संतोष तुम्हारे पास पैसे तो बहुत होते हैं, फिर भी तुम पैसों की चिंता में रहते हो, क्यों भाई? तुम्हारा मालिक भी तुम पर कितना भरोसा करता है. पैसा, गाड़ी सब तुम्हारे भरोसे पर रखा है.’’ प्रिंटिंग प्रैस में काम करने वाले अजय ने अपने दोस्त संतोष को समझाते हुए कहा.
‘‘यार तुम लोगों को लगता है कि जो पैसा, गाड़ी है, वह मेरे लिए है. तुम लोग बहुत भोले और नासमझ हो. तुम्हें पता होना चाहिए कि हर मालिक अपने काम से काम रखता है. जब तक उस का काम रहता है, तब तक गाड़ी और पैसा सब देगा. काम निकलने के बाद न गाड़ी देगा और न पैसा. हम जैसों को कुत्ता समझते हैं. एक गलती करो तो 10 गाली मिलती हैं और नौकरी से निकालने की धमकी अलग.’’ संतोष पर शराब का नशा चढ़ चुका था. वह अपने मन की भड़ास निकालते हुए बोला.
‘‘संतोष, तुम अजय भाई की बात को समझो कि वह कहना क्या चाहते हैं? हम तीनों में सब से ज्यादा खुशहाल तुम्हारा ही मालिक है. तुम ही कुछ कर सकते हो.’’ संतोष और अजय के तीसरे दोस्त सर्वेश ने दोनों के बीच में हस्तक्षेप करते हुए कहा.
‘‘बात तो हम समझते हैं अजय भाई, पर करें क्या. यह नहीं समझ आ रहा है. हम उस से कैसे पैसे निकालें. तुम लोग बताओ, हम हर काम करने को तैयार हैं.’’ संतोष ने कहा.
‘‘संतोष भाई, तुम्हारा मालिक मोटी मुरगी है. बस तुम उस की कमजोर नस दबा दो, वह खुद मुंहमांगी रकम दे देगा. फिल्में नहीं देखते, मालिकों से कैसे पैसा लिया जाता है.’’ अजय ने संतोष को समझाया.
आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें
डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

सरस सलिल सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं
- सरस सलिल मैगजीन का सारा कंटेंट
- 1000 से ज्यादा सेक्सुअल हेल्थ टिप्स
- 5000 से ज्यादा अतरंगी कहानियां
- चटपटी फिल्मी और भोजपुरी गॉसिप
- 24 प्रिंट मैगजीन
डिजिटल

सरस सलिल सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं
- सरस सलिल मैगजीन का सारा कंटेंट
- 1000 से ज्यादा सेक्सुअल हेल्थ टिप्स
- 5000 से ज्यादा अतरंगी कहानियां
- चटपटी फिल्मी और भोजपुरी गॉसिप