28 जून, 2017 की बात है. एक महिला मुरादाबाद के एसएसपी मनोज तिवारी के औफिस जा कर उन से मिली. उस महिला के साथ 3 वकील भी थे, जो मुरादाबाद कचहरी में प्रैक्टिस करते थे. महिला किसी अच्छे परिवार की लग रही थी. एसएसपी ने सभी को बैठने का इशारा किया.

महिला ने अपना नाम अंशु उर्फ रेनू सागर बताते हुए एसएसपी को एक तहरीर दी, ‘‘मेरा करीब एक साल से लाइनपार, प्रकाश नगर में रहने वाले राघव शर्मा से प्रेमसंबंध है. राघव के साथ मैं बाहर घूमनेफिरने भी जाती थी. पिछले दिनों हम हरिद्वार भी घूमने गए थे. वहां हर की पौड़ी के पास स्थित मंदिर में राघव और मैं ने शादी कर ली थी.’’ अंशु ने एसएसपी को शादी के समय राघव द्वारा उस की मांग भरते हुए फोटो भी दिखाए.

अंशु ने बताया कि राघव शर्मा को जब पता चला कि वह दलित लड़की है तो उस ने शादी वाली बात से इनकार कर दिया. उस के साथ आए वकीलों ने भी इस मामले में उचित काररवाई करने का अनुरोध किया.

अंशु मुरादाबाद की पौश कालोनी मानसरोवर में रहती थी. यह कालोनी मझोला थाने के अंतर्गत आती थी, इसलिए एसएसपी ने अंशु से कहा कि वह थाना मझोला चली जाए, जहां उस की शिकायत पर उचित काररवाई की जाएगी. एसएसपी ने उसी समय मझोला के थानाप्रभारी आर.के. नागर को फोन कर के अंशु के मामले में यथाशीघ्र काररवाई करने के निर्देश दे दिए.

अंशु एसएसपी औफिस से सीधे थाना मझोला पहुंची और थानाप्रभारी आर.के. नागर को विस्तार से सारी बात बता दी. अंशु देखने में खूबसूरत थी, इसलिए थानाप्रभारी  को अंशु की बातों में सच्चाई नजर आ रही थी.

थानाप्रभारी को चूंकि एसएसपी ने जल्द काररवाई करने का आदेश दिया था, इसलिए वह आरोपी राघव शर्मा के प्रकाश नगर स्थित घर पहुंच गए. राघव घर पर ही मिल गया. वह उसे थाने ले आए. उसी समय एसपी (सिटी) आशीष श्रीवास्तव भी मझोला थाना पहुंच गए.

राघव भी एक प्रतिष्ठित परिवार से था. थानाप्रभारी के पूछताछ करने पर उस ने बताया कि अंशु से उस की केवल दोस्ती थी. शादी की बात एकदम झूठी है. थानाप्रभारी ने राघव को वह फोटो दिखाया, जिस में वह अंशु की मांग भर रहा था. फोटो देख कर राघव बोला, ‘‘सर, मैं और अंशु हरिद्वार घूमने गए थे. वहां हर की पौड़ी के पास स्थित मंदिर में शाम को हम गंगा आरती में शामिल हुए. आरती के बाद पुजारी सभी लोगों को तिलक लगा रहा था. वहां अंशु ने पुजारी के बजाय मुझ से तिलक लगवाया था. उसी समय उस ने अपना मोबाइल पुजारी को दे कर फोटो खिंचवा लिए थे.’’

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राघव की बात सुन कर थानाप्रभारी आर.के. नागर ने उस फोटो को एक बार फिर गौर से देखा तो वह फोटो मांग में सिंदूर भरने का नहीं, बल्कि टीका लगाने का था.

राघव ने थानाप्रभारी को बताया कि अंशु ने उस पर जो आरोप लगाए हैं, वे सरासर गलत हैं. असलियत में वह बहुत बड़ी ब्लैकमेलर है. लोगों को अपनी खूबसूरती के जाल में फांस कर वह उन से मोटी रकम वसूलती है, यही उस का धंधा है.

