पारसमणि के लिए हुए बावरे : भाग 1

तांत्रिक बाबूलाल (65 वर्ष) एक दिन चौपाल पर बैठा था. उस दौरान लोग उस के ठाठबाट को
ले कर बात कर रहे थे, तभी वह अपनी शेखी बघारते हुए बोला, ‘‘अरे भाई, हमारे पास अब क्या कमी है. जो चाहते हैं, खातेपीते हैं और ऐश की जिंदगी जी रहे हैं. एक समय था, जब मैं बहुत गरीब था, मगर अब ऐसी बात नहीं है.’’
बाबूलाल यादव ने साथ बैठे हुए चौपाल के अपने हमउम्र और अन्य लोगों से गोलमोल बातें कहीं.
‘‘मगर भाई बाबूलाल, आज के समय आज की महंगाई में भी तुम्हारे ठाटबाट… कुछ समझ में नहीं आता.’’ किशन जायसवाल ने बड़े लल्लोचप्पो भरे स्वर
में कहा.
किशन ने किसी से सुन रखा था कि बाबूलाल के पास कोई ऐसी जादुई शक्ति है, जिस से वह मालामाल हो गया है. वह और अन्य कई लोग यह जानना चाहते थे कि आखिर माजरा क्या है.
जब बात चली तो सभी उत्सुक भाव से बाबूलाल की ओर देख और सुन रहे थे. बाबूलाल ने हंसते हुए कहा, ‘‘देखो भई, संसार में एक से एक बड़ी शक्तियां हैं. सवाल है उन शक्तियों को साधने का और अगर एक बार आप ने साधना कर ली तो पूरी जिंदगी आप सुखशांति, ऐश्वर्य से बिता सकते हैं.’’
बाबूलाल के यह कहने के बाद तो लोगों में और भी उत्सुकता बढ़ गई. लोग बाबूलाल की प्रशंसा करने लगे. कोई कुछ कह रहा था तो कोई कुछ. अपनी प्रशंसा सुन कर के बाबूलाल उस समय बेहद गौरवान्वित था.
वहां पर मौजूद रमेश साहू नाम के युवक ने बाबूलाल से चिरौरी करते हुए कहा, ‘‘काका, कुछ तो ऐसा रास्ता हम लोगों को भी बताओ, ताकि हमारी जिंदगी भी सुखी हो जाए.’’
‘‘अरे बेटा, तुम तो जवान हो, दुकान चलाते हो, पैसे वाले हो. तुम्हारे पास क्या कमी है, जो मेरा रहस्य जानना चाहते हो?’’ हंसते हुए बाबूलाल ने रमेश साहू से कहा.
‘‘नहींनहीं काका, आज तो आप को बताना ही होगा आखिर आप के पास ऐसी क्या शक्ति है?’’ सुदर्शन यादव ने मिन्नतें करते हुए पूछा, ‘‘हम ने सुना है कि आप के पास सोना बनाने वाला कोई पत्थर है. क्या यह सच है?’’

ये बातें सुन कर के गांव में चौपाल में एक तरह से सन्नाटा पसर गया. सभी के मन में यह था कि बाबूलाल के पास कुछ तो ऐसी शक्ति है, कोई मणि है जिस से वह मालामाल है. क्योंकि एक बार तो उस ने स्वयं बातोंबातों में गांव की सावित्री नामक महिला से कहा था कि उस के पास पारस मणि है. वहां से यह बात धीरेधीरे फैलती चली गई थी, मगर अंदरखाने थी.
उस दिन बाबूलाल बहुत खुश था. उस के चेहरे पर खुशी की आभा स्पष्ट दिखाई दे रही थी. गांव में उस का सम्मान बढ़ता चला जा रहा था. उस ने कभी कल्पना भी नहीं की थी कि जिस गांव में उस ने गरीबी देखी है, अभाव देखे हैं, घर में एक बार ही खाना बनता था और दिन भर भूखे पूरा परिवार गुजार देता था. उसी गांव में उसे इतना मानसम्मान और पैसा मिलेगा.
मगर वह समझ रहा था कि यह सब उस के तंत्रमंत्र और रुपएपैसे के कारण हो रहा है. वह अपने ज्ञान पर मंत्रमुग्ध भी था.

लोगों की भावना में बह कर बाबूलाल यादव ने कहा, ‘‘देखो, एक होती है पारस मणि, जो तुम कह रहे हो न, मैं उसी की बात कर रहा हूं. पारस मणि एक दिव्य पत्थर है, कहते हैं कि अगर लोहे को छुआ दो तो वह सोना बन जाता है. तुम ठीक कह रहे हो.’’ बाबूलाल यादव ने बड़ी समझदारी से जानबूझ कर के बातों को आधाअधूरा कहा, ताकि कुछ लोग बात समझ जाएं और कुछ अस्पष्ट भी हो.
चौपाल में बैठे हुए लोगों की धड़कनें बढ़ गई थीं. लोग यह सोच रहे थे कि आज बहुत बड़ा खुलासा होने वाला है. बाबूलाल खुद यह बता देगा कि उस के पास पारस मणि है. अगर ऐसा है तो गांव की तकदीर बदल सकती है. गांव धनधान्य से परिपूर्ण हो जाएगा.

एक बुजुर्ग मनहरण शर्मा ने बाबूलाल की पीठ पर हाथ रख कर के बड़ी विनम्रता से कहा, ‘‘भाई बाबूलाल, अगर ऐसा है कि तुम्हारे पास पारस मणि है तो फिर तो तुम हमारे लिए किसी भगवान से कम नहीं हो.’’
बाबूलाल की छठी इंद्री अब काम करने लगी थी. उस ने संभल कर कहा, ‘‘अरे भाई, मैं ने कब कहा कि कोई मणि मेरे पास है लेकिन साधना करने से क्या नहीं मिल सकता. मैं ने साधना की है. मैं उसी की वजह से खुशहाल हूं. आप लोग भी मेरे रास्ते पर चलो. मगर यह आसान नहीं है 20-30 साल लग जाते हैं, तब जा कर के कोई शक्ति प्राप्त हो पाती है.’’

