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घटना की वस्तुस्थिति जानने के लिए पुलिस टीम सब से पहले क्राइम साइट पर पहुंची. अभी तक की जांचपड़ताल में पुलिस को यही पता चला था कि घटना वाली रात पतिपत्नी दोनों रांची से दुर्गा पूजा की खरीदारी कर के घर लौट रहे थे. इसी बीच घटना घटी थी.

लेकिन इस में एक बात खटक रही थी कि हत्यारों ने घटना को लूट की नीयत से तो अंजाम दिया नहीं था. अगर लूट की नीयत से वारदात की गई होती तो कार्तिक की पत्नी के साथ जरूर लूटपाट हुई होती, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ था.

दूसरी बात यह कि पत्नी की आंखों के सामने 4-5 अपराधी लाठी, डंडे और रौड से पति पर हमला करते रहे और पत्नी ने विरोध तक नहीं किया. वह कार में बैठेबैठे पति की हत्या का नजारा देखती रही. यह बात किसी के गले नहीं उतर रही थी.

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तीसरी सब से खास बात यह, जोकि प्रीति ने पूछताछ में बताई थी कि अपराधी 2 बाइकों पर सवार हो कर पिठोरिया चौक की ओर भागे थे. उस मार्ग के सभी सीसीटीवी कैमरे की फुटेज खंगालने पर उस रात बताए गए समय पर कोई भी बाइक से भागते हुए नहीं दिखा था. इस का मतलब था कि प्रीति झूठ बोल रही थी. पुलिस को प्रीति पर संदेह हो गया कि इस घटना में उस की कोई भूमिका जरूर है.

सच का पता लगाने के लिए पुलिस ने कार्तिक और उस की पत्नी प्रीति की काल डिटेल्स निकलवाई. प्रीति की काल डिटेल्स देख कर पुलिस के पैरों तले से जमीन खिसक गई. घटना के समय प्रीति के फोन की लोकेशन मौके पर पाई गई. उस के फोन से घटना के कुछ देर पहले तक एक नंबर पर कई बार काल की गई थी. प्रीति की काल डिटेल्स ने पुलिस के इस शक को और पुख्ता कर दिया कि पति की हत्या में प्रीति का हाथ है. जांचपड़ताल से एक बात तो साफ हो गई थी कि कार्तिक की हत्या प्रेम प्रसंग के चलते हुई थी. लेकिन प्रीति को गिरफ्तार करने से पहले पुलिस उस के खिलाफ सबूत इकट्ठा कर लेना चाहती थी, ताकि अदालत में उस का मखौल न उड़े.

पुलिस ने प्रीति की काल डिटेल्स से नंबर ले कर उस नंबर की काल डिटेल्स निकलवाई, जिस से प्रीति की घटना के ठीक पहले कई बार बात हुई थी. वह नंबर खूंटी जिले के लोधमा कर्रा के रहने वाले अंकित केसरी उर्फ  बिट्टू का था, जिस से दोनों के बीच बातचीत हुई थी.

पुलिस ने अंकित के घर लोधमा कर्रा में दबिश दी तो वह फरार मिला. घर वालों से पूछताछ पर पता चला कि वह करीब 15 दिनों से कहीं गया हुआ है. कहां गया है, घर वालों को भी नहीं पता था.

प्रीति का प्रेमी अंकित आया संदेह के दायरे में

अंकित का घर से फरार होना पुलिस के शक को मजबूत कर रहा था. पुलिस को लग रहा था इस हत्याकांड में अंकित का हाथ अवश्य है तभी वह घटना के बाद से फरार है. कार्तिक हत्याकांड के खुलासे की एक आखिरी कड़ी मृतक की पत्नी प्रीति ही थी, जिस से पूछताछ कर के घटना से परदा उठ सकता था. वैसे भी 2 सप्ताह बीत चुके थे. घटना के खुलासे के लिए पुलिस पर दबाव था.

10 अक्टूबर, 2019 को पुलिस मृतक की पत्नी प्रीति को विक्टोरिया से हिरासत में ले कर पूछताछ के लिए थाना कांके ले आई. पुलिस ने उस से कड़ाई से पूछताछ शुरू की. लेकिन प्रीति पुलिस को भरमाती रही कि वह निर्दोष है, पति की हत्या में उस का कोई हाथ नहीं है.

पुलिस ने जब उस के सामने अंकित से बातचीत की काल डिटेल्स रखी तो वह घबरा गई. खुद को फंसता देख उसने अपना जुर्म कबूल कर लिया. उसी के कहने पर उस के प्रेमी अंकित केसरी उर्फ बिट्टू ने अपने साथियों के साथ मिल कर कार्तिक केसरी को मौत के घाट उतारा था.

इस के बाद प्रीति ने घटनाक्रम के बारे में विस्तार से बता दिया. अपने ही सिंदूर को मिटाने वाली पत्नी की करतूतों को जिस ने भी सुना, हैरत में रह गया. बहरहाल, पुलिस ने प्रीति को अदालत के सामने पेश कर जेल भेज दिया. प्रीति से हुई पूछताछ में कई आरोपितों अंकित केसरी उर्फ बिट्टू, उज्जवल केसरी, दीपक लिंडा और विशाल कुमार पांडेय के नाम सामने आए.

