सौजन्य- मनोहर कहानियां
Writer- शाहनवाज
‘प्यार की कोई उम्र नहीं होती, कोई मजहब नहीं होता, कोई जात नहीं होती. प्यार तो प्यार होता है, बस हो जाता है.’ इस तरह की बातें आप ने भी फिल्मों में खूब सुनी होंगी या हो सकता है ऐसे शब्दों का इस्तेमाल भी किया हो. लेकिन क्या हमारे समाज में इन बातों की वास्तविकता पर यकीन किया जा सकता है या फिर ये केवल फिल्मों तक ही सीमित हैं?
आज भी हमारे समाज में ऐसे क्रूर लोग मौजूद हैं जिन्हें ‘प्रेम’ शब्द से चिढ़ है. प्यार करने पर समाज के कुछ लोग धर्म, जात, वर्ग इत्यादि चीजों को ध्यान में रख कर प्यार करने वालों को अलग करने के लिए हर हद पार कर देते हैं.
यहां तक कि जिन बच्चों को वह जीवन भर प्यार करते हैं, जिन की खुशी के लिए परिवार वाले कुछ भी कर सकते हैं, उन्हें ही अपना पार्टनर चुनने की इतनी भयानक सजा दे देते हैं, जिसे सुन कर रूह कांप जाती है. ऐसी ही एक घटना उत्तर प्रदेश के गोरखपुर की है.
यह साल था 2015 का जब गोरखपुर के उनौली गांव के रहने वाले अनीश चौधरी (34) का उरूवा ब्लौक औफिस में ग्राम पंचायत अधिकारी के पद पर चयन हुआ था.
गोरखपुर के दीन दयाल उपाध्याय यूनिवर्सिटी में प्राचीन इतिहास में पोस्ट ग्रैजुएशन की पढ़ाई कर चुके अनीश बहुत मेहनती था. वह खुद के दम पर कुछ बनना चाहता था और उसी के लिए वह दिनरात मेहनत करता था.
तरहतरह की सरकारी नौकरियों के फौर्म भरना, एग्जाम देना, इंटरव्यू की तैयारी करना, उस के हर दिन के जीवन का हिस्सा थी जोकि ग्राम पंचायत अधिकारी बनने के बाद उन का यह सपना पूरा हो गया था.
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