सौजन्य- सत्यकथा
7 जून को पुलिस को मृतक शैलेंद्र की काल डिटेल्स मिल गई थी. विवेचनाधिकारी सिंह ने काल डिटेल्स का अध्ययन किया तो उस में एक नंबर ऐसा भी मिला, जिस से काफी बातचीत हुई थी. पुलिस ने मृतक की पत्नी से उस नंबर के बारे में जानकारी मांगी तो वह नंबर मृतक के दामाद पवन कुमार का निकला.
विवेचनाधिकारी सिंह की नजरों में पता नहीं क्यों पवन संदिग्ध रूप में चढ़ गया था. फिर उन्होंने पवन के बारे में सरिता देवी से जानकारी ली. सास सरिता देवी ने उन्हें दामाद पवन के बारे में जो जानकारी दी, सुन कर वह चौंक गए थे.
पता चला कि पवन ने अपनी पत्नी सृष्टि के होते हुए अपने बड़े साले पीयूष की पत्नी निभा से प्रेम विवाह कर लिया था. यही नहीं, एक मोटी रकम को ले कर ससुर शैलेंद्र और दामाद पवन के बीच कई महीनों से रस्साकशी चल रही थी.
दरअसल, बिहारशरीफ रेलवे स्टेशन के पास एक 5 कट्ठे की जमीन थी. वह जमीन शैलेंद्र कुमार को पसंद आ गई थी. दामाद पवन ने उन्हें वह जमीन दिलवाने की हामी भी भर दी थी. दामाद के जरिए 60 लाख में जमीन का सौदा भी पक्का हो गया था.
जमीन मालिक को कुछ पैसे एडवांस दिए जा चुके थे और 17 जून को जमीन का बैनामा छोटे बेटे मनीष के नाम होना तय हो गया था. इसी दौरान शैलेंद्र की हत्या हो गई.
खैर, पुलिस ने पवन के मोबाइल नंबर को सर्विलांस में लगा दिया और मुखबिरों को भी उस के पीछे लगा दिया ताकि उस की गतिविधियों के बारे में सहीसही पता लग सके.
अंतत: पवन वह गलती कर ही बैठा, जिस की संभावना पुलिस को बनी हुई थी. उस गलती के बिना पर पुलिस ने पवन को उस के रामकृष्णनगर स्थित घर से धर दबोचा और उसे पूछताछ के लिए थाने ले आई.
पुलिस ने पवन से कड़ाई से पूछताछ करनी शुरू की तो पवन एकदम से टूट गया और ससुर की हत्या का जुर्म कुबूल करते हुए कहा, ‘‘हां सर, मैं ने ही सुपारी दे कर ससुर की हत्या कराई थी. मुझे माफ कर दीजिए सर, मैं पैसों के लालच में अंधा हो गया था.’’ कह कर वह रोने लगा.
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‘‘तुम्हारे इस काम में और कौनकौन थे या फिर तुम ने यह सब अकेले ही किया?’’ विवेचनाधिकारी मनोज कुमार ने सवाल किया.
‘‘साहब, मेरे इस काम में मेरी दूसरी पत्नी निभा, छोटा भाई टिंकू और शूटर अमर शामिल थे.’’ उस ने बताया.
‘‘ठीक है तो ले चलो सभी गुनहगारों के पास.’’
इस के बाद पुलिस पवन को कस्टडी में ले कर रामकृष्णनगर पहुंची और उस की पत्नी निभा तथा छोटे भाई टिंकू को गिरफ्तार कर लिया. उसी दिन कंकड़बाग के अशोकनगर कालोनी से शूटर अमर को भी गिरफ्तार कर लिया गया.
तीनों आरोपियों ने भी अपने जुर्म कुबूल कर लिए. उस के बाद इस हत्या की जो कहानी सामने आई, बेहद चौंकाने वाली थी, जहां पैसों के लालच में अंधे हुए दामाद ने कई रिश्तों का कत्ल कर दिया था. पढ़ते हैं इस कहानी को—
60 वर्षीय शैलेंद्र कुमार सिन्हा मूलत: बिहार के नालंदा जिले के गड़पर प्रोफेसर कालोनी के रहने वाले थे. उन के परिवार में कुल 5 सदस्य थे. पत्नी सरिता देवी और 2 बेटे पीयूष व मनीष और एक बेटी सृष्टि. घर में किसी चीज की कमी नहीं थी.