पुलिस आरोपियों की गिरफ्तारी की कोशिश में लगी थी. घटना के बाद से ही सभी आरोपी भूमिगत हो गए थे. जब तक पुलिस जांच की प्रक्रिया आगे बढ़े, आइए जानते हैं दिल दहला देने वाली इस कहानी की पृष्ठभूमि—

35 वर्षीय कार्तिक केसरी मूलरूप से खूंटी जिले के पिठोरिया थानाक्षेत्र के विक्टोरिया का रहने वाला था. उस के पिता जनार्दन केसरी क्षेत्र के बड़े काश्तकारों में गिने जाते थे. उन के पास खेती की कई एकड़ जमीन थी, जिस में अच्छी पैदावार होती थी. उन के परिवार में कुल जमा 4 सदस्य थे. 2 पतिपत्नी और 2 संतानें. एक बेटा कार्तिक और दूसरी बेटी. बेटी का विवाह हो चुका था.

पढ़लिख कर कार्तिक भी जवान हो गया था. वह पिता के साथ खेती के कामों में हाथ बंटाता था. एकलौता होने की वजह से उन्होंने बेटे को सरकारी नौकरी के लिए आवेदन नहीं करने दिया था. उन का कहना था कि हमारे पास सब कुछ तो है, सरकारी नौकरी कर के क्या हासिल होगा.

कार्तिक भी यही सोचता था कि अगर वह नौकरी पर चला गया तो उस के बूढ़े मांबाप की सेवा कौन करेगा. उन के बुढ़ापे की एक आखिरी लाठी तो वही है, इसलिए उस ने कभी भी बाहर जाने की नहीं सोची.

कार्तिक शादी लायक हो चुका था. उस के लिए कई जगह से रिश्ते आ रहे थे. उन्हीं में एक रिश्ता लोधमा कर्रा के कुलहुट्टू से आया था. लड़की खूबसूरत, गुणी तथा संस्कारी बताई गई थी, नाम था प्रीति. जनार्दन केसरी को यह रिश्ता पसंद आ गया. उन्होंने सन 2011 में बेटे को प्रीति संग परिणय सूत्र में बांध दिया. प्रीति ससुराल विक्टोरिया आई तो वह खुश नहीं थी. उस ने जिस खूबसूरत राजकुमार के सपने संजोए थे, वे धरे का धरे रह गए थे. प्रीति के मुताबिक उस का पति भले ही अमीर था, लेकिन खूबसूरती के मामले में बेहद गरीब था. यह अलग बात है कि कार्तिक और उस के घर वाले प्रीति को पलकों पर बैठा कर रखते थे.

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आखिर वह घर की एकलौती बहू थी. कार्तिक तो हर घड़ी उस की फिक्र में रहता था. अच्छे से अच्छा खाना, मनपसंद कपड़े, गहने सब कुछ था प्रीति के पास. फुरसत मिलती तो कार्तिक मांबाप से अनुमति ले कर प्रीति को सिनेमा दिखाने भी ले जाता था. कार्तिक पत्नी को खुश रखने का हरसंभव प्रयास करता था. समय के साथ प्रीति 2 बेटियों निशा (7 साल) और परी (3 साल) की मां बन गई थी.

भले ही प्रीति 2 बेटियों की मां बन गई थी, लेकिन आज भी उस का मन मायके कुलहुट्टू में ही अटका रहता था, क्योंकि वहां उस का प्रेमी दिलबर अंकित केसरी उर्फ बिट्टू रहता था.

बचपन का प्यार था दोनों का

बचपन में प्रीति और अंकित दोनों साथसाथ स्कूल जाया करते थे. वे सच्चे दोस्त थे. अगर किसी दिन प्रीति स्कूल नहीं जाती तो उस दिन अंकित भी कोई न कोई बहाना बना कर स्कूल नहीं जाता था. जिस दिन अंकित स्कूल नहीं जाता था, उस रोज प्रीति पेट दर्द का बहाना बना कर छुट्टी कर लेती थी. ऐसी दोस्ती थी दोनों के बीच. धीरेधीरे दोनों बड़े हुए. फिर पता नहीं कब उन की दोस्ती प्यार में बदल गई. उन्हें प्यार का एहसास तब हुआ, जब  एक दिन भी न मिल पाते तो बेचैन हो जाते. ये बेचैनी ही उन्हें प्यार होने का एहसास दिला रही थी.

प्रीति और अंकित दोनों एकदूसरे से मोहब्बत करते थे. वे एक जिस्म दो जान थे. अंकित दिल था तो प्रीति धड़कन. उस की नसनस में प्रीति खून बन कर समाई थी. वे दोनों एकदूसरे से इतना प्यार करते थे कि एकदूसरे के बिना जीने की कल्पना ही नहीं करते थे.

स्कूल के दिनों में हुआ प्यार जब कालेज तक पहुंचा तो प्रीति और अंकित संजीदा हो गए. अपने प्यार को दोनों एक खास मुकाम पर ले जाना चाहते थे. चूंकि दोनों एक ही गांव में और पासपड़ोस में रहते थे, इसलिए ऐसा संभव नहीं था.

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