 

अधेड़ प्रेम की रुसवाई : भाग 3

कहते हैं इश्क और मुश्क छिपाए नहीं छिपते. धीरेधीरे बात गांव में फैलने लगी कि किरणपाल और मिथिलेश के बीच नाजायज रिश्ता है. मगर किरणपाल की दबंगई के कारण किसी की हिम्मत नहीं पड़ी कि सामने कुछ बोल दे.

बात धीर सिंह के कान में भी पड़ी. उस ने पत्नी से पूछा तो वह साफ मुकर गई. धीर सिंह भी सोचता कि 40 साल की औरत, 2 बेटियों की मां भला प्रेमप्यार के चक्कर में कैसे पड़ सकती है? फिर किरणपाल ने वक्त जरूरत पर उस की मदद भी की है, ऐसे आदमी की नीयत पर वह कैसे शक करे? यही सोच कर वह चुप रहा.

मिथिलेश और धीर सिंह मिल कर अपनी जवान बेटियों के लिए इधरउधर के गांवों में रिश्ते ढूंढ रहे थे. रिश्ते मिल भी गए और दोनों की शादियां भी धूमधाम से हो गईं. शादी में पूरे गांव को न्योता था. किरणपाल का परिवार भी आया और शगुन दे कर गया.दोनों बेटियों के ससुराल चले जाने के बाद मिथिलेश अकेली हो गई. धीर सिंह की गैरमौजूदगी में उस का अकेलापन दूर करने के लिए किरणपाल अकसर उस से मिलने आने लगा. जैसेजैसे दोनों की उम्र बढ़ रही थी, दीवानगी भी बढ़ती जा रही थी. खासतौर से किरणपाल की.

अब उस ने खुलेआम मिथिलेश पर अपना हक जताना शुरू कर दिया था. यह देख कर मिथिलेश उस से कुछ भय खाने लगी थी.किरणपाल की यह बात मिथिलेश को अच्छी नहीं लगती थी. ढंकेछिपे जो प्रेम चल रहा था, वह ज्यादा मजे दे रहा था. मगर जब किरणपाल ने लोगों के सामने मिथिलेश से मिलना और बात करनी शुरू कर दी तो मिथिलेश की बदनामी होने लगी.

इधर कुछ दिनों से किरणपाल ने मिथिलेश पर दबाव बनाना शुरू कर दिया कि वह धीर सिंह को छोड़ कर हमेशा के लिए उस के पास आ जाए. मगर मिथिलेश ने साफ इंकार कर दिया. वह किसी भी हालत में अपना घर नहीं छोड़ना चाहती थी और फिर उस की दोनों बेटियों के ससुराल का भी मामला था. कितनी बदनामी होती उस के इस कदम से.बेटियों का ससुराल में सिर उठा कर जीना मुश्किल हो जाता. मिथिलेश ने किरणपाल को समझाने की बहुत कोशिश की, मगर वह अपनी जिद पर अड़ा रहा.

किरणपाल की जिद को देख कर अब मिथिलेश उस से दूर रहने लगी. वह 10 बार बुलाता तो कहीं एक बार जाती थी. उस के इस बर्ताव ने जैसे आग में घी का काम किया. किरणपाल प्यार की आग में धूधू कर जलने लगा. प्रेमिका से बनी हुई दूरी बरदाश्त नहीं हो रही थी. वह अब आरपार का फैसला करना चाहता था.एक दिन उस ने सुबह के धुंधलके में मिथिलेश को खेत पर पकड़ लिया. उस दिन वह उस का फैसला जान लेना चाहता था. उस ने मिथिलेश पर शादी का दबाव बनाया तो मिथिलेश ने साफ इंकार करते हुए यहां तक कह दिया कि वह उस से अब तंग आ चुकी है और अब वह उस से कभी नहीं मिलेगी. यह कह कर मिथिलेश तेज कदमों से अपने घर की ओर चल दी.

किरणपाल की तो जैसे सारी दुनिया ही उजड़ गई. वह ठगा सा खेत की मेड़ पर बैठा रह गया. उसे मिथिलेश से ऐसा जवाब मिलने की कतई उम्मीद नहीं थी. उस के लिए तो उस ने कभी अपनी पत्नी की परवाह नहीं की, जिस ने उस के आंगन में एक नहीं 4-4 फूल खिलाए. मिथिलेश के लिए उस ने क्या नहीं किया. जब जरूरत पड़ी, उस की आर्थिक मदद की. लेकिन आज मिथिलेश के जवाब ने उसे बुरी तरह तोड़ दिया.

किरणपाल ने उसी वक्त फैसला कर लिया कि मिथिलेश अगर उस की नहीं हुई तो वह उसे किसी और की हो कर भी नहीं रहने देगा. यह 13 जुलाई, 2022 की बात है जब उस ने अपनी प्रेम कहानी का अंत सोच लिया.

इस के बाद वह अपने लोडेड तमंचे के साथ मिथिलेश को अकेला पाने की टोह में लग गया. 15 जुलाई, 2022 की सुबह उसे यह मौका मिल गया और वह तमंचा लहराते हुए मिथिलेश के सामने आ खड़ा हुआ. मिथिलेश उस से कुछ कह पाती, इस का उस ने कोई मौका नहीं दिया. किरणपाल के गुस्से का आवेग इतना तेज था कि चंद मिनटों में ही दोनों की कहानी खत्म हो गई.

गांव के लोगों ने घटना की जानकारी पुलिस को दी. घटना की सूचना मिलते ही एसपी (देहात) केशव कुमार, सीओ (सदर देहात) पूनम सिरोही और परीक्षितगढ़ पुलिस भी मौके पर पहुंची. जल्दी ही फोरैंसिक टीम भी पहुंच गई.पुलिस ने दोनों लाशों का पंचनामा भर कर वह पोस्टमार्टम के लिए भेज दीं. सीओ पूनम सिरोही ने लाशों की स्थिति को देखते ही अंदेशा जता दिया कि दोनों एकदूसरे से प्यार करते थे. गांव वालों से थोड़ी पूछताछ के बाद ही यह बात सामने आ गई कि मिथिलेश अब किरणपाल से पीछा छुड़ा रही थी, जिस के विरोध में किरणपाल ने उसे गोली मार दी और फिर खुद को भी गोली मार ली.

