आज के दौर में दूसरी शादी करना कोई नई बात नहीं रह गई है. इस में अगर समझदारी से काम नहीं लिया जाता है तो हालात बहुत खराब हो जाते हैं. ऐसे में शादी की सुख से भरी जिंदगी की जगह अपराध की दुनिया में जिंदगी कटने लगती है.
लखनऊ की रहने वाली स्मृति ने खुद से बड़ी उम्र के रणजीत श्रीवास्तव ‘बच्चन’ से पहले प्यार किया, फिर शादी कर ली. शादी के बाद पता चला कि रणजीत पहले से शादीशुदा है.
इस के बाद शुरू हुए झगड़े से जिंदगी अपराध के दलदल में फंस गई. स्मृति न रणजीत से दूसरी शादी कर के खुश रह पाई और न दीपेंद्र स्मृति के साथ रिश्तों को सुखमय बना पाया.
रणजीत श्रीवास्तव की हत्या में पुलिस ने स्मृति को हत्या की साजिश रचने के आरोप में और दीपेंद्र को हत्या करने के आरोप में जेल भेज दिया.
दीपेंद्र का साथ देने वाले जिंतेंद्र और संजीत दोस्ती निभाने के चक्कर में हत्याकांड के आरोपी बन गए.
अगर रणजीत से शादी करने के पहले स्मृति ने समझदारी दिखाई होती तो इतने सारे लोग हत्या की एक कड़ी में फंस कर जेल की सजा नहीं काट रहे होते.
रणजीत श्रीवास्तव गोरखपुर शहर के अहरौली गांव का रहने वाले था.
20 साल पहले रणजीत के पिता तारा लाल अपने परिवार के साथ गोरखपुर के भेडि़याघाट में रहने आए थे, इस के बाद तारा लाल ने पतरका गांव में जमीन खरीदी थी.
रणजीत खुद गोरखपुर में रहता था. उस का पढ़नेलिखने में मन नहीं लगता था. ऐसे में वह बहुत ज्यादा पढ़ाई नहीं कर सका. उसे ऐक्टिंग का शौक था. अपने इसी शौक के चलते उस ने अपना नाम रणजीत श्रीवास्तव से बदल कर रणजीत ‘बच्चन’ कर लिया था, क्योंकि वह फिल्म हीरो अमिताभ बच्चन से बहुत प्रभावित था. उस ने अमिताभ बच्चन की तरह से कपड़े पहनने शुरू कर दिए थे और उन के जैसा ही हेयर स्टाइल रख लिया था.
अमिताभ बच्चन की नकल करने या कपड़े पहनने से कोई उन के जैसा नहीं बन जाता है. जब यह बात रणजीत को समझ में आई तो उसे ऐक्टिंग में कामयाबी नहीं मिली. फिर उस ने नए लोगों को ऐक्टिंग की ट्रेनिंग देने का काम किया.
रणजीत के पास इस के लिए कोई जगह नहीं थी. ऐसे में उस ने गांव की अपनी जमीन पर टीनशैड के नीचे रंगमंच से जुड़े कलाकारों को ट्रेनिंग देने का काम शुरू किया.
रंगमंच से जुड़े होने के बाद भी जब वह कामयाब नहीं हो पाया, तो उस ने राजनीति और समाजसेवा करने को अपना नया रास्ता बनाया.
रणजीत को सुर्खियों में रहने का शौक था. इस के लिए उस ने कई सामाजिक संस्थाओं को बना कर काम करना शुरू किया. सुर्खियों में रहने के लिए वह पत्रकार संगठन और जातीय संगठन भी बना कर काम करने लगा.
गोरखपुर में रणजीत ने जापानी इंसेफेलाइटिस, पल्स पोलियो, महापुरुषों की प्रतिमाओं की साफसफाई करने की मुहिम चलाई. इस बहाने वह राजनीति में भी खुद को जमाना चाहता था.
ऐसे में उस ने गोरखपुर से दूर उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में अपना काम शुरू करने का फैसला किया. इस के बाद भी वह गोरखपुर आताजाता रहा, रणजीत के तमाम लड़कियों से संबंध थे. उन को ले कर भी वह चर्चा में रहता था.
पारिवारिक विवादों से नाता
रणजीत की मुलाकात कालिंदी के साथ हुई थी. कालिंदी साल 2002 में रणजीत से मिली थी. वह गोरखपुर के पड़ोसी कुशीनगर जिले के नेअुबा नौगरियां क्षेत्र के बरई पट्टी गांव की रहने वाली थी. उस के पिता गोरखपुर नगरनिगम की वर्कशौप में नौकरी करते थे.
कालिंदी अच्छी एथलीट थी. रणजीत के साथ मिल कर उस ने साइकिल यात्रा शुरू की थी. बाद में वे दोनों पतिपत्नी की तरह साथसाथ रहने लगे थे.