भौतिक सुखसुविधाओं की ऐसी कोई चीज नहीं थी, जो उन के घर में मौजूद न हो. उस पर से वह खुद भारतीय स्टेट बैंक के मैनेजर थे. उन की अच्छीभली तनख्वाह थी, इसलिए जिंदगी बड़े मजे से कट रही थी.
शैलेंद्र का बड़ा बेटा पीयूष दिव्यांग था. वह पूरी तरह से चलफिर नहीं सकता था. बेटे की हालत देख कर उन के कलेजे में टीस उठती थी.
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छोटा बेटा मनीष हृष्टपुष्ट और तंदुरुस्त था, शरीर से भी और दिमाग से भी. पढ़ने में वह अव्वल था. अपनी योग्यता और काबिलियत की बदौलत मनीष की बैंक में नौकरी लग गई थी और वह असम के गुवाहाटी में तैनात था.
शैलेंद्र ने समय रहते दोनों बेटों की शादी कर दी थी. जिम्मेदारी के तौर पर एक बेटी बची थी शादी करने के लिए, सो उस के लिए भी वह योग्य वर की तलाश कर रहे थे. उन्होंने रिश्तेदारों के बीच में बात चला दी कि बेटी के योग्य कोई अच्छा वर मिले तो बताएं. रिश्तेदारों के बीच से पटना का रहने वाला पवन कुमार का रिश्ता आया.
पवन राजधानी पटना की पौश कालोनी में कोचिंग सेंटर चलाता था. कोचिंग से उस की अच्छीखाई कमाई हो जाया करती थी. बैंक मैनेजर शैलेंद्र को यह रिश्ता पसंद आ गया. उन्होंने बेटी सृष्टि की शादी पवन से कर के अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन कर दिया.
पवन कुमार 2 भाई थे. दोनों भाइयों में पवन बड़ा था और टिंकू कुमार छोटा. दोनों में पवन सुंदर और बेहद समझदार था. वह कोचिंग से इतना कमा लेता था कि अपना खर्च निकालने के बाद कुछ बैंक बैलेंस बना लिया था.
खैर, शैलेंद्र को यह रिश्ता पसंद आ गया और उन्होंने बेटी सृष्टि की शादी पवन से कर दी. एक प्रकार से पवन के कंधों पर ससुराल की देखरेख की जिम्मेदारी भी आ गई थी.
वह ऐसे कि बड़ा साला पीयूष दिव्यांग था. छोटा साला मनीष परिवार ले कर नौकरी पर गुवाहाटी में रहता था. घर पर बचे सासससुर. उन की देखरेख के लिए एक व्यक्ति की जरूरत रहती थी, सो दामाद पवन सास और ससुर की सेवा के लिए सदैव तत्पर रहता था.
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दामाद के इस व्यवहार से सासससुर दोनों बहुत खुश रहते थे. वैसे भी बिहार की यह परंपरा है कि बेटी और दामाद घर के मालिक की तरह होते हैं. सास और ससुर बेटी और दामाद की सलाहमशविरा के बिना कोई काम नहीं करते थे.
कोई भी काम होता तो वे दामाद से रायमशविरा लिए बिना नहीं करते थे. बारबार ससुराल आनेजाने से बड़े साले पीयूष की पत्नी निभा, जो रिश्ते में पवन की सलहज लगती थी, दोनों के बीच खूब हंसीठिठोली होती थी.
हंसीठिठोली होती भी कैसे नहीं, उन का तो रिश्ता था ही मजाक का. मजाक का यह रिश्ता दोनों के बीच में कब प्रेम के रिश्ते में बदल गया, न तो पवन जान सका और न ही निभा.
यह रिश्ता प्रेम तक ही कायम नहीं रहा, बल्कि यह जिस्मानी रिश्ते में बदल गया था और पहली पत्नी के रहते पवन ने सलहज निभा से कोर्टमैरिज कर ली और उसे ले कर पटना में रहने लगा था.
अगले भाग में पढ़ें- पवन सलहज से पत्नी बनी निभा को साथ ले कर पटना में रहने लगा था