राघव ने यह भी बताया कि अंशु के पिता सीआईएसएफ में दरोगा हैं, जिन की वजह से वह किसी से नहीं डरती. राघव के अनुसार, अंशु उस से अब तक करीब 5 लाख रुपए ले चुकी है. फिलहाल वह उस से 50 लाख रुपए की और डिमांड कर रही है. चूंकि उस ने इतनी बड़ी रकम देने से मना कर दिया था, इसलिए वह दबाव बनाने के लिए इस तरह के झूठे आरोप लगा रही है.

राघव ने अंशु को पैसे देने के कुछ सबूत भी दिखाए. राघव की बातों से केस की तसवीर ही बदलती नजर आने लगी. एसपी (सिटी) ने राघव द्वारा बताई गई बातें एसएसपी को बताईं तो उन्हें भी लगा कि अंशु शातिर किस्म की महिला है.

एसपी (सिटी) ने जांच कर के सबूतों के साथ दोषी के खिलाफ काररवाई करने को कहा. इधर एसपी (सिटी) ने राघव को यह कह कर घर भेज दिया कि वह पुलिस को बिना बताए शहर से बाहर न जाए. जांच में उस की कभी भी जरूरत पड़ सकती है.

इस सब से शिकायतकर्ता अंशु ही शक के दायरे में आ गई थी. लेकिन थानाप्रभारी उस के खिलाफ जल्दबाजी में कोई काररवाई नहीं करना चाहते थे. उन्होंने अंशु के बारे में जानकारी जुटानी शुरू कर दी.

शुरुआती तफ्तीश में उन्हें अंशु के बारे में कई महत्त्वपूर्ण जानकारियां मिलीं. पता चला कि उस के संबंध उत्तर प्रदेश पुलिस के एक सिपाही के साथ भी थे. उस के साथ वह 2 बार रंगेहाथों पकड़ी जा चुकी थी. मुरादाबाद के ही पंडित नगला के रहने वाले एक शख्स से भी उस ने 10 लाख रुपए ऐंठने की कोशिश की थी.

अंशु के बारे में पुलिस को एक के बाद एक नई जानकारियां मिल रही थीं. इन बातों से पुलिस को भी यही लग रहा था कि अंशु एक बेहद शातिर महिला है, जो पति से अलग रहती है और पैसे वालों से दोस्ती कर के उन्हें ब्लैकमेल करती है.

उच्चाधिकारियों के आदेश पर पुलिस अंशु को पूछताछ के लिए थाने ले आई. उस ने राघव के खिलाफ जो तहरीर दी थी, उसी के बारे में पूछताछ की गई तो वह यही कहती रही, ‘‘राघव ने मेरा शारीरिक और मानसिक शोषण कर के मुझे धोखा दिया है. अब वह शादी करने की बात से मुकर रहा है.’’

अंशु के बारे में थानाप्रभारी को जो सूचनाएं मिली थीं, उन के बारे में उन्होंने महिला पुलिस की मौजूदगी में सवाल किए तो उस के चेहरे का रंग उड़ गया. अपनी सच्चाई सामने आने पर वह थानाप्रभारी पर हावी होने की कोशिश करने लगी. इतना ही नहीं, उस ने धमकी भी दी कि अगर उन्होंने राघव के खिलाफ काररवाई नहीं की तो वह इस की शिकायत एसएसपी से करेगी.

चूंकि थानाप्रभारी आर.के. नागर को अंशु के बारे में काफी जानकारियां मिल चुकी थीं, इसलिए उन्होंने उसे वह फोटो दिखाते हुए कहा, ‘‘इस फोटो को ध्यान से देखो. इस में राघव तुम्हारे माथे पर टीका लगा रहा है न कि तुम्हारी मांग भर रहा है. राघव का कहना है कि वह तुम्हें 5 लाख रुपए दे चुका है और तुम अब भी उस से मोटी रकम की डिमांड कर रही हो.’’

‘‘यह बात सरासर गलत है. मैं ने उस से कुछ नहीं लिया.’’ अंशु बोली.

