Mental Health: आज की तेज रफ्तार और दबाव भरी जिंदगी में लोग न सिर्फ शारीरिक रूप से, बल्कि मानसिक रूप से भी पहले से कहीं ज्यादा कमजोर होते जा रहे हैं. एक दौर था जब लोग उम्र के आखिरी पड़ाव तक भी फिट और मानसिक रूप से सही रहते थे, लेकिन अब स्थिति बदल चुकी है. अब तो हालात ऐसे हो गए हैं कि कम उम्र के बच्चे भी तनाव और डिप्रेशन का शिकार होने लगे हैं. यह वाकई चिंता की बात है आखिर बच्चों की मासूम जिंदगी में ऐसा क्या हो रहा है कि वे इतनी जल्दी मानसिक रूप से टूटने लगे हैं? इसका जवाब आसान नहीं है, क्योंकि इसके पीछे कई वजहें छिपी हो सकती हैं जैसे कि सोशल मीडिया, रिलेशनशिप की टेंशन, करियर की सोच.
डिप्रेशन के वे कारण कौन से हैं, जो धीरे-धीरे बच्चों को अंदर से खोखला कर रहे हैं और समझते हैं कि इस बढ़ती समस्या से कैसे निपटा जा सकता है.
आज की सबसे बड़ी चिंता यह है कि बच्चों ने अच्छी किताबों से दूरी बना ली है. एक समय था जब खाली वक्त में लोग किताबें पढ़ते थे, उन पर बात करते थे, और इससे न सिर्फ नौलेज बढ़ती थी, बल्कि सोचने-समझने की समझ मिलती थी लेकिन अब हालात बदल गए हैं. आजकल बच्चे बचपन से ही स्मार्टफोन की डिमांड करने लगते हैं, और बहुत कम उम्र में ही उन डिजिटल चीजों से रूबरू हो जाते हैं, जो उनके मेंटल ग्रोथ के लिए सही नहीं होतीं. वे घंटों तक रील्स देखते हैं, जिनमें दिखने वाली ग्लैमर, हिंसा या बनावटी ज़िंदगी को वे अनजाने में अपने दिमाग में बसा लेते हैं.
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