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सौजन्य- सत्यकथा

लेखक-  दिनेश बैजल ‘राज’/संजीव दुबे

उत्तर प्रदेश का फिरोजाबाद जिला चूडि़यों एवं कांच के सामान बनाने के लिए प्रसिद्ध है. इसी जिले के थाना सिरसागंज

के गांव जहांगीरपुर में देवीराम यादव अपने परिवार के साथ रहता था. देवीराम खेतीकिसानी करता था.

परिवार में उस की पत्नी के अलावा 3 बेटियां व सब से छोटा बेटा था. इन में तीसरे नंबर की बेटी नेहा थी. सुंदर होने के साथसाथ चंचल स्वभाव की नेहा गांव से करीब 10 किलोमीटर दूर सिरसागंज के एक इंटर कालेज में 10वीं कक्षा में पढ़ती थी.

इसी गांव में देवीराम के मकान के सामने सुघर सिंह यादव भी अपने परिवार के साथ रहता था. वह भी खेतीकिसानी करता था. इस काम में उस के बेटे उस का हाथ बंटाते थे. 4 बेटों में उत्तम तीसरे नंबर का था. कक्षा 10 में फेल होने के बाद उस का मन पढ़ाई से उचट गया. इस के बाद वह शटरिंग का काम करने लगा था.

नेहा और उत्तम के घर आमनेसामने होने और एक ही जाति के होने से दोनों के परिवारों में नजदीकियां थीं. 16 वर्षीय नेहा जवानी की दहलीज पर कदम रख चुकी थी. इस उम्र में लड़कियों का लड़कों के प्रति आकर्षण होना स्वाभाविक बात है. नेहा के साथ भी यही हुआ.

जब कभी घर के सामने दरवाजे पर खड़े उत्तम पर उस की नजर पड़ जाती, वह चोर निगाह से उसे देख लेती. धीरेधीरे उसे उत्तम अच्छा लगने लगा. जब वह स्कूल जाती तो रास्ते में अकसर उत्तम मिल जाता था. वह भी उसे चाहत की नजरों से देखता था. उस की उम्र करीब 20 साल थी. धीरेधीरे दोनों एकदूसरे की ओर आकर्षित हुए.

नेहा और उत्तम के बीच लुकाछिपी का यह सिलसिला काफी दिनों तक चलता रहा. दोनों एकदूसरे से अपने प्यार का इजहार करने में सकुचा रहे थे, क्योंकि उन का यह पहलापहला प्यार था.

एक दिन स्कूल जाते समय रास्ते में उत्तम ने हिम्मत जुटा कर नेहा से पूछ ही लिया, नेहा कैसी हो? तुम्हारी पढ़ाई कैसी चल रही है?

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नेहा तो इस पल का न जाने कब से इंतजार कर रही थी. उस ने मुसकराते हुए कहा, ‘‘मेरी पढ़ाई तो ठीक चल रही है, पर तुम कैसे हो?

‘‘मैं भी अच्छा हूं.’’ उत्तम ने जवाब दिया.

‘‘उत्तम तुम ने पढ़ाई क्यों छोड़ दी?’’ नेहा ने पूछा.

‘‘मेरा मन नहीं लगता था. कुछ काम करूंगा तो चार पैसे इकट्ठा कर लूंगा.’’

जब भी दोनों मिलते एकदूसरे की तरफ देख कर मुसकरा देते थे. इस दौरान दोनों का झुकाव एकदूसरे के प्रति गया. धीरेधीरे नेहा और उत्तम के प्रेम संबंध हो गए.

दोनों ने एकदूसरे को अपनेअपने मोबाइल नंबर भी दे दिए थे. जिस से उन के बीच फोन पर भी बातचीत होने लगी. रही बात मिलने की तो नेहा से वह उस के स्कूल जाने पर सिरसागंज में बेरोकटोक मिल लेता था.

धीरेधीरे उन का प्यार परवान चढ़ने लगा. दोनों किसी न किसी बहाने मिल लेते थे. उन के प्रेमसंबंध यहां तक पहुंच गए थे कि उन्होंने शादी तक करने का फैसला कर लिया था.

वे एक ही जाति के थे, इसलिए उन्हें पूरा विश्वास था कि उन के घर वालों को उन की शादी पर कोई ऐतराज नहीं होगा. लेकिन उन के सामने समस्या यह थी कि नेहा से बड़ी 2 बहनें अभी अविवाहित थीं.

नेहा और उत्तम मिलने और मोबाइल पर बात करने में पूरी सावधानी बरतते थे. लेकिन गांवों में प्यारमोहब्बत या अवैध संबंधों की बातें ज्यादा दिनों तक छिपती नहीं हैं. नेहा और उत्तम के मामले में भी यही हुआ.