गांव में प्रत्यक्षदर्शियों ने पुलिस को बताया कि महिला जब अपने घर से कचरा डालने निकली थी, तभी पीछे से किरणपाल भी पहुंच गया और आवाज लगाई कि मिथिलेश तू मेरी तो नहीं हो सकी, किसी और की भी नहीं होने दूंगा… आज जिंदगी भी खत्म समझ लेना.मिथिलेश कुछ समझ पाती, इस से पहले ही किरणपाल ने अपनी प्रेमिका को गोली मार दी. आसपास के लोग वहां पहुंचते, उस से पहले ही किरणपाल ने खुद को भी गोली मार ली. चंद मिनटों में ही दोनों की मौत हो गई.

इस सनसनीखेज वारदात के बारे में जिस ने भी जाना और देखा वह हैरान रह गया. दोनों के घर वालों का रोरो कर बुरा हाल हो गया. किरणपाल की पत्नी शीला अपने चारों बेटों को सीने से लगाए एक ओर पड़ी कलप रही थी. वहीं घर वालों के बीच बैठा धीर सिंह भी जारजार रोए जा रहा था.वहीं पर मिथिलेश की बेटियां भी दहाड़े मार कर रो रही थीं. लोग उन्हें संभाल रहे थे. पति धीर सिंह भी बेटियों को संभाल रहा था और बारबार कह रहा था सोचा नहीं था, ऐसा भी दिन देखने को मिलेगा.

किरणपाल की पत्नी शीला ने पुलिस को बताया कि अपने पति और मिथिलेश के प्रेम प्रसंग का उस ने कई बार विरोध किया. उस के बेटों ने भी पिता को समझाने की बहुत कोशिश की, मगर उस पर कोई असर नहीं हुआ. अकसर वह मिथिलेश का पीछा करता और उसे रोक कर जबरन बातें करने की कोशिश करता था.
लोगों ने पुलिस को बताया कि करीब 5 साल से पूरे गांव को इस प्रेम प्रसंग की जानकारी थी. 15 दिन पहले किरणपाल ने मिथिलेश पर बच्चों को छोड़ कर कहीं बाहर जा कर रहने का दबाव बनाया था.

मिथिलेश ने अपने और उस के बच्चों का हवाला दे कर इस से इंकार कर दिया था. इस पर वह शराब पी कर उस के घर पहुंच गया था और हंगामा किया था. मिथिलेश के पति धीर सिंह ने उसे समझाबुझा कर किसी तरह वापस भेजा था. मगर इस के बाद से किरणपाल जगहजगह मिथलेश का रास्ता रोक लेता था और उस से झगड़ा करता था.दबंग प्रवृत्ति के किरणपाल को कोई कुछ कहने की हिम्मत नहीं जुटा पाता था. उस के हाथों में मिले तमंचे को देख कर फोरैंसिक टीम भी दंग रह गई. पुलिस ने तमंचे को लोड कर के भी देखा. तमंचे की नाल की लंबाई 24 इंच से ज्यादा थी.

पुलिसकर्मी चर्चा करते दिखे कि आखिर ऐसे बढि़या किस्म के तमंचे बन कहां रहे हैं? पुलिस अब किरणपाल का इतिहास खंगालने में जुटी है. उस ने वह तमंचा कब और किस से खरीदा? उस का आपराधिक तत्त्वों से कितना गहरा संबंध है? उस के धंधे क्याक्या थे? उस के पास किनकिन माध्यमों से पैसे आ रहे थे? इन सब बातों की पुलिस कथा लिखने तक जांच कर रही थी.

मौसी के प्रेमी से पंगा : भाग 2

सामने मोरकली खड़ी दुपट्टा संभाल रही थी, जबकि उस के पीछे रामसुमेर खड़ा था. सामने पारुल को खड़ा देख दोनों के चेहरे का रंग उड़ गया था. मोरकली तेजी से बाथरूम की और भाग गई थी, जबकि रामसुमेर बाहर जाने वाले दरवाजे की ओर जाने लगा था, लेकिन दरवाजे पर ही रूमा से टकरातेटकराते बचा. उस के हाथ से मवेशी को चारा देने वाली टोकरी गिर गई थी. वह नाराजगी के साथ बोली, ‘‘अरे रामसुमेर, तुम यहां! इस वक्त!’’

‘‘जी…जी भाभी, मैं तो पारुल के साथ ही आया था. मैं ने उसे कालेज से अकेली आते देखा था, इसलिए उस के पीछेपीछे हो लिया था. गांव में कुछ लड़के आवारा हो गए हैं अकेली लड़की को छेड़ते रहते हैं.’’
‘‘नहीं मम्मी, सुमेर चाचा झूठ बोल रहे हैं, मैं तो अकेली आई हूं.’’
पारुल के आगे कुछ और बोलने से पहले ही रूमा बोल पड़ी, ‘‘मुझे पता है बेटी, आज नया थोड़े कालेज से तुम्हारा घर आनाजाना हो रहा है. …और ये तुम्हारा चाचा कितना झूठा है, मुझे नहीं मालूम है क्या? खुद जैसा है, वैसा ही दूसरे लड़कों के बारे में सोचता है. जाओ, तुम अपने कमरे में जाओ, आज मैं इस की खबर लेती हूं.’’ रूमा बोली.

रूमा ने सुनाया फैसला

पारुल पहले रसोई में गई, पानी पीया फिर छत पर अपने कमरे में चली गई. रूमा अपने देवर के यहां आने का करण अच्छी तरह से समझती थी. उसी वक्त मोरकली के बाथरूम से निकलने पर उस का विश्वास और मजबूत हो गया. उसे वहीं रुकने को बोली. रामसुमेर का हाथ खींचती हुई बोली, ‘‘अब तू कहां भागता है? चल इधर आ.’’
‘‘भाभी, बाद में आऊंगा,’’ कहता हुआ रामसुमेर जाने को हुआ.
‘‘नहीं, अभी यहीं मेरा फैसला सुनना होगा.’’ रूमा बोली.
‘‘फैसला! कैसा फैसला? मैं ने क्या किया है?’’ मोरकली बोली.
‘‘तुम और रामसुमेर जो कर रहे हो, वह मेरी नजरों से छिपा नहीं है. तुम क्या समझती हो तुम्हें रामसुमेर दिल से प्यार करता है? अरे नहीं, उसे तुम्हारी देह से लगाव है. तुम्हारी जिंदगी को बरबाद कर देगा. …और तुम रामसुमेर, इस की जिंदगी के साथ तो खिलवाड़ कर ही रहे हो, अपनी बीवीबच्चों को भी धोखा दे रहे हो.’’ रूमा दोनों को समझाते हुई बोली.