‘‘तो फिर जिस स्कूटी पर तुम घूमती हो, वह किस ने खरीदवाई है? उस की किस्तें कौन दे रहा है?’’ थानाप्रभारी ने पूछा.

यह सुन कर अंशु चुप हो गई. एक के बाद एक उस के झूठ की परतें खुलने लगीं. उन्होंने उसी समय उस के सामने अखबार की वह कटिंग रख दी, जिस में एक सिपाही के साथ उस के रंगेहाथों पकड़े जाने की खबर छपी थी. खबर देख कर अंशु ने अपनी नजरें झुका लीं. कुछ देर पहले तक जो अंशु पुलिस पर हावी होने की कोशिश कर रही थी, अब वही भीगी बिल्ली की तरह सहम गई.

‘‘देखिए मैडम, हमें तुम्हारे बारे में एटूजेड जानकारी मिल चुकी है. बेहतर यही होगा कि सारी सच्चाई तुम खुद ही बता दो, वरना सच्चाई उगलवाने के हमारे पास और भी तरीके हैं.’’

अंशु को लगा कि अब उस का झूठ चलने वाला नहीं है. इसलिए उस ने पुलिस को सच्चाई बताना उचित समझा. वह थानाप्रभारी के सामने गिड़गिड़ाते हुए बोली, ‘‘सर, मुझे माफ कर दीजिए. ऐसी गलती अब कभी नहीं करूंगी.’’

इस के बाद उस ने थानाप्रभारी आर.के. नागर को एकएक कर के सारी बातें बता दीं. उस की बातों से उस के जीवन की जो हकीकत निकल कर आई, वह इस प्रकार थी—

रेनू सागर उर्फ अंशु मूलरूप से मुरादाबाद के लाइनपार इलाके में चाऊ की बस्ती में रहती थी. इस के पिता सीआईएसएफ में सबइंसपेक्टर थे, जो इस समय हैदराबाद में तैनात हैं. अंशु ने शहर के ही हिंदू कालेज से बीए पास किया था. उसी के साथ प्रमोद कुमार का एक लड़का पढ़ता था, जो शहर के काजीपुरा मोहल्ले में रहता था. दोनों एक ही जाति के थे, इसलिए उन की आपस में अच्छी दोस्ती हो गई थी.

चूंकि अंशु खूबसूरत थी, इसलिए कालेज में और भी लड़कों से उस की दोस्ती हो गई थी. लेकिन उस की सब से ज्यादा घनिष्ठता प्रमोद के साथ ही थी. धीरेधीरे उन दोनों को एकदूसरे से प्यार हो गया. बीए करने के बाद दोनों ने कालेज छोड़ दिया था, पर फोन पर बातें होती रहती थीं. समयसमय पर वे मिलते भी रहते थे. इतना ही नहीं, उन्होंने शादी करने का फैसला भी कर लिया था.

उसी दौरान प्रमोद की सरकारी नौकरी लग गई. वह सिंचाई विभाग में नलकूप औपरेटर बन गया. अंशु बोल्ड स्वभाव की थी, इसलिए उस ने प्रमोद से शादी करने वाली बात अपनी मां को बता दी थी. बेटी के फैसले पर मां तुरंत मोहर कैसे लगा सकती थी. उन्होंने नौकरी पर तैनात पति से इस बारे में बात की. उन्होंने कह दिया कि जब अंशु अपने पसंद के लड़के से शादी करना चाहती है तो उस लड़के के बारे में जानकारी ले लो. सब कुछ ठीक होगा तो शादी करने में क्या हर्ज है.

अंशु की मां ने अपने जानकारों के माध्यम से प्रमोद के बारे में जानकारियां निकलवाईं तो पता चला कि उस का परिवार बेहद सीधासादा है. उस के पिता जगदीश सरकारी विभाग में ड्राइवर थे. प्रमोद भी सुंदर और हृष्टपुष्ट था. कुल मिला कर प्रमोद उन की बेटी के हिसाब से बहुत अच्छा तो नहीं था, पर ठीक था. बेटी की खुशी को देखते हुए उस के घर वाले राजी हो गए. दोनों परिवारों की रजामंदी के बाद सन 2005 में सामाजिक रीतिरिवाज से अंशु और प्रमोद की शादी हो गई.

