28 नवंबर, 2016 की शाम मोहाली के थाना सोहाना के थानाप्रभारी इंसपेक्टर हरसिमरन सिंह बल फील्ड के कामों से फारिग हो कर अपने औफिस पहुंचे थे कि उन का एक खास मुखबिर उन के सामने आ खड़ा हुआ. नमस्कार करने के बाद उस ने कहा, ‘‘सर, बढि़या इनाम तैयार रखिए, ऐसी जबरदस्त खबर लाया हूं कि सुन कर आप उछल पड़ेंगे.’’
यह मुखबिर लंबे समय से हरसिमरन सिंह के लिए मुखबिरी करता आ रहा था. यह उन का निहायत भरोसे का आदमी था, जिस की सूचनाएं अकसर सही निकलती थीं. वह पढ़ालिखा था और मामले की गहराई में जाने के बाद जब उसे पूरा विश्वास हो जाता था कि मामला पूरी तरह से सच है, उस के बाद ही वह उन के पास आता था.
उस दिन भी उस के चेहरे पर ऐसा ही आत्मविश्वास झलक रहा था. हरसिमरन सिंह ने उसे अपने रिटायरिंग रूम में ले जा कर कहा, ‘‘इनाम की चिंता मत करो, सूचना बढि़या होनी चाहिए.’’
‘‘मैं ने कहा न सर, ऐसी जबरदस्त सूचना लाया हूं कि सुन कर उछल पड़ेंगे. सरकार द्वारा जो यह दम भरा जा रहा है कि 2 हजार रुपए के नए नोट की कभी नकल नहीं हो सकेगी यानी जाली नोट नहीं छापे जा सकेंगे, मेरी सूचना उसी के बारे में है.’’ मुखबिर ने उत्साह के साथ कहा.
‘‘मतलब, किसी ने इतनी जल्दी उस की नकल तैयार कर ली यानी 2 हजार रुपए के नकली नोट छाप लिए ’’ हरसिमरन सिंह ने हैरानी से पूछा.
‘‘नकल तैयार ही नहीं कर ली सर, करोड़ों के जाली नोट छाप कर मार्केट में चला भी दिए हैं.’’
‘‘2 हजार के जाली नोट चला भी दिए ’’
‘‘जी सर.’’
‘‘ऐसा कैसे हो सकता है ’’ कहने के साथ उन्होंने पूछा, ‘‘यह अपराध क्या मेरे इलाके में हुआ है ’’
‘‘सर, यह तो पता नहीं, लेकिन मुझे जो जानकारी है, उस के अनुसार लालबत्ती लगी औडी कार पर सवार हो कर 3 लोग, जिन में एक लड़की भी शामिल है, 2 हजार रुपए के जाली नोटों के साथ आप के एरिया में घूम रहे हैं.’’
‘‘उन लोगों के पास इस समय भी 2 हजार रुपए के जाली नोट हैं, अगर हैं तो कितने होंगे ’’
‘‘एकदम सटीक तो नहीं बता सकता सर, लेकिन जो भी है, वे लाखों में हैं. आप तुरंत नाकाबंदी करवाइए. अगर देर हो गई तो वे आप के इलाके से निकल भी सकते हैं. सर, मेरे कहने का मतलब यह है कि अगर इस समय आप ने उन लोगों को पकड़ लिया तो बड़ी मात्रा में 2 हजार रुपए के जाली नोट पकड़ने का यह पहला मामला होगा. अगर ऐसा हो गया तो मैं भी बढि़या इनाम पाने का हकदार हो जाऊंगा.’’ ट्राइसिटी (मोहाली-चंडीगढ़-पंचकूला) के कुछ बैंक वालों ने 2 हजार रुपए के नए नोटों की पुख्ता पहचान के लिए एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया था, जिस में बताया गया था कि 2 हजार रुपए के नोट पर सीधी तरफ सी थ्रू रजिस्टर में 2 हजार रुपए लिखा है. महात्मा गांधी के चित्र की दाईं ओर देवनागरी में 2 हजार रुपए लिखा गया है, जिस में रुपए का नया साइन है. महात्मा गांधी का चित्र नोट के ठीक बीच में है. नोट पर बाईं ओर माइक्रालैटर्स में आरबीआई और 2 हजार लिखा है. नोट को थोड़ा टेढ़ा कर के देखने पर थ्रेड का रंग हरे से नीले में बदलता दिखाई देता है. नोट की दाईं ओर गवर्नर के हस्ताक्षर, गारंटी और प्रौमिस क्लाज दिया गया है.