‘‘भाभी, मुझे गलत समझ रही हो. मैं ने ऐसा क्या कर दिया है, जो मोरकली की जिंदगी बरबाद हो जाएगी. मैं तो उसे दिल से…’’
रामसुमेर की बातों को बीच में काटती हुई रूमा बोली, ‘‘बस, बहुत हो गया तुम दोनों का प्यारमोहब्बत का खेल अभी बात मुझ तक है, लगता है आज इस की भनक पारुल को भी हो गई. कल तुम्हारे भैया को हो जएगी. इस का असर हमारे परिवार पर पड़ेगा, वह मुझे बरदाश्त नहीं होगा. इसलिए कह रही हूं, तुम लोग संभल जाओ और आइंदा कभी मिलने की कोशिश भी मत करना.’’

पारुल को मिली धमकियां

रूमा देवी के इस फरमान का असर मोरकली और रामसुमेर पर कितना हुआ, इस का पता कुछ दिनों बाद ही चल गया. दोनों उफनती वासना के बहाव में बह रहे थे. लोकलाज और सामाजिक, पारिवारिक नैतिकता को नजरंदाज कर चुके थे.
दोनों एक रोज फिर पारुल की नजरों के सामने आ गए. इस बार पारुल ने उन्हें घर के बाहर एकांत में देखा था. उस रोज रामसुमेर ने सीधे उस का गला पकड़ लिया था और साफ लहजे में धमकी दे डाली थी कि अपनी मां को कुछ भी नहीं बताए, वरना उस का अंजाम कुछ भी हो सकता था. मोरकली ने भी धमकी दी थी कि अगर उस ने किसी को कुछ भी बताया तो वह उसे बदनाम कर देगी.
बावजूद इन धमकियों के पारुल ने अपनी मां को सब कुछ उसी रोज बता दिया था. संयोग से इस की जानकारी उस के पिता रणवीर यादव को भी एक ग्रामीण से हो गई थी. घर आते ही उन्होंने मोरकली की जबरदस्त डांट लगाई. उसे अगले रोज उस के घर छोड़ आने के लिए कहा. उसी वक्त उन्होंने रामसुमेर को बुला कर भी सभी के सामने खूब डांटा.

घर में मोरकली और रामसुमेर को ले कर तनाव का माहौल बन गया था. पारुल कुछ अधिक तनाव में आ गई थी. वह डर भी गई थी. रामसुमेर के व्यवहार को जानती थी. वह किसी से भी लड़नेझगड़ने और मरनेमारने से पीछे नहीं हटता था. उस के मन में डर समा गया था कि कहीं उस के चलते कालेज की पढ़ाई न छूट जाए.मोरकली अपने घर जा चुकी थी. उस का भी पारुल को डर था. वह भी उसे बदनाम करने की धमकी दे गई थी.बात 3 जून, 2022 की है. रात को पारुल अचानक घर से लापता थी. घर का माहौल कुछ दिनों से मोरकली और रामसुमेर को ले कर ठीक नहीं था. एक दिन पहले ही रणवीर यादव मोरकली को उस के घर छोड़ आए थे.

अब पारुल के अचानक गायब होने से वह चिंतित हो गए. वह कोई छोटी बच्ची नहीं, जो कोई उठा ले जाए, बल्कि 18 साल की इंटरमीडिएट की छात्रा थी. वह रात करीब 8 बजे फोन काल सुन कर अपने घर से मां के साथ ही बाहर निकली थी. गाय और बछड़े को चारापानी दे कर वापस घर नहीं आई थी.
ऐसा पहली बार हुआ था, लेकिन कुछ समय बाद ही घर वालों ने उस की तलाश शुरू कर दी. काफी रात तक खोजने के बाद भी उस का कुछ पता नहीं चला.

मिली पारुल की लाश अगले रोज 4 जून, 2022 को करीब 7 बजे ग्रामीणों के जरिए पारुल की खून सनी लाश खेत में होने की सूचना मिली. ग्रामीणों ने इस की सूचना तुरंत मोहनलालगंज थाने को को भी दे दी. लाश कोराना गांव से 500 मीटर दूर अमर सिंह के खेत में मिली थी. वह खून से लथपथ थी.
सूचना पा कर रणवीर यादव खेत पर गए. वहां बेटी पारुल की लाश देख कर वह बेसुध हो गए. उस का शव लहूलुहान खेत में पड़ा था. कुछ समय में ही पुलिस भी दलबल के साथ आ गई थी. लाश का मुआयना किया.

पुलिस ने पाया कि पारुल के सिर में चोट के निशान थे. जिस का मतलब साफ था कि उस कि सिर पर पीछे से ईंट और डंडे से प्रहार किया गया था. मोहनलालगंज थानाप्रभारी अखिलेश कुमार मिश्रा ने पारुल के पिता रणवीर यादव से पूछताछ की. किसी से दुश्मनी, प्रेम संबंध और घरपरिवार में उस के व्यवहार आदि से संबंधित सवाल पूछे गए. लेकिन रणवीर यादव से इस बारे में उन्हें कोई ठोस जानकारी नहीं मिल पाई. हालांकि रणवीर यादव ने अपनी बेटी के बारे में बताया कि वह काफी सख्त मिजाज की लड़की थी. एकदम से निडर. उस का न तो घर में और न ही पासपड़ोस में किसी से भी कोई मनमुटाव था. यहां तक कि उसे किसी के द्वारा परेशान करने की कोई शिकायत तक नहीं मिली थी.
पुलिस ने मौके की काररवाई निपटाने के बाद लाश पोस्टमार्टम के लिए भेज दी और रणवीर यादव की तहरीर के आधार पर हत्या की रिपोर्ट दर्ज कर ली. उन्होंने रामसुमेर के छोटे भाई आशीष यादव पर शक जताया था.