चूंकि दोनों की शादी उन की मरजी से हुई थी, इसलिए दोनों बहुत खुश थे. समय का चक्र अपनी गति से घूमता रहा और अंशु 2 बच्चों की मां बन गई. शादी के बाद अंशु घर में कैद हो कर रह गई, जबकि वह आजाद पंछी की तरह रहने वाली महिला थी. घर में कैद हो कर रहना उसे अच्छा नहीं लग  रहा था. दूसरे पति की नौकरी भी उसे मामूली लगने लगी थी. उसे शौपिंग और घूमनेफिरने का शौक था. बच्चे बडे़ हो चुके थे. पति जब ड्यूटी पर चला जाता, तब वह अकेली ही घूमने निकल जाती.

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अंशु के पिता के घर से कुछ दूर रंजीत सिंह चौहान नाम का एक सिपाही किराए पर रहता था. उस की पोस्टिंग शहर के ही थाना गलशहीद में थी. वैसे वह मूलरूप से अमरोहा जिला के कस्बा हसनपुर का रहने वाला था. रंजीत के साथ अंशु के अवैध संबंध बन गए. पति के ड्यूटी पर जाने के बाद वह रंजीत के साथ घूमतीफिरती. ससुराल वालों को उस ने बता रखा था कि वह एक प्रौपर्टी डीलर के यहां नौकरी करती है.

अंशु के बातव्यवहार से उस के पति प्रमोद को उस पर शक होने लगा, पर उस की इतनी हिम्मत नहीं थी कि वह अंशु से इस बारे में कुछ पूछ पाता. बहरहाल, अंशु सिपाही रंजीत के साथ खूब मौजमस्ती करती. रंजीत भी 2 बच्चों का पिता था. छुट्टी के दिन भी वह अपने घर नहीं जाता था. पत्नी घर आने को कहती तो वह उस से छुट्टी न मिलने का बहाना बना देता था.

एक बार की बात है. रंजीत ने करवाचौथ के त्यौहार पर गांव जाने के लिए थाने से छुट्टी ली थी, लेकिन वह पत्नी के पास जाने के बजाय मुरादाबाद में अपने कमरे पर ही रहा. क्योंकि उस दिन उसे अपनी प्रेमिका अंशु के साथ रहना था. उधर घर पर रंजीत की पत्नी उस के आने का इंतजार कर रही थी. जब वह करवाचौथ के मौके पर भी घर नहीं पहुंचा तो उस की पत्नी हसनपुर से मुरादाबाद चली आई. उस ने पति का कमरा देखा ही था. वह चाऊ की बस्ती में उस के कमरे पर पहुंच गई.

रंजीत के कमरे का दरवाजा अंदर से बंद था. खटखटाने के बाद अधनंगे पति ने दरवाजा खोला तो सामने पत्नी को देख कर उस के होश उड़ गए. वह कमरे में घुसी तो बैड पर अंशु लेटी थी. पति को किसी दूसरी महिला के साथ रंगेहाथ पकड़ने के बाद पत्नी का खून खौल उठा. उस ने वहीं पर दोनों को खरीखोटी सुनानी शुरू कर दी.

शोरशराबा सुन कर पड़ोसी और अन्य लोग आ गए. उसी दौरान किसी ने फोन कर के पुलिस को जानकारी दे दी. पुलिस मौके पर पहुंच गई, पर जब पता चला कि रंजीत भी उत्तर प्रदेश पुलिस में है तो वहां आए पुलिस वालों ने मामला वहीं पर निपटाने की कोशिश की.

लेकिन रंजीत की पत्नी नहीं मानी, वह अंशु के खिलाफ काररवाई कराना चाहती थी. बात बढ़ने पर पुलिस रंजीत और अंशु को थाने ले गई. मामला तत्कालीन एसएसपी लव कुमार के कानों तक पहुंचा तो उन्होंने रंजीत कुमार को तुरंत बर्खास्त कर दिया.

