Superstition Crime, लेखक –  वीरेंद्र कुमार खत्री

पढ़ाईलिखाई के प्रचारप्रसार के बावजूद हमारा समाज आज भी अंधविश्वास जैसी बुराई से उबर नहीं पाया है. इस की आड़ में हत्याएं हो रही हैं.

बिहार के नवादा जिले में एक शर्मनाक घटना घटी. डायन के आरोप में भीड़ ने पहले तो एक पतिपत्नी का मुंडन किया, उन पर चूना लगा कर गांवभर में घुमाया और फिर पेड़ से बांध कर बुरी तरह से मारपीट की, जिस में पति की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि पत्नी गंभीर रूप से घायल हो गई.

मीडिया रिपोर्ट से पता चला है कि मुसहरी टोला में मारे गए उस आदमी के पड़ोसी के घर छठीयारी समारोह मनाया जा रहा था, जिस में डीजे बारबार बंद हो रहा था.

लोगों ने इसे जादूटोना कर दिए जाने का आरोप लगा कर पीडि़त पतिपत्नी को घर से बाहर निकाला और मारपीट की.

गौर करें तो ऐसा पहली बार नहीं हुआ है, जब जादूटोना करने के आरोप में लोगों को मौत की नींद सुलाने की खबरें अखबारों की सुर्खियां बनी हैं. आएदिन इस तरह की खबरें समाज के सामने आती रहती हैं.

दूसरी घटना यह सामने आई कि एक ओ झा के कहने पर औलाद की चाहत में एक बुजुर्ग का सिर काट कर धड़ को होलिका दहन में जला कर बलि दे दी और सिर को तालाब में गड्ढा खोद कर गाड़ दिया.

यह घटना बिहार के औरंगाबाद जिले के मदनपुर थाना के जलवन गांव की है. इस साल होली से पहले होलिका दहन की जगह से जो हड्डियां पुलिस ने बरामद कीं, उन की जांच में बुजुर्ग की हड्डियां होने की तसदीक हुई.

इस से पहले झारखंड के गुमला के एक गांव में डायन आरोप लगा कर 4 लोगों की पीटपीट कर हत्या कर दी गई. खबरों के मुताबिक, गांव के लोगों ने सामूहिक रूप से पहले बैठक कर उन्हें मार डालने का फैसला लिया और फिर 1-1 कर चारों को घर से निकाल कर लाठीडंडे से पीटपीट कर मार डाला.

पिछले साल झारखंड की राजधानी रांची के निकट एक गांव की 5 औरतों की डायन के शक में हत्या कर दी गई थी. झारखंड में ही एक 80 साल की बूढ़ी औरत को डायन बता उस के भतीजे ने मार दिया था.

हत्यारे का मानना था कि उस के बेटे की बीमारी के लिए वह बूढ़ी औरत ही जिम्मेदार थी.

बिहार और झारखंड ही नहीं, बल्कि देश के दूसरे राज्यों में भी इसी तरह की हैवानियत देखने को मिलती रहती है. पिछले साल उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले में डायन होने के शक में एक औरत की जीभ काट दी गई.

अंधविश्वास की ज्यादातर निर्मम घटनाएं उन्हीं राज्यों में देखी जा रही हैं जहां तालीम पूरी तरह पहुंच नहीं सकी है. अमूमन इन इलाकों में रहने वाले लोग अभी भी पढ़ाईलिखाई के मामले में पिछड़े हैं. वे अपनी बीमारी की मूल वजह सम झने के बजाय इसे भूतप्रेत और डायन का असर मान रहे हैं. इस का बुरा नतीजा यह है कि डायन की आड़ में घटनाएं घट रही हैं.

आदिवासी बहुल राज्य झारखंड की ही बात करें तो यहां अंधविश्वास की जड़ें काफी गहरी हैं और उस का सब से ज्यादा खमियाजा औरतों को भुगतना पड़ रहा है.

एक गैरसरकारी संस्था ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि देश में तकरीबन हर साल सैकड़ों से ज्यादा औरतों की हत्या डायन के नाम पर होती है. पिछले डेढ़ दशक में देश में डायन के नाम पर तकरीबन 2,000 से भी ज्यादा औरतों की हत्या हो चुकी है.

देखा जाए तो दिल दहलाने वाली ये घटनाएं मामूली नहीं हैं. जहां एक ओर देश में औरतें पंचायतों में अहम सहभागी बन रही हैं, नई बुलंदियों को चूम रही हैं और संसद में भी अपना लोहा मनवा रही हैं, वहीं डायन के नाम पर उन की बेरहमी से हत्या हो रही है. समाज के ठेकेदार डायन के नाम पर उन्हें बिना कपड़ों के घुमा रहे हैं और रेप कर रहे हैं.

समाज में फैली इन कुरीतियों और अंधविश्वासों के खिलाफ जनजागरण चलाने की जरूरत है. साथ ही, इन घटनाओं को अंजाम देने वालों को भी कड़ी सजा मिलनी चाहिए. समाज में ऐसे लोगों को रहने का हक नहीं है, जो अपना मतलब साधने के लिए अंधविश्वासों को बढ़ावा दे रहे हैं.

देश के लोगों को सम झना होगा कि अंधविश्वास को खत्म करने की जिम्मेदारी सिर्फ सरकार की ही नहीं है. इसे उखाड़ फेंकने के लिए समाज को भी आगे आना होगा.

उन क्षेत्रों की पहचान करनी होगी, जहां ऐसी घटनाएं बारबार हो रही हैं. उन वजहों को भी तलाशना होगा, जिन के चलते इन घटनाओं को बढ़ावा मिल रहा है.

हसपुरा के समाजसेवी डाक्टर विपिन कुमार का कहना है कि कम पढ़ेलिखे लोग अकसर गंभीर बीमारियों से निबटने के लिए अस्पतालों में जाने के बजाय तांत्रिकों की शरण लेते हैं. तांत्रिक उन के अंधविश्वास का फायदा उठा कर उन्हें लूटते तो हैं ही, उन्हें अपराध करने के लिए भी उकसाते हैं.

बेहतर होगा कि सरकार और स्वयंसेवी संस्थाएं पिछड़े और सुविधाहीन क्षेत्रों में शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करें. इस से अफवाहों और अप्रिय घटनाओं पर रोक लगेगी और समाज अंधविश्वास से छुटकारा पा लेगा.

सब से जरूरी बात यह है कि ऐसी वारदातों को अंजाम देने वालों को कानून कड़ी से कड़ी सजा दे. Superstition Crime

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