थानाप्रभारी ने केस को सुलझाने के लिए एक टीम बनाई. टीम में थाने के अतिरिक्त इंसपेक्टर ए.जेड. खान (क्राइम), एसआई ओमपाल सिंह, शैलेष कुमार तिवारी, शशिकला, कांस्टेबल शांति देवी आदि को शामिल किया.जांच की शुरुआत पारुल की मां रूमा देवी से पूछताछ के साथ हुई. बातचीत से पता चला कि 3 जून की रात करीब 8 बजे पारुल रूमा के साथ मवेशियों को चारा देने के लिए गई थी. उसी समय उस के फोन पर एक काल आई. फोन पर बात करतेकरते वह घर से बाहर निकल गई. घर की रसोई में गैस पर दूध रखा था. इस कारण रूमा तुरंत घर के अंदर आ गई. उन्होंने सोचा कि पारुल गाय और बछड़ों को चारापानी दे कर आ जाएगी. कुछ देर तक जब वह नहीं आई तब रूमा चिंतित हो गईं. उन्होंने इस की जानकारी अपने पति रणवीर यादव को दी.

वह खाना खाने के बाद पारुल की तलाश के लिए निकल पड़े. उन के साथ चचेरा भाई रामसुमेर यादव और उस का छोटा भाई आशीष यादव भी थे. उन्होंने रात 3 बजे तक पारुल की तलाश की. काफी थक जाने पर वे वापस लौट आए.तलाशी के दौरान रणवीर ने पाया कि आशीष उन्हें बरगला रहा है. कभी पोखर जाने के रास्ते पर ले गया तो कभी अलग जगहों पर ले गया. यहां तक कि उस ने तालाब में पैर फिसल कर गिरने की भी आशंका जताई थी. उस खेत की ओर उस ने उन्हें जाने ही नहीं दिया, जहां पारुल की लाश मिली थी. हत्याकांड की जांचपड़ताल

पिता का दोस्त

अपराध: नजदीकी रिश्तों में हत्या

नजदीकी रिश्तों में हत्या कुछ साल पहले उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में उत्तर प्रदेश विधानपरिषद के सभापति रमेश बाबू यादव के 22 साल के बेटे अभिजीत की हत्या में उस की 55 साल की मां मीरा यादव की गिरफ्तारी की गई थी. एक मां ने अपने सगे बेटे की हत्या क्यों की? वजह थी, बेटे का नशा कर के मां को मारनापीटना. मां भी कहां तक सहन करती. एक दिन उस का गुस्सा भड़क गया और परिवार तबाह हो गया. इस मामले में मां ने बेटे की हत्या की,

क्योंकि वह शराब पीता था और मां से पैसे मांगता था, जो मां के पास थे ही नहीं. इंगलैंड में रहे रहे भारतीय मूल के मुसलिम परिवार की मां ने साल 2010 में 7 साल के बेटे की हत्या केवल इसलिए कर दी थी कि वह कुरान की आयतें याद नहीं कर पा रहा था. गुरदासपुर, पंजाब में नाजायज रिश्ता बनाए रखने के लिए एक औरत ने अपने बेटे की हत्या कर उस की लाश नदी में फेंक दी थी. इसी तरह बहराइच, उत्तर प्रदेश में एक औरत ने अपने बेटे की हत्या कर डाली, क्योंकि वह पहले अपने पति की मौत के बाद प्रेमी के साथ चली गई, पर जब बेटे ने अपना मकान बना लिया तो वह लौट कर रहना चाहती थी. इस अनबन में मां ने अपने प्रेमी की मदद से बेटे की हत्या कर डाली. हरियाणा में रोहतक में एक मां ने अपने छोटे बेटे के साथ मिल कर बड़े बेटे की हत्या कर डाली थी, जो 22 साल का था. उन्होंने उसे घर में ही गड्ढा खोद कर दबा दिया था. हालांकि इस तरह के मामलों में मां को गिरफ्तार कर ही लिया जाता है,

पर केरल हाईकोर्ट के जज ने एक मामले में सजा उलटते हुए कहा था कि ऐसे मामलों में जो दिखता है, उस से कुछ अलग भी होता है. कोई भी अपने पिता व उस कथित मां की भावनाओं को पूरी तरह नहीं सम झ सकता, जिस ने अपने बेटे की ही हत्या कर डाली है. आमतौर पर औरत के अधकचरे बदलते बयानों, पुलिस की रिपोर्ट, पड़ोसियों के बयानों पर ही फैसले सुना दिए जाते हैं और मां की सही हालत का आकलन नहीं होता है. नशे की लत ने बढ़ाई दूरी अभिजीत यादव के मामले में रमेश यादव खुद 12, कालीदास मार्ग पर बने अपने सरकारी आवास में रहते थे. दारुलशफा में बने आवास में उन का आनाजाना नहीं होता था. रमेश यादव मूलरूप से एटा के रहने वाले थे. वे ज्यादातर समय वहीं गुजारते थे. मीरा का बड़ा बेटा अभिषेक कंस्ट्रक्शन का काम करता था.

उस ने सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की थी. छोटा बेटा अभिजीत अपनी पढ़ाई के साथ दूसरे काम करता था, पर वह किसी भी काम में कामयाब नहीं हुआ था. ऐसे में वह नशे का शिकार भी हो गया था. अभिजीत को यह लगता था कि उसे जितना पैसा मिलना चाहिए, वह नहीं मिल रहा है. ऐसे में उस का मां के साथ झगड़ा होता था. मां के साथ झगड़े में अभिजीत अपने पिता रमेश यादव के साथ की गई शादी को ले कर भी ताने मारता था और उन के चरित्र को ले कर भी सवाल उठाता था. मीरा को ये बातें बुरी लगती थीं. मीरा ने अपने गहने बेच कर बेटे का बिजनैस शुरू कराया, पर वह उस में कामयाब नहीं हो सका. दशहरे के दिन भी अभिजीत ने अपनी मां से पैसे मांगे और न मिलने पर झगड़ा किया. मां को मारापीटा भी था. बारबार पैसे दे कर मीरा भी थक चुकी थीं. लखनऊ के एएसपी पूर्वी सर्वेश कुमार मिश्रा ने बताया कि पुलिस को दिए गए अपने बयान में मीरा ने कहा कि अभिजीत शराब पीने का आदी था.

