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अगले दिन विजय मां को आगरा ले आया. सास के आ जाने के बाद प्रेमलता का अजय से घर में मिलना संभव नहीं था. यह चिंता प्रेमलता ने अजय के सामने जाहिर की तो अजय ने कहा, ‘‘घर में न सही, हम बाहर मिल लेंगे. तुम क्यों फिक्र करती हो.’’

‘‘मुझे लग रहा है कि विजय को मुझ पर शक हो गया है. अब वह रोज रात को दारू की बोतल ले आता है. तुम तो जानते हो न गुस्से में उसे कुछ होश नहीं रहता और अगर उसे मेरे तुम्हारे रिश्ते के बारे में पता चल गया तो पता नहीं वह क्या करेगा. वैसे भी इस रिश्ते का अंत क्या है?’’ प्रेमलता बोली.

‘‘मैं क्या जानूं भाभी, मैं तो इतना जानता हूं कि मैं तुम से प्यार करने लगा हूं. मेरा चंचल मन तुम्हारे इर्दगिर्द ही मंडराता रहता है. हां, अगर तुम चाहो तो हम यहां से कहीं दूर चले जाएंगे और अपनी दुनिया बसा लेंगे.’’ अजय ने सुझाव दिया.

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‘‘लेकिन मेरे बेटे का क्या होगा? इस तरह तो दो परिवारों के बीच दुश्मनी हो जाएगी. नहीं, अभी ऐसे ही चलने दो, फिर आगे देखते हैं क्या होता है.’’ प्रेमलता ने सलाह दी.

अजय का पहले की तरह ही विजय के यहां आनाजाना लगा रहा, जो विजय की मां को अखरता था. वह बीमार जरूर थीं लेकिन उन की अनुभवी नजरों ने बहू के चालचलन को पहचान लिया. उन्होंने महसूस किया कि किसी से फोन पर बात करने के बाद बहू खरीदारी के बहाने बाहर चली जाती है. उसे लगा कि जरूर दाल में काला है.

एक दिन उस ने बेटे से कहा, ‘‘मैं हफ्ते भर से यहां हूं, अब घर जाना चाहती हूं. पर यहां सब कुछ ठीक नहीं है. गांव की बात दूसरी थी पर अजय यहां भी बहू के आगेपीछे मंडराता रहता है.’’

‘‘अम्मा, अजय तो बचपन से हमारे घर आता है. प्रेमलता को भी बहुत मानता है. तुम ऐसा क्यों सोचती हो.’’ विजय ने समझाना चाहा.

‘‘अब तू ही देख ले, कल तेरे पिताजी मुझे ले जाएंगे और जब दवा खत्म हो जाएगी तो मैं तुम्हें बता दूंगी.’’

अगले दिन मुन्ना सिंह पत्नी को लिवा ले गए. मां की बातों से न न करते हुए भी विजय के दिलोदिमाग में शक का बीज अंकुरित हो गया.

पिछले हफ्ते विजय के एक साथी ने प्रेमलता को बाजार में अजय के साथ देखा था. यह बात उस ने विजय को बताई तो उसे विश्वास नहीं हुआ था कि उस की पत्नी और अजय के बीच कुछ चक्कर है.

फिर भी अगले दिन उस ने प्रेमलता से पूछा, ‘‘अजय, मेरी गैरमौजूदगी में यहां क्यों आता है?’’

‘‘अगर तुम कहो तो मैं उसे मना कर दूंगी.’’ प्रेमलता बोली.

‘‘नहींनहीं, चलो छोड़ो, मैं ने तो ऐसे ही पूछ लिया.’’

लेकिन यह ऐसे ही पूछ लेना प्रेमलता के लिए खतरे की घंटी की तरह था. इसलिए अब वह सतर्क रहने लगी.