रणजीत ने कालिंदी से साल 2014 में गोरखपुर के कुसंही जंगल में बने बुढि़या माई के मंदिर में शादी की थी. इस के बाद दोनों साथसाथ रहने लगे थे.
रणजीत का राजनीतिक रसूख बढ़ चुका था, जिस के आधार पर साल 2009 में रणजीत को लखनऊ की ओसीआर बिल्डिंग में सरकारी घर मिल गया था.
औरतों को ले कर रणजीत का बरताव बहुत अच्छा नहीं था. साल 2017 में रणजीत की साली ने शाहपुर थाने में रणजीत के खिलाफ ही छेड़खानी, मारपीट और बलात्कार का मामला दर्ज कराया था. पुलिस की मिलीभगत से रणजीत कागजों पर फरार चल रहा था.
पुलिस ने खानापूरी के लिए रणजीत के पतरका गांव में टीनशैड वाले घर पर कुर्की का आदेश चस्पां कर के अदालत में कागजों पर फरार दिखा दिया था.
साली द्वारा बलात्कार का मुकदमा लिखाने के बाद रणजीत ने ससुराल से अपने संबंध खत्म कर लिए थे. रणजीत की पत्नी कालिंदी भी अपनी बहन पर मुकदमा वापस लेने का दबाव बना रही थी. इस वजह से अब ससुराल से रणजीत के संबंध खत्म हो गए थे. रणजीत का दूसरी औरतों से संबंध बनाना जारी था.
ओएलएक्स पर मिली स्मृति
साल 2014 की बात है. रणजीत ने ओएलएक्स पर एसयूवी गाड़ी बेचने से संबंधित मैसेज पढ़ा, जिस में लिखा था कि स्मृति नामक औरत अपने पिता की एसयूवी बेचना चाहती थी. उस के पिता की मौत हो चुकी थी. स्मृति अपने पिता की ही जगह पर नौकरी कर रही थी.
स्मृति लखनऊ के विकास नगर में रहती थी. एसयूवी खरीदने को ले कर स्मृति और रणजीत की मुलाकात हुई. स्मृति से बातचीत के सिलसिले में रणजीत को पता चला कि पिता की पैंशन को ले कर भी स्मृति परेशान है.
ऐसे में रणजीत ने उस को मदद का भरोसा दिलाया. अपने राजनीतिक रसूख के चलते उस ने स्मृति को मदद पहुंचाई. यहां से दोनों की दोस्ती मजबूत हो गई. यही दोस्ती आगे चल कर प्यार में बदल गई.
18 जनवरी, 2015 को रणजीत और स्मृति की शादी हो गई. जब स्मृति पेट से हुई तो उसे पहली बार पता चला कि रणजीत पहले से शादीशुदा है. यहां से दोनों के बीच झगड़ा होने लगा.
रणजीत की पहली पत्नी कालिंदी को भी उस से शिकायत थी. उसे रणजीत और स्मृति के रिश्ते की जानकारी हो गई थी. विरोध करने पर कालिंदी और रणजीत की लड़ाई होती रहती थी. कालिंदी ने पति रणजीत के खिलाफ महिला थाने में शिकायत भी दर्ज कराई थी.
कालिंदी के विरोध के बाद भी रणजीत ने अपनी गलती नहीं सुधारी. काफी समय तक रणजीत पत्नी और प्रेमिका दोनों को एक ही घर में रखा हुआ था. दोनों के साथ ही झगड़ा करने लगा था.
रणजीत ने बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी से अपना रिश्ता बनाया, जिस से उस को राजनीतिक सरपरस्ती मिल सके. बसपा से उस को बहुत फायदा नहीं हुआ, पर समाजवादी पार्टी के समय उस का राजनीति रसूख बढ़ गया, जिस की वजह से पुलिस उस को बचाने में लगी थी.
साइकिल यात्रा का सफर
समाजवादी पार्टी की अखिलेश सरकार के समय रणजीत ने साइकिल से पूरे भारत भ्रमण का कार्यक्रम बनाया. जब ‘भारतभूटान साइकिल यात्रा’ निकली, तो दल के नायक के रूप में रणजीत ने ही दल की अगुआई की थी. इस के बाद रणजीत का नाम लिम्का बुक औफ रिकौर्ड में जुड़ गया.
अखिलेश सरकार के दौर में अपने राजनीतिक रसूख का फायदा लेने के लिए रणजीत ने अपनी मां कौशल्या देवी के नाम पर गांव वाली जमीन में ही वृद्धाश्रम और अनाथ आश्रम खोलने की योजना बनाई और इस का भूमि पूजन
भी किया, जिस में जिले के तमाम प्रशासनिक अफसर शामिल हुए थे, पर जब से अखिलेश यादव की सरकार सत्ता से हटी, तो उसे नए आसरे की तलाश करनी पड़ी.