थाने में अंशु के ससुराल वाले भी पहुंच गए थे. अंशु की वजह से उन की काफी बदनामी हो रही थी. अंशु ने पति और ससुराल वालों से अपने किए की मांफी मांग ली. उन्होंने भी पहली गलती मान कर उसे माफ कर दिया. प्रमोद उसे अपने साथ ले गया.

इस घटना के कुछ दिनों बाद तक अंशु और रंजीत ने एकदूसरे से दूरी बनाए रखी. इस से प्रमोद को लगा कि अंशु को वाकई अपनी गलती पर पश्चाताप हुआ है. अंशु एक प्रौपर्टी डीलर के यहां नौकरी करती थी. प्रमोद उसे अपनी बाइक से उस के औफिस के नजदीक छोड़ आता था. इस के बाद अपनी ड्यूटी के लिए निकल जाता था. शाम को अंशु अकेली ही घर लौटती थी.

अंशु और रंजीत चौहान में से किसी का भी मन नहीं लग रहा था. दोनों ही एकदूसरे को अब भी जीजान से चाहते थे. सावधानी बरतते हुए उन्होंने फिर से फोन पर बातचीत करनी शुरू कर दी. बातचीत शुरू हुई तो उन्होंने चोरीछिपे मिलना भी शुरू कर दिया. अंशु ने रंजीत के कमरे पर जाना बंद कर दिया था. वहां के बजाय वे होटल वगैरह में मिल लेते थे. होटल में मिलना दोनों को सुरक्षित लगता था. इस तरह उन का पुराना सिलसिला फिर चल निकला. अंशु पति और ससुराल वालों की आंखों में धूल झोंक कर अपने प्रेमी रंजीत के साथ मौजमस्ती करती थी.

इसी दौरान अंशु ने प्रमोद को बताया कि रामगंगा विहार स्थित एक होटल में बतौर रिसैप्शनिस्ट उस की नौकरी लग गई है. इस के बाद प्रमोद सुबह उसे बाइक से रामगंगा विहार में सोनकपुर स्टेडियम के पास छोड़ने लगा. यह उस का रोज का काम था.

10 नवंबर, 2013 को भी प्रमोद ने ऐसा ही किया. उस दिन पत्नी को बाइक से उतारने के बाद वह वहां से गया नहीं, बल्कि देखने लगा कि आखिर वह जाती कहां है. अंशु कुछ दूर जा कर एक जगह खड़ी हो गई. प्रमोद ओट में छिप कर उस पर नजर रखे हुए था. 3-4 मिनट बाद प्रमोद ने देखा कि अंशु के पास एक मोटरसाइकिल आ कर रुकी. उस पर रंजीत सवार था.

अंशु रंजीत की मोटरसाइकिल पर बैठ गई. यह देख कर प्रमोद को पत्नी पर बहुत गुस्सा आया. वह सोचने लगा कि हमने तो इसे माफ कर दिया था, पर इस ने अपनी आदत नहीं बदली. बहरहाल, वह टाइम ज्यादा सोचने का नहीं था. प्रमोद यह जानना चाहता था कि अब वे दोनों कहां जाएंगे? लिहाजा उस ने भी फटाफट अपनी मोटरसाइकिल स्टार्ट की और काफी दूरी बना कर रंजीत का पीछा करने लगा.

रंजीत और अंशु रामगंगा विहार स्थित रीगल होटल में चले गए. प्रमोद उन के होटल में जाने का मकसद समझ गया. इसलिए वह रामगंगा विहार स्थित पुलिसचौकी पहुंच गया. प्रमोद ने पत्नी के चरित्र की बात चौकीइंचार्ज को बता कर कहा कि इस से पहले भी वह इसी रंजीत के साथ एक बार रंगेहाथ पकड़ी जा चुकी है.