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प्यार पर पहरा भी हुआ नाकाम

कई बार दोनों को साथ पकड़ा गया. इस के बाद नेहा के घर वालों ने उसे काफी समझाया और उत्तम से न मिलने की धमकी भी दी गई. किशोरी के परिजनों ने मेलजोल पर रोक के लिए उत्तम और उस के परिवार से भी शिकायत की. चेतावनी के बाद भी नेहा और उत्तम मिलते रहे, भविष्य की भूमिका बनाते रहे. हां, दोनों ने अब सावधानी जरूर बरतनी शुरू कर दी थी.

लेकिन प्रेम का रंग हलका हो या गाढ़ा, अपना रंग आसानी से नहीं छोड़ता. ज्यादा अंकुश लगाने का परिणाम यह हुआ कि प्रेमीयुगल पर प्यार का ऐसा खुमार चढ़ा कि दोनों ने घर से भाग कर शादी का निर्णय ले लिया. और फिर दोनों मार्च 2021 में अपनेअपने घरों से भाग गए.

किसी तरह इस बात का पता नेहा के घर वालों को लग गया. उन्होंने दोनों की तलाश शुरू कर दी. दोनों प्रेमी अभी सिरसागंज ही पहुंचे थे कि धर लिए गए.

दोनों को घर लाया गया. हंगामा भी हुआ. गांव वालों ने बीचबचाव कर दोनों पक्षों में समझौता करा दिया. समझौता भले ही हो गया हो, लेकिन दोनों परिवारों में तल्खी बढ़ती गई. अब नेहा पर कड़ा पहरा रहने लगा.

प्रेमी युगल किसी तरह सीने पर पत्थर रख कर कई महीने शांत रहे. नेहा के घर वालों ने भी सोचा कि अब शायद नेहा के सिर से प्यार का भूत उतर गया है. लेकिन उन की सोच गलत थी. दोनों के दिल में प्यार की आग धधक रही थी.

नेहा ने इस बात का फायदा उठाया और एक दिन मौका मिलते ही उत्तम से मिली.

वह उत्तम को देखते ही उस से लिपट गई.

उस की आंखों में आंसू आ गए. वह बोली, ‘‘उत्तम, मेरे घर वालों और गांव वालों से डर कर तुम मुझे कहीं भूल तो नहीं जाआगे?’’

इस पर उत्तम ने उस के होंठों पर हाथ रख कर उसे चुप कराते हुए कहा, ‘‘नेहा दो सच्चे प्रेमियों को मिलने से दुनिया की कोई ताकत नहीं रोक सकती. हमारे प्यार के बीच चाहे कितनी भी मुश्किलें आएं, मैं वादा करता हूं कि तुम्हारा हर तरह से साथ दूंगा. मैं जिंदगी भर तुम्हारा साथ नहीं छोड़ूंगा.’’

31 जुलाई, 2021 की सुबह 10 बजे दोनों अचानक लापता हो गए. उस समय दोनों के परिवार व आसपास के लोग अपनेअपने काम पर चले गए थे. प्रेमी युगल के फिर से लापता होने की किसी को खबर नहीं हुई.

काफी देर बाद दोनों के घर वालों को इस बात का पता चला. घर वाले उन्हें खोजने में जुट गए. कई घंटे की तलाश के बाद भी उन का सुराग नहीं लगा.

गांव वालों ने इस संबंध में पुलिस को सूचना देने की बात कही. लेकिन बदनामी के डर से नेहा के पिता देवीराम ने थाने में सूचना देने या रिपोर्ट करने से मना कर दिया.

सुघर सिंह और उस के परिजन बेटे उत्तम को रिश्तेदारियों व संभावित स्थानों पर तलाश करते रहे. इस के बाद 10 अगस्त को थाना सिरसागंज में सुघर सिंह ने अपने बेटे उत्तम की गुमशुदगी दर्ज करा दी.

गुमशुदगी दर्ज कराने के बाद गांव में उसे पता चला कि उत्तम का नेहा के घरवालों ने अपहरण कर लिया है.

पुलिस की 6 टीमें जुटीं जांच में

इस बात की जानकारी होने पर सुघर सिंह ने 12 अगस्त को जान से मारने की नीयत से उत्तम के अपहरण की रिपोर्ट भादंवि की धारा 364 के अंतर्गत नेहा के पिता देवीराम, चाचा शिवराज व गांव के ही श्याम बिहारी, रोहित, राहुल, अमन उर्फ मोनू तथा चालक गुंजन निवासी कुतुकपुर के विरुद्ध दर्ज करा दी.

रिपोर्ट दर्ज होने की भनक मिलते ही आरोपी फरार हो गए. मामले की गंभीरता को देखते हुए एसएसपी अशोक कुमार शुक्ला ने आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए एसपी (ग्रामीण) डा. अखिलेश नारायण के नेतृत्व में 6 टीमों का गठन किया.

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