वह आएदिन शराब पी कर हंगामा करता था. वे रोजरोज के झगड़े से तंग आ चुकी थीं. शनिवार की रात को तकरीबन 11 बजे अभिजीत शराब के नशे में चूर हो कर आया और आते ही गालीगलौज करने लगा. मीरा ने अभिजीत को थप्पड़ मारते हुए धक्का दे दिया, जिस से वह मर गया. ऐसे मामलों में मां को जेल में रखना कानून की तो जरूरत हो सकती है, पर इस का कोई नैतिक आधार नहीं है. बेटे की हत्या पर मां को सजा देना एक गलत बात है. उसे 2 बार सजा दी जा रही है. एक मां के रूप में और एक अपराधी के रूप में. हर इनसान एक ही सजा का पात्र होता है, 2 का नहीं.

जीजा के प्यार का रस : भाग 3

‘‘तुम भी न जाने क्यों शक करते हो. तुम से कह चुकी हूं कि मैं सिर्फ तुम्हारी हूं और तुम्हारे अलावा किसी और की ओर देखना भी मेरे लिए अपराध है.’’
‘‘अगर तुम्हारी बातें सच होतीं तो रोना काहे का था. तुम जो यह खेल खेल रही हो, एक न एक दिन खतरनाक साबित होगा.’’ सर्वेश ने पत्नी को समझाने की कोशिश की लेकिन सोनम पर सर्वेश की इन बातों का कोई असर नहीं हुआ.

एक दिन सर्वेश दुकान से थकाहारा घर लौटा. उस ने घर के भीतर कदम रखा तो उस के पैरों तले से जमीन जैसे खिसक गई. भरी दोपहर में सोनम और कमलेश रंगरेलियां मना रहे थे. सर्वेश के तनबदन में आग सी लग गई. उस ने उसी समय सोनम को भला बुरा कहा और कमलेश के सामने उस की बेइज्जती की.

‘‘यही दिन दिखाना बाकी था मुझे. तुम ने मेरे सीधेपन का नाजायज फायदा उठाया है. मुझ से तरहतरह की कसमें खाती रही हो और यहां अपने यार के साथ मौजमस्ती कर रही हो,’’ वह गुस्से में बोला.
सोनम चुपचाप पति की बातें सुनती रही. सर्वेश ने कमलेश को भी बुराभला कहा, ‘‘भाईसाहब, आप ने भी खूब रिश्तेदारी निभाई. मेरे ही घर में मेरी ही इज्जत पर धब्बा लगा दिया. मेरा नहीं तो अपने बच्चों का खयाल रखते. कल को तुम्हारी बेटी भी बड़ी होगी. उस के साथ कोई ऐसा करे तो तुम्हें कैसा लगेगा.’’
सर्वेश की बातों से कमलेश के तनबदन में आग लग गई. वह बौखला उठा और फिर बुलंद आवाज में सर्वेश को बुराभला कहना शुरू कर दिया, ‘‘मेरी बेटी को बुराभला कहा तो ठीक नहीं होगा.’’
‘‘क्या कर लोगे? दूसरे की औरत के साथ गुलछर्रे उड़ाने से पहले तुम्हें अपनी बेटी का खयाल नहीं आया?’’

उस दिन कमलेश और सर्वेश में जम कर कहासुनी हुई. लेकिन न तो सर्वेश ने इस बात का जिक्र किसी से किया और न ही कमलेश ने यह बात किसी को बताई. अलबत्ता इस घटना के बाद सर्वेश पत्नी पर नजर रखने लगा. जिस दिन उसे पता चलता कि कमलेश घर आया था, उस दिन वह सोनम की पिटाई करता.

अब तक सोनम और कमलेश के अवैध संबंधों की जानकारी सजारी गांव के लोगों को भी हो गई थी. गांव के लोग सर्वेश को अजीब नजरों से देखने लगे थे और फब्तियां भी कसने लगे थे. इन तानों से सर्वेश का सिर उठा कर चलना दूभर हो गया था. उस के घरवाले भी सोनम के चरित्र पर अंगुली उठाने लगे थे.
सोनम मुंहफट थी. इसलिए सास गोमती और ससुर मलखे उस से ज्यादा बात नहीं करते थे. सोनम क्या खाती है, क्या पहनती है, कहां जाती है, इस से उन को कोई मतलब न था. लेकिन जब बहू के नाजायज रिश्तों को ले कर उन की बदनामी होने लगी तो वे चिंतित हो गए.

सास गोमती ने एक रोज सोनम को समझाने का प्रयास किया तो वह फट पड़ी, ‘‘सासूमां, मेरे चरित्र पर अंगुली उठाने से पहले अपने गरेबान में झांक कर देखो. जवानी में तुम ने भी घाटघाट का पानी पिया होगा. कमलेश घर आता है तो आप लोगों की छाती फटती है. वह मेरा जीजा है. जीजासाली का रिश्ता रसीला होता ही है. मैं उस से हंसबोल लेती हूं, हंसीमजाक कर लेती हूं तो इस में हर्ज ही क्या?’’
गोमती जानती थी कि बहू बेलगाम है. इसलिए वह अपनी फजीहत नहीं कराना चाहती थीं. सो उन्होंने अपनी जुबान बंद कर ली और उस से बातचीत करनी बंद कर दी. गोमती ने अब अड़ोसपड़ोस के घरों में जाना भी कम कर दिया. क्योंकि वह जहां भी जातीं, महिलाएं उन की बहू की ही चर्चा करतीं और उस के बहके कदमों को रोकने की बात कहतीं.

पति और घरवालों के विरोध के कारण सोनम सतर्क रहने लगी थी. कमलेश का भी सोनम के घर आना कम हो गया था. अब दोनों की बात मोबाइल फोन पर होती और जिस दिन घर सूना होता, उस
दिन सोनम मिलन के लिए कमलेश को बुला लेती.