प्रमोद की शिकायत पर रामगंगा विहार पुलिस ने रीगल होटल में छापा मार कर अंशु और रंजीत को रंगेहाथों पकड़ लिया. पुलिस दोनों को पुलिसचौकी ले आई. वहीं पर दोनों के घर वालों को भी बुला लिया गया. बर्खास्त सिपाही रंजीत की पत्नी ने पुलिस चौकी में ही अपने पति को खूब खरीखोटी सुनाई. एक बार उस ने खुद उसे अंशु के साथ रंगेहाथों पकड़ा था, अब दूसरी बार वह उसी के साथ फिर पकड़ा गया था.

बेटी के कुकृत्य की वजह से अंशु के घर वाले भी अपमान सह रहे थे. बहरहाल, पुलिस ने मामला रफादफा कर के दोनों को उन के घर वालों को सौंप दिया. चूंकि अंशु पति की शिकायत पर ही पकड़ी गई थी, इसलिए पति उसे सब से बड़ा दुश्मन नजर आने लगा. ससुराल के बजाय वह मायके चली गई. इस के कुछ दिनों बाद अंशु ने पति और ससुराल वालों के खिलाफ दहेज एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज करा दिया, जिस में प्रमोद और उस के मातापिता को जेल जाना पड़ा था.

रंजीत अपनी नौकरी से बर्खास्त तो था ही, वह हसनपुर स्थित अपने घर चला गया. उस की पत्नी का उस से विश्वास उठ चुका था. इसलिए वह उस पर पैनी नजर रखने लगी. उधर 2-2 बार रंगेहाथों पकड़ी जाने के बाद भी अंशु नहीं सुधरी. उस की दाल रंजीत के साथ गलने का मौका नहीं मिला तो उस ने दूसरे लोगों के साथ संबंध बना लिए.

इसी दौरान उस ने मुरादाबाद के ही करुला मोहल्ले के रहने वाले व्यवसाई तैयब अली को अपने रूप जाल में फंसा लिया. बताया जाता है कि अंशु ने तैयब अली को ब्लैकमेल करते हुए 10 लाख रुपए की मांग की, साथ ही पैसे न देने पर रेप के आरोप में फंसाने की धमकी दी. इतना ही नहीं, उस ने यह भी कहा कि वह उसे पूरे इलाके में बदनाम कर देगी.

डर की वजह से तैयब ने 28 मार्च, 2016 को 5 लाख रुपए का एक चैक काट कर उसे दे दिया. वह चैक 30 मार्च को डिशआर्डर हो गया तो बौखलाई अंशु ने वकीलों से सलाहमशविरा कर के तैयब अली के खिलाफ प्लौट दिलाने के नाम पर 5 लाख रुपए हड़पने का केस डाल दिया, जो अदालत में विचाराधीन है.

जब किसी महिला के कदम बाहर निकल जाते हैं तो उस से घर में नहीं बैठा जाता. अंशु का भी यही हाल था. एक तरह से वह घाटघाट का पानी पी चुकी थी. अब वह नएनए शिकार की तलाश में लगी रहती थी. उस ने दिल्ली रोड स्थित मौड्यूलर किचन तैयार करने वाली एक फर्म में नौकरी कर ली. यह फर्म किचन डिजाइनिंग का काम करती थी. सन 2015 में राघव शर्मा से उस की मुलाकात इसी फर्म में हुई थी.

राघव शर्मा मूलरूप से संभल जिले के देहरी गांव का रहने वाला था. वहीं पर उस का राममूर्ति देवी इंटर कालेज है. स्कूल के अलावा राघव मेंथा तेल का व्यवसाय करता था. उस के पिता सतेंद्र शर्मा शिक्षा विभाग में स्टैनोग्राफर हैं, जिन की तैनाती मुरादाबाद जिले में है. राघव का मुरादाबाद के प्रेमनगर में अपना मकान है. वह प्रेमनगर में रह रहा था.

