रात के 10 बज रहे थे. काली चौड़ी सड़कें स्ट्रीट लाइट की दूधिया रोशनी में नहाई हुई थीं. सड़क पर इक्कादुक्का वाहनों का जानाआना जारी था. खाली पड़ी सड़क पर सफेद रंग की एक वैगनआर कार सामान्य रफ्तार से दौड़ रही थी. कार की ड्राइविंग सीट पर 35 वर्षीय कार्तिक केसरी बैठा था.
उन की बगल वाली सीट पर पत्नी प्रीति बैठी थी. पतिपत्नी दोनों बेहद खुश थे. ये लोग झारखंड की राजधानी रांची से दुर्गा पूजा का सामान खरीद कर घर लौट रहे थे. उन का घर खूंटी जिले के पिठोरिया थाना क्षेत्र के विक्टोरिया में था.
जैसे ही कार्तिक की कार खूंटी जिले के बाड़ू चौक के पास पहुंची, एक मोटरसाइकिल पर सवार 2 युवक उस की कार को ओवरटेक करते हुए सामने आ गए. उन्होंने अपनी बाइक तिरछी कर के कार के आगे खड़ी कर दी.
बाइक सामने आने से कार्तिक ने अचानक ब्रेक लगा कर कार को रोका. उन की कार बाइक से टकरातेटकराते बची. बाइक से करीब 10 मीटर दूर सफेद रंग की एक स्कौर्पियो कार खड़ी थी.
कार्तिक कुछ समझ पाता, तब तक दोनों बाइक सवार उस के करीब पहुंच गए और गालियां देते हुए उसे कार से बाहर निकलने को कहने लगे. इतने में स्कौर्पियो से भी 2 युवक बाहर निकले. उन में से एक के हाथ में करीब 3 फीट लंबा और मोटा लोहे का रौड था.
कार्तिक समझ गया कि उन की नीयत ठीक नहीं है. पतिपत्नी बुरी तरह से डर गए थे. दोनों कातर निगाहों से एकदूसरे को देखने लगे. कार्तिक समझ नहीं पा रहा था कि क्या करें?
चारों ओर गहरा सन्नाटा पसरा था. दूरदूर तक कोई नहीं दिख रहा था, जिसे मदद के लिए पुकारा जाता. जबकि वे चारों बारबार उसे कार से बाहर निकलने के लिए गालियां दिए जा रहे थे. कार्तिक से जब नहीं रहा गया तो वह कार का दरवाजा खोल कर बाहर आ गया.
जैसे ही वह कार से बाहर निकला, वे चारों हिंसक पशु की तरह उस पर टूट पड़े, उस पर लात और घूंसों की बारिश कर दी. इसी बीच लोहे की रौड वाले युवक ने कार्तिक के सिर के पीछे से जोरदार वार किया.
उस का वार इतना जोरदार था कि एक ही वार में कार्तिक का सिर फट गया. उस के मुंह से दर्दनाक चीख निकली और वह कटे वृक्ष की तरह हवा में लहराता हुआ जमीन पर आ गिरा. जहां वह गिरा, उस के चारों ओर खून फैलने लगा. चारों युवक जब पूरी तरह आश्वस्त हो गए कि वह मर चुका है तो वे वहां से चले गए.
प्रीति देखती रही पति को पिटते हुए
डरीसहमी प्रीति आंखों के सामने पति पर हुए हमले को देखती रही. हमलावरों के जाने के बाद वह रोती हुई कार से बाहर निकली. पति को हिलाडुला कर देखा. उस के शरीर में कोई हलचल नहीं थी, वह मर चुका था. प्रीति जोरजोर से रोने लगी. उस की समझ में नहीं आ रहा था कि संकट की इस घड़ी में मदद के लिए किसे पुकारे.
रोतेरोते उसे अपनी बहन का बेटा शंकर याद आया. उस ने फोन कर के पूरी बात शंकर को बता दी. मौसी की बात सुन कर शंकर बुरी तरह घबरा गया. उस ने मौसी की हिम्मत बढ़ाई और कहा कि घबराएं नहीं, वह अभी पहुंच रहा है.
शंकर ने फोन काट दिया और घटनास्थल के लिए रवाना हो गया. इस बीच प्रीति ने अपने ससुर जनार्दन केसरी और चचेरे देवर रंजीत को भी फोन कर के घटना की सूचना दे दी थी. सूचना मिलते ही कार्तिक के घर वाले वहां पहुंच गए.
शंकर ने समझदारी दिखाते हुए सब से पहले पतले, रंगीन गमछे से कार्तिक का सिर बांधा, जहां से अभी भी खून बह रहा था. फिर वहां आए लोगों ने आननफानन में कार्तिक को कार में डाला और मेडिका हास्पिटल ले गए, जहां डाक्टरों ने उसे देखते ही मृत घोषित कर दिया. उस समय रात के 12 बज रहे थे और तारीख थी 28 सितंबर, 2019.
वह इलाका कांके थाने में आता था. जैसे ही कार्तिक केसरी की हत्या की सूचना कांके थाने को मिली, थानेदार विनय कुमार सिंह पुलिस टीम के साथ मेडिका हास्पिटल पहुंच गए. हास्पिटल में भारी भीड़ एकत्र थी.
मृतक कार्तिक केसरी कोई सामान्य आदमी नहीं था, वह पिठोरिया का राशन डीलर और सामाजिक कार्यकर्ता था. दूरदूर तक के लोग उस के नाम से वाकिफ थे. उस के जानने वालों को जैसे ही उस की हत्या की सूचना मिली, वे मेडिका हास्पिटल पहुंच गए.
