‘‘मिस्टर अरूप, मुझे विशाल ने आप का नंबर दिया है. मैं आप की सेवा मुफ्त में नहीं लूंगा. माल आप का होगा, कीमत अदा मैं करूंगा.’’
‘‘विशाल ने नंबर दिया है तो आप से मिलने और आप की खिदमत करना मैं अपना फर्ज समझूंगा. आप इस वक्त कहां खड़े हैं?’’
‘‘मैं पंचशील पार्क में अपने दोस्त के साथ खड़ा हूं.’’ कांस्टेबल सोहनवीर ने बताया.
‘‘ठीक है, मैं चंद मिनटों में पहुंच रहा हूं.’’ दूसरी तरफ से कहा गया और संपर्क कट कर दिया गया.
और फिर थोड़ी ही देर में एजेंट मोहम्मद अरूप उस पार्क के गेट पर हाजिर हो गया.
कांस्टेबल सोहनवीर गर्मजोशी से उस से मिला. दोनों ने हाथ यूं मिलाए, जैसे एकदूसरे को बरसों से जानते हों.
‘‘आप किस प्रकार का एजौय चाहेंगे मिस्टर अभिषेक, मेरे गुलदस्ते में देशीविदेशी दोनों प्रकार के फूल हैं.’’ मोहम्मद अरूप ने पूछा.
‘‘देशी फूल तो इंडिया में मिल जाते हैं, विदेशी फूल की खुशबू सुंघाइए आप.’’ सोहनवीर ने मुसकरा कर कहा.
‘‘विदेशी फूल कीमती है जनाब.’’
‘‘आप रुपयों की चिंता मत कीजिए. बाई द वे, क्या कीमत होगी एक फूल की?’’
‘‘एक शौट 15 हजार रुपए का होगा, फुलनाइट के लिए 25 हजार कीमत है.’’
‘‘फिलहाल एक शौट ही बहुत होगा, फुल एंजौय अगली बार के लिए.’’ सोहनवीर हंस कर बोला, ‘‘हम 30 हजार दे देंगे, आप फूलों की झलक दिखाइए.’’
‘‘आप मेरे साथ आइए,’’ मोहम्मद अरूप ने इशारा किया.
दोनों उस के साथ चल पड़े. मोहम्मद अरूप उन्हें पंचशील विहार की आदर्श हास्पिटल वाली गली के एक फ्लैट बी-49 में लाया. यहां बड़ा लोहे का गेट लगा था. मोहम्मद अरूप ने घंटी बजा कर कोड भाषा में कुछ बोला तो गेट खुल गया.
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