इस में आरबीआई का साइन भी देखा जा सकता है. नोट को लाइट में देखने पर सफेद जगह में महात्मा गांधी का चित्र दिखाई देता है. वहीं इलैक्ट्रोटाइप वाटरमार्क है तो नीचे की तरफ दाईं ओर अशोक स्तंभ है, जिस के ऊपरी भाग पर रैक्टेंगल में 2 हजार रुपए लिखा गया है. बाईं ओर 7 लाइनें भी चिह्नित की गई हैं. नोट में पिछली तरफ स्वच्छ भारत का लोगो दिया गया है. वहीं पर कई भाषाओं में नोट की वैल्यू लिखने के अलावा मंगलयान का चित्र भी दिया गया है.
सरकार पहले ही दिन से दावा कर रही थी कि इस नए 2 हजार रुपए के नोट का जाली नोट तैयार करना कठिन ही नहीं, एकदम असंभव है. बैंक वालों ने 2 हजार रुपए के नोट के बारे में जो आयोजन किया था, उस में हरसिमरन सिंह ने भी भाग लिया था. उन दिनों उन के पास थाना सोहाना के अलावा मोहाली इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर स्थित थाने का भी चार्ज था. उस समय वह वहीं से आए थे, जब उन का वह मुखबिर उन से मिलने आया था.
मुखबिर द्वारा मिली सूचना के बारे में उच्चाधिकारियों को फोन द्वारा बता कर दिशानिर्देश लेने के बाद हरसिमरन सिंह ने एक तहरीर तैयार कर अपराध संख्या 276 पर भादंवि की धाराओं 420, 489ए, 489बी, 489सी, 489डी, 489ई एवं 120बी के तहत आपराधिक मामला दर्ज कर एक टीम तैयार की, जिस में एसआई चरणजीत सिंह के अलावा हवलदार परमजीत कुमार, इकबाल सिंह, संजय कुमार, बलविंदर सिंह और जगतपाल सिंह, सीनियर सिपाही गुरमुख सिंह, देवेंद्र सिंह, सिपाही बलवीर सिंह व महिला हवलदार गुरविंदर कौर को शामिल किया गया.
अपनी इस पूरी टीम के साथ मुखबिर के बताए अनुसार, जगतपुरा के टी पौइंट पर उन्होंने नाका लगा दिया. यह शाम के करीब साढ़े 7 बजे की बात है. गाडि़यां आतीजाती रहीं और जरूरत के हिसाब से उन्हें रोक कर तलाशी ली जाती रही. जिस गाड़ी का इस पुलिस टीम को इंतजार था, वह अभी तक कहीं दिखाई नहीं दी थी.
आखिर आधी रात को साढ़े 12 बजे के करीब वीआईपी नंबर की लालबत्ती लगी सफेद रंग की औडी कार आती दिखाई दी. शायद इसी गाड़ी के बारे में मुखबिर ने बताया था, इसलिए हरसिमरन सिंह ने अपने एक सिपाही को इशारा कर के उस कार को रोकने को कहा.
सिपाही के इशारे पर गाड़ी चालक ने बड़ी शराफत से गाड़ी एक तरफ ले जा कर रोक दी. उस के बाद खिड़की का शीशा नीचे कर के गरदन बाहर निकाल कर पूछा, ‘‘क्या बात है भई, गाड़ी क्यों रुकवाई देख नहीं रहे हो कि यह वीआईपी गाड़ी है.’’
तब तक हरसिमरन सिंह गाड़ी के पास पहुंच गए थे. सिपाही के बजाए उन्होंने उस की बात का जवाब दिया, ‘‘गाड़ी इसलिए रुकवाई है, क्योंकि इस की तलाशी लेनी है.’’
‘‘वह किसलिए ’’ ड्राइविंग सीट पर बैठे आदमी ने रुखाई से पूछा.
इस पर हरसिमरन सिंह ने अपनी आवाज में थोड़ी सख्ती लाते हुए कहा, ‘‘गाड़ी में जितने भी लोग हैं, चुपचाप बाहर आ कर खड़े हो जाएं. हमें अपना काम करने दें.’’
‘‘कमाल है सर, वीआईपी नंबर वाली गाड़ी है, जिस पर रैड बीकन भी लगी है, ऐसे में आप को मालूम होना चाहिए…’’
‘‘मुझे यह मालूम करने की जरूरत नहीं है कि तुम लोग किस तरह के वीआईपी हो और अपनी गाड़ी पर लालबत्ती लगाने का अधिकार तुम ने कहां से हासिल किया है. ऊपर से आदेश के अनुसार हमें तुम्हारी गाड़ी की तलाशी लेनी है. बेहतर होगा कि तुम लोग शराफत से बाहर आ कर खड़े हो जाओ वरना हमें सख्ती से काम लेना होगा.’’ हरसिमरन सिंह ने अपनी आवाज को सख्त करते हुए कहा.