राघव के एक दोस्त का मुरादाबाद में मकान बन रहा था. उसे अच्छे डिजाइन वाली मौड्यूलर किचन बनवानी थी. 27 मार्च, 2016 को राघव अपने दोस्त के साथ दिल्ली रोड स्थित के. इंटरनेशनल नाम के शोरूम पर पहुंचा. अंशु वहीं नौकरी करती थी. अंशु ने राघव और उस के दोस्त को मौड्यूलर किचन वाली एलबम दिखाई, जिस में से उन्होंने एक डिजाइन पसंद कर लिया. मौड्यूलर किचन बनाने का और्डर दे कर दोनों दोस्त वहां से चले गए.

वह शोरूम से बाहर निकले ही थे कि पीछे से अंशु ने आवाज दी, ‘‘एक्सक्यूज मी.’’

राघव ने पीछे मुड़ कर देखा तो वह वही खूबसूरत युवती थी, जिस ने मौड्यूलर किचन की एलबम दिखाई थी. राघव ने मुसकरा कर पूछा, ‘‘जी कहिए मैडम.’’

‘‘सर, मैं यह पूछना चाहती थी कि आप के दोस्त ने तो किचन का और्डर दे दिया, आप नहीं बनवाएंगे क्या?’’ अंशु बोली.

‘‘मैडम, अभी तो मेरी शादी भी नहीं हुई है. मकान बनवा रहा हूं. जैसे ही बन जाएगा, आप को सेवा का मौका जरूर दूंगा.’’ राघव ने कहा.

‘‘ठीक है सर, आप अपना मोबाइल नंबर दे दीजिए, मैं आप से इस बारे में बात करती रहूंगी.’’

खूबसूरत युवती को फोन नंबर देने पर राघव ने कोई ऐतराज नहीं किया और खुशीखुशी उसे अपना मोबाइल नंबर दे कर निकल गया. घर पहुंचने के बाद खूबसूरत अंशु का चेहरा और मधुर बातें राघव के जेहन में घूमती रहीं.

करीब 15 दिनों बाद राघव के मोबाइल पर अंशु का फोन आया, ‘‘सर, क्या आप मुझे भूल गए.’’

अंशु की आवाज सुनते ही उस का मुसकराता हुआ खूबसूरत चेहरा राघव के जेहन में घूम गया. वह बोला, ‘‘नहीं मैडम, आप को भला कोई कैसे भूल सकता है. थोड़ा बिजनैस में बिजी हो गया था, इसलिए बात करने का ध्यान नहीं रहा.’’

‘‘सर, मैं यह कह रही थी कि आप किचन  बनवाएं या न बनवाएं, पर फोन पर तो बात कर ही सकते हैं.’’ वह बोली.

इस के बाद उन दोनों के बीच काफी देर तक बात हुईं. फिर तो आए दिन बातों का सिलसिला शुरू हो गया. धीरेधीरे दोनों अनौपचारिक होते गए. इसी दौरान अंशु ने राघव को बताया, ‘‘मेरे साथ घटी एक घटना की वजह से मैं टूट चुकी हूं. दरअसल, मैं एक लड़के से प्यार करती थी, फिर हमारी बात शादी तक जा पहुंची. वह शादी करने का वादा करता रहा. पर मुझे दुख उस दिन हुआ, जब उस लड़के ने किसी दूसरी लड़की से शादी कर ली. इस का मुझे गहरा आघात पहुंचा, पर आप से बात करने के बाद मुझे बड़ा सहारा मिला है.’’

राघव अंशु और उस की बातों में दिलचस्पी लेने लगा था. 31 मार्च को राघव और अंशु रामगंगा विहार स्थित वेव मौल घूमने गए. वहां पहले दोनों ने फिल्म देखी, वहीं रेस्टोरेंट में खाना वगैरह खाने के बाद राघव ने उसे हजारों रुपए की शौपिंग भी कराई. इस के बाद अंशु ने राघव को पूरी तरह से अपने जाल में फांस लिया.