एसओ विनय सिंह भांप गए थे कि अगर अतिरिक्त पुलिस फोर्स नहीं बुलाई गई तो वहां बड़ा हंगामा हो सकता है, इसलिए उन्होंने उसी समय एसएसपी अनीश गुप्ता, एसपी अमित रेणू और डीएसपी-1 नीरज कुमार को वस्तुस्थिति से अवगत करा कर मौके पर पुलिस फोर्स भेजने का आग्रह किया.
एसएसपी अनीश गुप्त ने स्थिति को नियंत्रण में रखने के लिए पिठोरिया थाने के थानेदार विनोद राम को मय फोर्स के अस्पताल भेज दिया. दोनों थानों की पुलिस ने मेडिका अस्पताल पहुंच कर स्थिति को काबू में कर लिया था.
कुछ देर बाद एसपी अमित रेणू और डीएसपी-1 नीरज कुमार भी अस्पताल पहुंच गए. अधिकारियों से कार्तिक के घर वाले एक ही मांग कर रहे थे कि हत्यारों को जल्द से जल्द गिरफ्तार किया जाए, अन्यथा यहां जमा भीड़ को हम नहीं रोक पाएंगे. फिर इस का जिम्मेदार खुद प्रशासन होगा. अमित रेणू ने पीडि़तों को भरोसा दिलाते हुए कहा कि कानून की मदद करें. हत्यारे जल्द ही गिरफ्तार कर लिए जाएंगे. कानून को अपने तरीके से काम करने दें.
उस वक्त तो पीडि़त के घरवाले कुछ नहीं बोले, एसपी साहब की बात सुन कर खामोश रह गए और वहां एकत्र लोगों को भी समझा दिया कि कानून को अपना काम करने दें.
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पुलिस ने कार्तिक की लाश को कब्जे में ले कर उसे पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया. एसपी अमित रेणू ने कार्तिक के चचेरे भाई रंजीत से मृतक की किसी से दुश्मनी के बारे में पूछा तो उस ने बताया कि गांव में उस के जैसा हंसमुख और मिलनसार कोई नहीं था. दुश्मनी का तो कोई सवाल ही नहीं था.
फिर उन्होंने घटना की एकमात्र चश्मदीद मृतक की पत्नी प्रीति से पूछताछ की. प्रीति ने रोतेरोते पुलिस को बताया कि कार्तिक को 4-5 लोगों ने मिल कर लाठी, डंडे और रौड से मारमार कर जख्मी कर दिया था. इस के बाद वे 2 बाइकों से पिठोरिया चौक की ओर भाग निकले थे. दूर होने की वजह से वह उन का चेहरा ठीक से नहीं देख पाई थी.
पूछताछ करने के बाद एसपी अमित रेणू वापस लौट गए. उधर थानाप्रभारी (कांके) विनय कुमार सिंह और एसओ (पिठोरिया) विनोद राम कुछ पुलिसकर्मियों के साथ मृतक के घर वालों को ले कर घटनास्थल पहुंचे.
घटनास्थल पर काफी दूरी तक खून फैल कर सूख चुका था. साक्ष्य के लिए पुलिस ने खून सनी मिट्टी का नमूना ले कर रख लिया. इस के अलावा वहां पुलिस को कोई और साक्ष्य नहीं मिला. कागजी खानापूर्ति करतेकरते पुलिस को रात के करीब 2 बज गए थे. उसी रात मृतक कार्तिक के पिता जनार्दन केसरी की तहरीर पर पुलिस ने 5 अज्ञात हत्यारों के खिलाफ धारा 302, 201 भादंसं के तहत मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी.
पुलिस पर दबाव था हत्यारों को गिरफ्तार करने का
अगली सुबह महावीर मंडल दल के जिला अध्यक्ष कृष्णा नायक और जन वितरण प्रणाली संघ के अध्यक्ष अनिल केसरी ने अपने समर्थकों के साथ पिठोरिया चौक को जाम कर दिया और हत्यारों की तत्काल गिरफ्तारी की मांग करने लगे.
चौक जाम की सूचना मिलते ही एसपी अमित रेणू वहां पहुंच गए. उन्होंने आंदोलनकारियों से बात की और फिर से भरोसा दिलाया कि हत्यारे चाहे कितने ही ताकतवर क्यों न हों, कानून से बच नहीं सकते. उन्हें जल्दी ही गिरफ्तार कर लिया जाएगा. एसपी के भरोसा दिलाने के बाद आंदोलनकारियों ने धरना समाप्त किया.
30 सितंबर को कार्तिक केसरी की पोस्टमार्टम रिपोर्ट आई. पोस्टमार्टम रिपोर्ट की एक कौपी थानाप्रभारी विनय कुमार सिंह के पास थी. उन्होंने रिपोर्ट के एकएक बिंदु को गौर से पढ़ा. रिपोर्ट में मौत का कारण सिर में आई गहरी चोट और अत्यधिक रक्तस्राव बताया गया था. कार्तिक केसरी की हत्या को 3 दिन बीत चुके थे. 3 दिन बीत जाने के बावजूद पुलिस एक कदम भी आगे नहीं बढ़ पाई थी. एसएसपी अनीश गुप्ता ने घटना के खुलासे के लिए डीएसपी-1 नीरज कुमार के नेतृत्व में एक टीम गठित की.
इस टीम में एसओ (कांके) विनय कुमार सिंह और उन के तेजतर्रार, भरोसेमंद पुलिसकर्मी शामिल थे. टीम गठित करने के बाद पुलिस ने नए सिरे से घटना की बारीकी से जांच की.
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