इस बीच उन के इशारे पर टीम के अन्य लोगों ने कार को चारों ओर से घेर लिया था. यह सब देख कर ड्राइविंग सीट पर बैठे युवक ने अंदर कोई इशारा किया और दरवाजा खोल कर बाहर आ गया. वह एक स्मार्ट सा युवक था. उस की बगल वाली सीट से एक आकर्षक युवती उतरी तो पिछली सीट से अधेड़ उम्र का एक आदमी बाहर आया. कार से बाहर आ कर ये सभी हरसिमरन सिंह को यह समझाने की कोशिश करने लगे कि वे ऊंचे पदों पर बैठे प्रतिष्ठित परिवार से संबंधित हैं और उन की गाड़ी में ऐसा कुछ नहीं है, जिसे अनुचित कहा जा सके. अधेड़ शख्स ने कुछेक राजनेताओं के नाम ले कर प्रभावित करने की कोशिश की.
हरसिमरन सिंह ने उन की बातों पर ध्यान न दे कर खुद कार की तलाशी लेने लगे. इस तलाशी में उन के हाथ ऐसे 3 बैग लगे, जिन में 2 हजार रुपए के नोटों की गड्डियां ठसाठस भरी थीं. देखने में वे तमाम नोट एकदम असली लग रहे थे, लेकिन मुखबिर ने उन के पास जाली नोटों के होने के बारे में बताया था. फिर भी नोटबंदी के दौर में इतनी बड़ी मात्रा में नई करेंसी का एक जगह मिलना किसी अपराध से कम नहीं था.
हरसिमरन सिंह तीनों को उन की गाड़ी और करेंसी सहित थाने ले आए, जहां शुरुआती पूछताछ में ही उन्होंने अपना अपराध स्वीकार करते हुए उगल दिया कि उन से बरामद सारी करेंसी नकली है और वे कुल 42 लाख के नोट हैं. फिर क्या था, तीनों को विधिवत हिरासत में ले कर फिलहाल हवालात में बंद कर दिया गया. अगले दिन सुबह उन्हें अदालत में पेश कर के कस्टडी रिमांड पर ले कर तीनों से व्यापक पूछताछ की गई. इस पूछताछ में उन्होंने जो कुछ पुलिस को बताया, उस से उच्चशिक्षित एवं अच्छे प्रतिष्ठित परिवारों के लड़केलड़की द्वारा अपना एक गिरोह बना कर आपराधिक राह पर चलने की जो दास्तान सामने आई, वह कुछ इस प्रकार थी—
सरवमित्तर वर्मा हरियाणा सरकार में उच्च अधिकारी थे. उन की पत्नी सैन्य विभाग में लैफ्टिनेंट कर्नल डाक्टर हैं. इस जाली नोटों के साथ पकड़ा गया युवक इन्हीं वर्मा दंपति का 21 साल का बेटा है अभिनव वर्मा. वह पढ़ाईलिखाई में काफी होशियार था. मूलरूप से ये लोग हरियाणा के जिला फरीदाबाद के कस्बा बल्लभगढ़ के रहने वाले थे.
स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद उच्च शिक्षा हासिल करने के लिए अभिनव चंडीगढ़ चला आया था. यहीं रह कर उस ने चंडीगढ़ से 25 किलोमीटर दूर पंजाब के जिला मोहाली के कस्बा बनूड़ स्थित चितकारा यूनिवर्सिटी से बीटेक किया.