सास के चले जाने के बाद प्रेमलता ने चैन की सांस ली. विजयपाल को कभीकभी लगता था कि उस का शक गलत भी हो सकता है, लेकिन शक से छुटकारा पाना भी आसान नहीं होता.

अजय के दिल में भी एक अजीब सी हलचल थी. अब प्रेमलता के साथ अपनी दुनिया बसाना चाहता था. वह उस की हर इच्छा पूरी करने के लिए तैयार था.

पिछले कुछ दिनों से वह रोज रात को घर चला जाता था, लेकिन 12 दिसंबर, 2019 को वह घर नहीं पहुंचा और उस का फोन भी स्विच्ड औफ आ रहा था.

रामअवतार ने विजयपाल को फोन किया तो उस ने कहा कि अजय से तो उस की कई दिनों से मुलाकात नहीं हुई.

उन्होंने अपनी रिश्तेदारों और अजय के दोस्तों को फोन कर के पूछताछ की, लेकिन सभी ने बताया कि 12 दिसंबर को शाम तक अजय ट्रांसपोर्ट कंपनी में ही था फिर उस के मोबाइल पर कोई काल आई थी और वह चला गया था.

यह बात चिंताजनक थी. रामअवतार 14 दिसंबर को थाना छत्ता जीवनी मंडी आया और उस ने थानाप्रभारी उमेशचंद्र त्रिपाठी को अपने 25 वर्षीय बेटे के बारे में बता कर गुमशुदगी दर्ज करा दी. उस ने यह भी शक जताया कि अजय की गुमशुदगी में विजयपाल और उस की बीवी का कोई हाथ हो सकता है क्योंकि एक दिन विजय का उसे फोन आया था.

उस ने कहा था, ‘‘चाचा, तुम्हारा बेटा अब जवान हो गया है और उसे इधरउधर मुंह मारने की आदत हो गई है. अच्छा होगा उस की शादी कर दो.’’

रामअवतार के अनुसार उस ने जब फोन कर के अजय से पूछतछ की तो उस ने यही कहा कि विजय भैया मजाक कर रहे हैं.

थानाप्रभारी उमेशचंद्र त्रिपाठी ने रामअवतार से अजय का एक फोटो लिया और उन्हें काररवाई करने का आश्वासन दे कर घर भेज दिया. इस के बाद थानाप्रभारी ने अजय के फोटोग्राफ जिले के सभी थानों में भेज दिए. लेकिन काफी पूछताछ करने के बाद भी विजय जैसे दिखने वाले किसी व्यक्ति की लाश मिलने की खबर नहीं मिली.

इस के बाद पुलिस ने ट्रांसपोर्ट कंपनी के मालिक तथा कई मजदूरों से पूछताछ की, लेकिन किसी ने नहीं बताया कि अजय और विजय के बीच कोई झगड़ा था. इस के बाद पुलिस जीवनी मंडी स्थित विजय के घर गई. उस समय विजयपाल ट्रांसपोर्ट कंपनी में जाने को तैयार हो रहा था. पुलिस को देखते ही वह सकपका गया. लेकिन फिर हिम्मत कर के उस ने पूछा, ‘‘साहब, आप कैसे आए हैं?’’

‘‘तुम से अजय के बारे में पूछताछ करनी थी,’’ दरोगा नरेंद्र कुमार शर्मा ने कहा.

‘‘पूछिए, क्या पूछना है. अजय मेरा चचेरा भाई है. हम दोनों में बहुत प्यार है, लेकिन आप अजय के बारे में मुझ से क्यों पूछ रहे हैं? कुछ किया है क्या उस ने?’’ विजय बोला.

‘‘उस ने कुछ किया है या नहीं, यह तो पता नहीं पर उस के साथ जरूर कुछ गलत हुआ है. अब तुम बताओ कि तुम्हें अजय के बारे में क्या पता है?’’ दरोगाजी ने पूछा.

‘‘साहब, अजय अपना काम मेहनत से कर रहा है. कमाई भी ठीक है. कभीकभी हमारे घर भी आता है.’’ विजय ने कहा.