लेकिन सावधानी के बावजूद एक दोपहर गोमती ने बहू को रंगरलियां मनाते पकड़ लिया. उस रोज उस के सब्र का बांध टूट गया. उस ने फोन पर बात कर बेटे सर्वेश को बुला लिया. सर्वेश घर आया तो कमलेश दुम दबा कर भाग गया. लेकिन सोनम कहां जाती. सर्वेश ने सोनम
को बुराभला कहा और उस की जम कर पिटाई की.

पत्नी सोनम की बेवफाई से सर्वेश टूट चुका था. वह अपना गम मिटाने के लिए शराब के ठेके पर जाने लगा. उसे सोनम से इतनी नफरत हो गई थी कि उस ने उस से बातचीत तक करनी बंद कर दी थी. वह देर रात शराब के नशे में घर आता और कभी खाना खा कर तो कभी खाए बिना ही सो जाता था. कभीकभी कमलेश को ले कर उस की जम कर तकरार होती थी और नौबत मारपीट तक आ जाती थी.
सोनम कमलेश की दीवानी थी, इसलिए उसे न तो पति की परवाह थी और न ही परिवार की इज्जत की. इसी दीवानगी में एक रोज सोनम ने फोन पर कमलेश से बात की और उसे घर बुलाया. कुछ देर बाद कमलेश सोनम के घर आया तो वह अपनी चारपाई पर लेटी बारबार करवटें बदल रही थी. कमलेश उस की बेचैनी भांप गया था.

 

‘‘सोनम, तुम्हारी तबियत ठीक नहीं है क्या?’’ कमलेश ने पूछा.

सोनम उठ कर बैठ गई. वह पल भर तक कमलेश के चेहरे पर नजर जमाए रही, फिर सपाट शब्दों में बोली, ‘‘जीजाजी, तुम मुझे प्यार करते हो न?’’
‘‘अरे, यह भी कोई पूछने की बात है?’’ कमलेश चारपाई से उठा, ‘‘तुम्हें मेरे प्यार पर यकीन नहीं है क्या? मेरी चाहत में कहीं कोई खामी नजर आई तुम्हें?’’ उस ने सोनम का चेहरा अपने हाथों में थाम लिया.
‘‘नहीं जीजाजी, मुझे तुम पर पूरा भरोसा है, लेकिन…’’
‘‘लेकिन क्या?’’
‘‘तुम्हारी वजह से मेरा पति मुझे मारतापीटता है और तुम दुम दबा कर भाग जाते हो. आखिर तुम कैसे प्रेमी हो? कुछ करते क्यों नहीं?’’
‘‘घर का मामला है. फिर वह तुम्हारा पति है. तुम पर उसी का हक है. मैं कर ही क्या सकता हूं?’’ कमलेश ने मजबूरी जाहिर की.
‘‘विरोध तो कर सकते हो. फिर भी न माने तो…’’ सोनम बोली.
‘‘तो क्या सोनम?’’ कमलेश ने आश्चर्य से पूछा.
‘‘उस का गला काट दो, मार डालो उसे, ताकि मैं चैन से रह सकूं.’’ सोनम बोली.
‘‘ठीक है, जैसा तुम चाहती हो वैसा ही होगा,’’ कमलेश ने आश्वासन दिया.
‘‘मुझे तुम से यही उम्मीद थी.’’ सोनम चैन की सांस लेते हुए बोली.

सर्वेश फरनीचर की दुकान पर काम करता था. वह अकसर रात 10 बजे के बाद ही घर आता था. लेकिन 18 फरवरी, 2022 को वह शाम ढलते ही घर आ गया. उस ने साफसुथरे कपड़े पहने और सजसंवर कर सोनम से बोला, ‘‘मैं एक शादी में शामिल होने शहर जा रहा हूं. सुबह ही आ पाऊंगा.’’
पति की बात सुन कर सोनम मन ही मन खुश हुई. सर्वेश चला गया तो सोनम ने मोबाइल फोन पर कमलेश से बात की, ‘‘जीजाजी, सर्वेश एक शादी में शहर गया है. आज की पूरी रात हमारी मिलन की रात है. तुम जल्दी घर आ जाओ.’’
‘‘कहीं सर्वेश रात को घर लौट आया तो..?’’ कमलेश ने शंका जाहिर की.
‘‘तुम्हारी तो कागज से भी ज्यादा कमजोर है जो एकदम फट जाती है. अरे भई, जब वह कह कर गया है कि सुबह ही आ पाएगा. तुम निश्चिंत हो कर आ जाओ,’’ सोनम उसे विश्वास दिलाते
हुए बोली.
‘‘तब ठीक है. मैं जल्द ही आ रहा हूं,’’ कमलेश उत्साह से बोला.
रात लगभग 11 बजे कमलेश सोनम कें घर सजारी आ गया. अब तक सोनम के सासससुर जो भूतल पर रहते थे, सो गए थे. सोनम पहली मंजिल पर रहती थी. कमरे में पहुंचते ही कमलेश ने सोनम को बांहों में जकड़ लिया और फिर रंगरलियां मनाने के लिए बिस्तर पर पहुंच गए.
इधर रात एक बजे सर्वेश घर लौट आया. वह सीढि़यां चढ़ कर अपने कमरे में पहुंचा तो उस की सांसें ठहर गईं. कमलेश और सोनम एकदूसरे में डूबे थे. यह देख कर सर्वेश का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया. बात बरदाश्त के बाहर थी.
वह सोनम पर टूट पड़ा. उस ने जैसे ही सोनम को मारने के लिए हाथ उठाया, कमलेश उस का हाथ पकड़ कर मरोड़ते हुए बोला, ‘‘खबरदार साढ़ू भाई, जो हाथ उठाया. चुपचाप चले जाओ वरना…’’
‘‘वरना क्या?’’ कहते हुए सर्वेश ने सोनम को पकड़ लिया. यह देख कमलेश और सोनम सर्वेश पर टूट पड़े और उसे लातघूंसों से पीटने लगे.