अभिनव ने कई प्रोजैक्टों पर काम करते हुए न केवल अपार सफलताएं अर्जित कीं, बल्कि अपना नाम भी रोशन किया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू किए गए कार्यक्रम ‘मेक इन इंडिया’ का हिस्सा बन कर उस ने अंधे लोगों के लिए एक ऐसा उपकरण बनाया, जिसे किसी अंधे की छड़ी अथवा अंगूठी में आसानी से फिट किया जा सकता है. नेत्रहीन अगर अकेला चला जा रहा है तो किसी भी तरह की बाधा आने पर यह उपकरण सेंसर की तरह काम करते हुए उन्हें चौकन्ना कर देता है. इस उपकरण की न केवल खूब चर्चा हुई बल्कि अभिनव इसे अंतरराष्ट्रीय बाजार में उतारने की तैयारी करने लगा. इस के लिए ‘लाइव ब्रेल सौल्यूशन’ नाम से अपनी कंपनी बना कर चंडीगढ़ के इंडस्ट्रियल एरिया फेज-1 में उस ने अपना आलीशान औफिस भी खोल लिया. रहने के लिए उस ने जीरकपुर के ढकौली स्थित पाइनहोम अपार्टमेंट में एक फ्लैट ले लिया. अभिनव घर से काफी संपन्न था. वैसे भी उस की प्रतिभा को निखारने के लिए घर वाले उस का हर तरह से सहयोग कर रहे थे. पिछले साल उस के पिता का अचानक देहांत हो गया तो उस की मां का प्यार उस पर कुछ ज्यादा ही उमड़ने लगा.
अपना व्यापार चलाने के लिए अभिनव अब तक 16 देशों की यात्रा कर चुका है. नेट के जरिए वह विश्व भर की कंपनियों व ग्राहकों से जुड़ता जा रहा था. ऐसे में उसे योग्य स्टाफ की जरूरत थी. कपूरथला की रेलवे कोच फैक्ट्री में इंजीनियर के पद पर काम कर रहे रामरक्खा वर्मा रिश्ते में अभिनव के मामा हैं.
वह फैक्ट्री के सी टाइप वार्ड के अपने सरकारी फ्लैट में पत्नी और बेटी विशाखा के साथ रहते थे. विशाखा ने सिक्किम मणिपाल यूनिवर्सिटी से एमबीए किया था. इन दिनों वह लुधियाना के एक बड़े प्रौपर्टी डीलर सुमन नागपाल के यहां नौकरी करती थी. लुधियाना की गगनदीप कालोनी में रहने वाले नागपाल के अनेक राजनेताओं से घनिष्ठ संबंध थे.
एमबीए करने के बाद विशाखा ने अभिनव से कहीं नौकरी दिलाने को कहा था. लेकिन वह उसे कहीं नौकरी नहीं दिला सका था. इस के बाद विशाखा ने लुधियाना में प्रौपर्टी डीलर सुमन नागपाल के यहां नौकरी कर ली थी, जबकि वह इस से कहीं बढि़या नौकरी करने में सक्षम थी.
अभिनव को अपना काम जमता नजर आने लगा तो उसे अपने औफिस के लिए विशाखा की जरूरत महसूस हुई. विशाखा उस से भले ही 2 साल बड़ी थी, मगर वह उसे मानती बहुत थी. लिहाजा अभिनव के कहने भर की देर थी कि उस ने प्रौपर्टी डीलर के यहां वाली नौकरी छोड़ दी और अभिनव के औफिस में जौइन कर लिया.
अभिनव को इस क्षेत्र में अपना सुनहरा भविष्य नजर आ रहा था. उस का बनाया उपकरण खरीदने के लिए पूरी दुनिया से और्डर आ रहे थे. उस के लिए उन की मांग पूरी कर पाना मुश्किल हो रहा था. ऐसे में उसे अपने पैर जमाने के लिए काफी बड़ी रकम की जरूरत थी, जिसे वह न खुद पूरी कर सकता था और न ही उस के परिवार वाले पूरी कर सकते थे. अचानक नोटबंदी के तहत 500 और 1000 रुपए के नोटों का प्रचलन बंद कर सरकार द्वारा 2 हजार रुपए के नए नोट मार्केट में उतार दिए गए. ऐसे में मार्केट और आम लोगों की परेशानी को देख कर अभिनव के दिमाग में आइडिया आया कि क्यों न 2 हजार रुपए के जाली नोट छाप कर बाजार में चला दिए जाएं.
