड़ के पीछे खड़ा कर दिया. बाइक की बैटरी, हेलमेट, बाइक की आरसी और सचिन का पर्स पैंट से निकाल कर अपने साथ ले गए. एक जगह उन्होंने आरसी टुकड़ेटुकड़े कर के फेंक दी.
इंसपेक्टर राजकरन शर्मा ने अभियुक्तों से पूछताछ के बाद उन की निशानदेही पर हत्या में प्रयुक्त चाकू, बाइक की बैटरी, हेलमेट, आरसी के टुकडे़ व सचिन का पर्स बरामद कर लिया. इस के साथ ही मुकदमे में धारा 120बी और बढ़ा दी गई.
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आवश्यक कानूनी लिखापढ़ी कर के पुलिस ने सोनिका, हीरालाल और पंकज को सीजेएम की अदालत में पेश करने के बाद न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेज दिया.
– कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित. कथा में ममता और सोनिका नाम परिवर्तित हैं.