‘‘तो अब तेरी जबान से निकलवाना ही पड़ेगा.’’ एसआई नरेंद्र कुमार ने सख्ती से कहा, ‘‘और तेरी पत्नी कहां है?’’

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‘‘साहब, वह तो अपने मायके गई है. आजकल में आ जाएगी. मायके जाना भी गुनाह है क्या?’’ विजयपाल ने कहा.

पुलिस समझ गई कि विजयपाल चालाक बन रहा है. पुलिस ने अजय, विजय और प्रेमलता के मोबाल नंबर सर्विलांस पर लगा दिए थे. रिपोर्ट से पता चला कि अजय की विजयपाल और प्रेमलता के साथ कई बार बात हुई थी और 12 दिसंबर, 2019 को प्रेमलता और अजय के बीच भी कई बार बात हुई थी.

पुलिस को विश्वास होने लगा था कि जरूर मामला अवैध संबंधों से जुड़ा है. पर विजय पाल कुछ भी बताने को तैयार नहीं था. ऐसे में प्रेमलता की गिरफ्तारी जरूरी थी. पुलिस प्रेमलता के पीछे लग गई. 16 दिसंबर को वह वाटर वर्क्स चौराहे पर दिख गई. पुलिस उसे हिरासत में ले कर थाना छत्ता लौट आई.

प्रेमलता से पुलिस ने सख्ती से पूछताछ की तो उस ने कहा, ‘‘साहब, अजय के कत्ल में मेरा कोई हाथ नहीं है. यह ठीक है कि अजय और मेरे बीच अवैध संबंध बन गए थे और मेरे पति ने हम दोनों को एक साथ देख लिया था. विजय ने उसे रास्ते से हटाने का तय कर लिया था.’’

प्रेमलता के अनुसार उस ने पति से कहा था कि वह अजय से कभी नहीं मिलेगी, लेकिन विजय ने मारपीट कर उस से अजय को फोन करा कर अपने घर मिलने को बुलाने को कहा. पति की बात मानना मेरी मजबूरी थी, फिर न चाहते हुए भी उस ने अजय को फोन कर के बुला लिया.

विजय का गुस्सा काबू में नहीं था, जैसे ही अजय घर आया तो विजय ने तेजधार के बांके से अजय पर वार कर किए. अजय कुछ समझ नहीं पाया. लहूलुहान हो कर वह फर्श पर गिर गया, फिर विजय ने उस का गला दबा दिया.

अब लाश ठिकाने लगानी थी. दोनों ने मिल कर एक साड़ी में लाश लपेटी, फिर उसे बोरे में भरा. विजय ने उसे धमकाया कि जुबान खोलने पर उस का भी यही हाल किया करेगा. वह बुरी तरह डर गई. प्रेमी देवर मर चुका था, जिस के साथ वह दुनिया बसाना चाहती थी.

विजय और प्रेमलता लाश वाले बोरे को मोटरसाइकिल पर रख कर झरना नाला के जंगल में ले गए, जहां लाश वाला बोरा फेंक दिया और घर आ कर सारा घर भी धो दिया.

प्रेमलता के बयान के बाद विजय ने भी अपना गुनाह कबूल कर लिया. पुलिस ने विजय की निशानदेही पर झरना नाला जंगल से अजय तोमर की लाश और आलाकत्ल बरामद कर लिया. पुलिस ने दोनों को भादंवि की धारा 364, 302, 201 के तहत गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया, जहां से दोनों को जेल भेज दिया गया.

गलत काम का नतीजा गलत ही होता है. बूढ़े बाप ने अपने जवान बेटे को खो दिया. शादीशुदा प्रेमलता ने अपने जवान देवर को गुमराह किया. 2 घरों की खुशियां अंधी आशिकी ने छीन लीं और उन का बेटा अनाथ हो गया.

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