प्रयोग के तौर पर उस ने नए नोट को स्कैन कर के उस का प्रिंट निकाला. प्रिंट इतना बढि़या निकला कि देखने में किसी भी तरह से असली नोट से कम नहीं लग रहा था. उस ने इस बारे में विशाखा से बात की तो वह भी उस की मदद के लिए तैयार हो गई. फिर तो उन्होंने 2 हजार रुपए के 10 जाली नोट तैयार कर के अपने कर्मचारियों के माध्यम से मार्केट में भिजवाए जो आसानी से चल गए. इस सफलता से उत्साहित हो कर उन्होंने अपने कर्मचारियों का अपना एक गैंग बना लिया. यही नहीं, लुधियाना के प्रौपर्टी डीलर सुमन नागपाल को भी लालच दे कर अपने गिरोह में शामिल कर लिया. 54 वर्षीय यह अधेड़ बिना आगेपीछे की सोचे अपराध की राह पर चलने को तैयार हो गया. आगे जो योजना बनी, उस के अनुसार, थोड़ीबहुत नहीं, 2 हजार रुपए के करोड़ों के नकली नोट तैयार कर के इन लोगों ने उन लोगों के हवाले कर दिए, जिन के पास 5 सौ व 1 हजार रुपए के नोटों की शक्ल में ब्लैकमनी भरी पड़ी थी. ऐसे में 30 प्रतिशत कमीशन काट कर नकली नोटों को असली कह कर उन के हवाले कर 70 प्रतिशत असली नोटों की कमाई कर ली जाए. इन पैसों से काम के अनुसार, गिरोह के सदस्यों का कमीशन फिक्स कर दिया गया.
फिर क्या था, पूरे उत्साह के साथ ये सभी इस काम में शिद्दत से लग गए. दिनरात मेहनत कर के कुछ ही समय में इन्होंने 3 करोड़ रुपए के नकली नोट तैयार कर के 2 करोड़ के नोट बाजार में चला भी दिए.
पूछताछ में उन लोगों ने जो बताया, उस के अनुसार, अभिनव ने मोहाली में अपनी एक फैक्ट्री खोल रखी थी, जिस में विशाखा को एचआर की अहम पोस्ट दी गई थी. उसी फैक्ट्री में पैसा लगा कर उसे ऊंचाइयों तक ले जाने का उस ने सपना देखा था. पकड़े गए सारे नोट इसी फैक्ट्री में तैयार किए गए थे. पुलिस ने अभिनव और विशाखा की निशानदेही पर डिजिटल प्रिंटर, पेपर और कटर वगैरह बरामद कर लिया था. पूछताछ में इन लोगों ने बताया था कि अपने इस धंधे में अभिनव ने आधा दर्जन से ज्यादा कर्मचारियों को लगा रखा था. लेकिन उन में हर्ष और प्रमोद की भूमिका अहम थी. पुलिस ने उन की गिरफ्तारी के लिए तमाम जगहों पर छापे मारे, पर वे पकडे़ नहीं जा सके. पुलिस द्वारा की गई पूछताछ में अभिनव ने यह भी स्वीकारा कि 2009 मौडल की वीआईपी नंबर एचआर 70यू 0004 वाली औडी कार उस ने 20 लाख रुपए में जीरकपुर के कार बाजार से खरीदी थी. उस कार को अपने नाम पर ट्रांसफर न करवा कर उस पर अवैध रूप से लालबत्ती लगा कर वह पुलिस और अन्य लोगों की आंखों में धूल झोंक कर नकली नोटों के अपने धंधे को अंजाम देता रहा.
अखबारों में खबरें छपने के बाद कई लोगों ने थाने जा कर अभिनव और उस के साथियों द्वारा ठगे जाने की अपनी शिकायतें दर्ज कराई हैं. मजे की बात यह है कि वे भी अभियुक्तों से मिले 2 हजार रुपए के नकली नोट आसानी से असली के रूप में चला चुके थे. नकली नोटों के बदले लोगों से मिले पुराने असली नोटों को अभिनव न केवल अपने पर्सनल और कंपनी के खातों में जमा कराता था, बल्कि कुछ पैसा उस ने अपने कर्मचारियों के बैंक खातों में भी जमा कराए थे. 14 लाख के पुराने नोट उस के घर से भी बरामद किए गए थे. खुद तैयार किए गए 3 करोड़ के 2 हजार के नोटों में से उस के पास 42 लाख रुपए ही बचे थे, जिन्हें वह विशाखा और सुमन नागपाल के साथ अपनी कथित वीआईपी गाड़ी से एक पार्टी को देने जा रहा था, तभी पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया था.
अभिनव से बरामद नोटों के बारे में आरबीआई की रिपोर्ट आ चुकी है कि वे सभी नोट जाली हैं और उन की छपाई हलके कागज पर हुई है.
पुलिस ने रिमांड अवधि समाप्त होने पर अभिनव, विशाखा और सुमन नागपाल को एक बार फिर अदालत में पेश किया, जहां से उन तीनों को न्यायिक हिरासत में जेल भिजवा दिया गया. कथा लिखे जाने तक न तो उन की जमानतें हुई थीं और न ही इस मामले के 7 अन्य अभियुक्तों में से कोई पकड़ा जा सका था.
– कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित