नजदीकी रिश्तों में हत्या कुछ साल पहले उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में उत्तर प्रदेश विधानपरिषद के सभापति रमेश बाबू यादव के 22 साल के बेटे अभिजीत की हत्या में उस की 55 साल की मां मीरा यादव की गिरफ्तारी की गई थी. एक मां ने अपने सगे बेटे की हत्या क्यों की? वजह थी, बेटे का नशा कर के मां को मारनापीटना. मां भी कहां तक सहन करती. एक दिन उस का गुस्सा भड़क गया और परिवार तबाह हो गया. इस मामले में मां ने बेटे की हत्या की,

क्योंकि वह शराब पीता था और मां से पैसे मांगता था, जो मां के पास थे ही नहीं. इंगलैंड में रहे रहे भारतीय मूल के मुसलिम परिवार की मां ने साल 2010 में 7 साल के बेटे की हत्या केवल इसलिए कर दी थी कि वह कुरान की आयतें याद नहीं कर पा रहा था. गुरदासपुर, पंजाब में नाजायज रिश्ता बनाए रखने के लिए एक औरत ने अपने बेटे की हत्या कर उस की लाश नदी में फेंक दी थी. इसी तरह बहराइच, उत्तर प्रदेश में एक औरत ने अपने बेटे की हत्या कर डाली, क्योंकि वह पहले अपने पति की मौत के बाद प्रेमी के साथ चली गई, पर जब बेटे ने अपना मकान बना लिया तो वह लौट कर रहना चाहती थी. इस अनबन में मां ने अपने प्रेमी की मदद से बेटे की हत्या कर डाली. हरियाणा में रोहतक में एक मां ने अपने छोटे बेटे के साथ मिल कर बड़े बेटे की हत्या कर डाली थी, जो 22 साल का था. उन्होंने उसे घर में ही गड्ढा खोद कर दबा दिया था. हालांकि इस तरह के मामलों में मां को गिरफ्तार कर ही लिया जाता है,

पर केरल हाईकोर्ट के जज ने एक मामले में सजा उलटते हुए कहा था कि ऐसे मामलों में जो दिखता है, उस से कुछ अलग भी होता है. कोई भी अपने पिता व उस कथित मां की भावनाओं को पूरी तरह नहीं सम झ सकता, जिस ने अपने बेटे की ही हत्या कर डाली है. आमतौर पर औरत के अधकचरे बदलते बयानों, पुलिस की रिपोर्ट, पड़ोसियों के बयानों पर ही फैसले सुना दिए जाते हैं और मां की सही हालत का आकलन नहीं होता है. नशे की लत ने बढ़ाई दूरी अभिजीत यादव के मामले में रमेश यादव खुद 12, कालीदास मार्ग पर बने अपने सरकारी आवास में रहते थे. दारुलशफा में बने आवास में उन का आनाजाना नहीं होता था. रमेश यादव मूलरूप से एटा के रहने वाले थे. वे ज्यादातर समय वहीं गुजारते थे. मीरा का बड़ा बेटा अभिषेक कंस्ट्रक्शन का काम करता था.

उस ने सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की थी. छोटा बेटा अभिजीत अपनी पढ़ाई के साथ दूसरे काम करता था, पर वह किसी भी काम में कामयाब नहीं हुआ था. ऐसे में वह नशे का शिकार भी हो गया था. अभिजीत को यह लगता था कि उसे जितना पैसा मिलना चाहिए, वह नहीं मिल रहा है. ऐसे में उस का मां के साथ झगड़ा होता था. मां के साथ झगड़े में अभिजीत अपने पिता रमेश यादव के साथ की गई शादी को ले कर भी ताने मारता था और उन के चरित्र को ले कर भी सवाल उठाता था. मीरा को ये बातें बुरी लगती थीं. मीरा ने अपने गहने बेच कर बेटे का बिजनैस शुरू कराया, पर वह उस में कामयाब नहीं हो सका. दशहरे के दिन भी अभिजीत ने अपनी मां से पैसे मांगे और न मिलने पर झगड़ा किया. मां को मारापीटा भी था. बारबार पैसे दे कर मीरा भी थक चुकी थीं. लखनऊ के एएसपी पूर्वी सर्वेश कुमार मिश्रा ने बताया कि पुलिस को दिए गए अपने बयान में मीरा ने कहा कि अभिजीत शराब पीने का आदी था.

वह आएदिन शराब पी कर हंगामा करता था. वे रोजरोज के झगड़े से तंग आ चुकी थीं. शनिवार की रात को तकरीबन 11 बजे अभिजीत शराब के नशे में चूर हो कर आया और आते ही गालीगलौज करने लगा. मीरा ने अभिजीत को थप्पड़ मारते हुए धक्का दे दिया, जिस से वह मर गया. ऐसे मामलों में मां को जेल में रखना कानून की तो जरूरत हो सकती है, पर इस का कोई नैतिक आधार नहीं है. बेटे की हत्या पर मां को सजा देना एक गलत बात है. उसे 2 बार सजा दी जा रही है. एक मां के रूप में और एक अपराधी के रूप में. हर इनसान एक ही सजा का पात्र होता है, 2 का नहीं.

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