एक दिन अंशु ने उस से कहा, ‘‘देखो राघव, मेरे पापा तो नौकरी की वजह से बाहर रहते हैं. घर पर मैं और मां भाई के साथ रहती हूं. अगर किसी जानकार ने हम दोनों को साथ देख लिया तो मेरे घर वालों के अलावा तुम्हारी भी बदनामी होगी. ऐसा करो, मुझे कहीं किराए पर एक कमरा दिलवा दो, जहां हम दोनों मिल लिया करेंगे.’’

अंशु की यह सलाह राघव को अच्छी लगी. उस ने लाइन पार क्षेत्र के सूर्यनगर में जीत सिंह का मकान किराए पर ले लिया. राघव अब अकसर अंशु के पास कमरे पर ही रहता. उन दोनों की गतिविधियों पर मोहल्ले वालों को शक हुआ तो उन के विरोध के कारण उन्होंने वह मकान खाली कर दिया. इस की जगह राघव ने पौश कालोनी मानसरोवर में अपने दोस्त नितिन का मकान किराए पर ले लिया.

राघव अंशु का पूरा खर्च उठाता था. उस ने उस के लिए इनवर्टर तक लगवा दिया था. अंशु राघव पर कोर्टमैरिज के लिए दबाव डाल रही थी, पर राघव उस की बात टाल जाता था. इसी बीच अंशु की इच्छा पर राघव ने उसे स्कूटी खरीद कर दी. उस की किस्तें वह खुद जमा कर रहा था. शादी की बात को ले कर उन के बीच विवाद बढ़ता जा रहा था. राघव उस पर करीब 5 लाख रुपए खर्च कर चुका था.

अंशु के कहने पर 4 जनवरी, 2017 को राघव उसे ले कर हरिद्वार पहुंचा. दोनों एक होटल में ठहरे, हरिद्वार में हर की पौड़ी पर शाम को रोजाना गंगा आरती का आयोजन होता है. अंशु और राघव भी उस आरती में शामिल हुए.

यहीं पर अंशु एक खतरनाक साजिश रचने जा रही थी, जिस का राघव को आभास तक नहीं हुआ. आरती के बाद पुजारी सभी को टीका लगा रहा था. जैसे ही अंशु का नंबर आया, उस ने पुजारी से कहा, ‘‘पंडितजी, मेरा टीका यह लगा देंगे. आप मेरे मोबाइल से हम दोनों का फोटो खींच दीजिए.’’

पुजारी ने फोटो खींचने के लिए अंशु का मोबाइल ले लिया. अंशु ने राघव से कहा, ‘‘तुम मेरा टीका मांग के पास लगाना.’’

टीका लगाते हुए अंशु ने फोटो खिंचवा लिए. यही नहीं, राघव का हाथ अपनी मांग के पास रख कर भी अंशु ने फोटो खिंचाए.

राघव अंशु की साजिश से अभी अनजान था. मुरादाबाद पहुंचने पर अंशु ने राघव पर शादी करने के लिए फिर दबाव बनाया, पर राघव टाल गया. राघव का कहना है कि एक दिन अंशु ने उस से 50 लाख रुपए मांगे. इतनी बड़ी रकम देने से जब उस ने इनकार कर दिया तो उस ने रेप के आरोप में फंसाने की धमकी दी. इस धमकी के बाद राघव को अंशु के असली रूप का पता चल गया.

जब राघव ने पैसे नहीं दिए तो अंशु ने अपने परिचित वकीलों से बात की. इस के बाद उस ने एसएसपी से मिल कर राघव पर रेप आदि के आरोप लगाए और उस के खिलाफ रिपोर्ट लिखाने की मांग की.

अंशु उर्फ रेनू सागर से पूछताछ कर के थानाप्रभारी आर.के. नागर ने उस के खिलाफ भादंवि की धारा 420/384 और 406 के अंतर्गत केस दर्ज कर उसे 3 जुलाई, 2017 को न्यायालय में पेश किया, जहां से उसे मुरादाबाद के जिला कारागार में भेज दिया गया. अंशु की 5 साल की बेटी अपने पिता प्रमोद के साथ रह रही है और 11 साल का बेटा, जो उसी के साथ रह रहा था, उस की मां के पास है.

– कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

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