तुर्कमेनिस्तान के रहने वाले डोब अहमद ने दिल्ली में जिस्मफरोशी का अड्डा बना रखा था. उस के यहां देशी ही नहीं, विदेशी कालगर्ल्स भी रहती थीं. इस काम में उस की पत्नी जुमायेवा भी शरीक थी. क्राइम ब्रांच ने उस के अड्डे से 10 विदेशी लड़कियों को पकड़ा तो...
जुलाई का महीना था. वातावरण में काफी उमस थी. बदन चिपचिपा हुआ जा रहा था. कूलर की हवा भी शरीर में ठंडक नहीं पहुंचा पा रही थी. इस झुलसा देने वाले मौसम में भी रविकांत पूरी बांह की कमीज, जींस पहने हुए था. हद तो यह थी कि उस ने एक तकिया इस प्रकार सीने से भींच रखा था जैसे वह उस की माशूका हो और वह पूरी गर्मजोशी से सीने से लगा कर उसे प्यार कर रहा हो.
रविकांत शादीशुदा था. 3 महीने पहले ही उस की शादी कुसुम के साथ हुई थी. वह कंप्यूटर औपरेटर था और 15 हजार की सैलरी पर एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी करता था. मकान किराए का था, 7 हजार रुपया किराया, कुछ खर्च खुद के, शेष रुपयों में वह अपनी गृहस्थी की गाड़ी खींच रहा था.
वह इस से संतुष्ट तो नहीं था लेकिन दिल्ली जैसे महानगर में इतना मिलना भी बहुत था क्योंकि यहां आसपास के क्षेत्र से काम की तलाश में आए युवा 2 वक्त की रोटी पाने के लिए कैसी भी नौकरी करने को तैयार रहते हैं. ऐसे में जो लग गया, वह खुद को भाग्यशाली मानता है और जो नहीं लगा वह नौकरी के लिए भटक रहा है.
रवि 15 हजार की सैलरी वाली नौकरी छोड़ना नहीं चाहता था. हां, आगे बढ़ने के लिए वह हाथपांव जरूर मार रहा था.
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