सर्वेश समझ गया कि उन दोनों के इरादे नेक नहीं है. अत: वह जान बचा कर कमरे से भागा, लेकिन कमलेश ने उसे चंद कदम की दूरी पर फिर से दबोच लिया.
इसी समय सोनम पति की छाती पर सवार हो गई और गुस्से से बोली, ‘‘मार डालो इस हरामी के पिल्ले को. यह जिंदा रहेगा तो हम दोनों के बीच बाधक बनता रहेगा.’’
यह सुनते ही कमलेश के हाथ सर्वेश की गरदन पर पहुंच गए. इस के बाद कमलेश और सोनम ने मिल कर सर्वेश का गला घोट दिया.
सर्वेश को मौत की नींद सुलाने के बाद रात 3 बजे दोनों ने मिल कर उस के शव को अपने मकान के पीछे खंडहर में फेंक दिया. फिर सुबह होने के पहले कमलेश फरार हो गया. सोनम भी कमरा दुरुस्त कर सो गई, जैसे कुछ हुआ ही न हो. सोनम ने पति के मोबाइल को तोड़ कर खंडहर की झाडि़यों में फेंक दिया.

19 फरवरी, 2022 की सुबह पड़ोस का रहने वाला युवक राजू खंडहर में कूड़ा फेंकने गया तो उस ने सर्वेश की लाश देखी. राजू ने इस की खबर उस के घर दी तो घर में कोहराम मच गया. मलखे व गोमती तुरंत वहां पहुंचे और बेटे का शव देख कर फफक पड़े. सोनम भी पहुंची और पति के शव के पास विलाप करने लगी.
इसी बीच मलखे ने सर्वेश की हत्या की सूचना थाना चकेरी पुलिस को दी तो कुछ देर बाद चकेरी थानाप्रभारी मधुर मिश्रा, एएसपी मृगांक शेखर पाठक, एडिशनल डीसीपी (ईस्ट) राहुल मिठास तथा डीसीपी (ईस्ट) प्रमोद कुमार घटनास्थल आ गए.
अधिकारियों ने मौके पर डौग स्क्वायड तथा फोरैंसिक टीम भी बुलवा ली. पुलिस अधिकारियों ने घटनास्थल का बारीकी से निरीक्षण किया. सर्वेश की उम्र 32 साल के आसपास थी. उस के गले पर खरोंच के निशान थे. ऐसा लग रहा था कि उस की हत्या गला दबा कर की गई थी.
फोरैंसिक तथा डौग स्क्वायड टीम ने भी घटनास्थल पर जांच की तथा साक्ष्य जुटाए. निरीक्षण के बाद शव को पोस्टमार्टम हाउस भेज दिया गया.
घटनास्थल पर मृतक की पत्नी सोनम मौजूद थी. वह छाती पीट कर रो रही थी. डीसीपी प्रमोद कुमार ने उस से पूछताछ की तो सोनम ने बताया, ‘‘किसी से लेनदेन का विवाद था. रात 12 बजे उसी का फोन आया था. उस के बाद यह कह कर घर से चले गए कि कुछ देर बाद वापस आ जाएंगे. कहां जा रहे हैं? किस का फोन था? यह कुछ नहीं बताया.
‘‘मैं रात भर इन का इंतजार करती रही. लेकिन नहीं आए. सुबह इन की मौत की खबर मिली. पता नहीं किस ने मेरा सुहाग उजाड़ दिया. अब मेरे मासूम बच्चों का क्या होगा?’’
पुलिस ने जांच आगे बढ़ाई और मृतक के पड़ोसियों से पूछताछ की तो पता चला कि सोनम चरित्रहीन है. उस का नाजायज रिश्ता उस के जीजा कमलेश से है.
सर्वेश की हत्या में इन्हीं दोनों का हाथ हो सकता है.
मृतक के मातापिता ने भी दबी जुबान से स्वीकार किया कि उन की बहू सोनम सर्वेश के साथ दगा कर सकती है. सोनम शक के घेरे में आई तो थानाप्रभारी मधुर मिश्रा ने उसे हिरासत में ले लिया और उस का मोबाइल फोन अपने कब्जे में कर लिया.
मधुर मिश्रा ने सोनम के फोन की काल डिटेल्स निकलवाई तो पता चला कि एक खास नंबर पर वह घंटों बातचीत करती थी. इस नंबर के संबंध में सोनम से पूछा गया तो उस ने बताया कि यह मोबाइल नंबर उस की फुफेरी बहन दीपिका के पति कमलेश का है.
कमलेश शक के दायरे में आया तो पुलिस ने उसे नाटकीय ढंग से हिरासत में ले लिया. पुलिस ने उस के मोबाइल फोन की भी काल डिटेल्स निकलवाई तो पता चला कि उन दोनों के बीच हर रोज बातें होती थीं. इस के अलावा घटना के समय सोनम और कमलेश के मोबाइल फोन की लोकेशन भी घटनास्थल पर मिली.
इस के बाद थानाप्रभारी मधुर मिश्रा ने सोनम और कमलेश से सख्ती से पूछताछ की तो दोनों टूट गए और सर्वेश की हत्या का जुर्म कुबूल कर लिया. कमलेश ने पूछताछ में बताया कि सर्वेश की पत्नी सोनम से उस का नाजायज रिश्ता बन गया था. सर्वेश अवैध रिश्ते का विरोध करता था.

घटना वाली रात सर्वेश ने उन दोनों को रंगेहाथ पकड़ लिया था. विरोध पर उन दोनों ने मिल कर सर्वेश की गला घोट कर हत्या कर दी और शव को घर के पिछवाड़े खंडहर में फेंक दिया था. सोनम की निशानदेही पर पुलिस ने मृतक
का टूटा हुआ मोबाइल फोन भी बरामद कर लिया.
चूंकि दोनों ने सर्वेश की हत्या का जुर्म कुबूल कर लिया था, अत: थानाप्रभारी मधुर मिश्रा ने मृतक के पिता मलखे की तहरीर पर भादंवि की धारा 302, 201 के तहत सोनम व कमलेश के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली तथा उन्हें विधिसम्मत गिरफ्तार कर लिया.
22 फरवरी, 2022 को पुलिस ने हत्यारोपी सोनम व कमलेश को कानपुर कोर्ट में पेश किया, जहां से दोनों को जिला जेल भेज दिया गया. उस के दोनों बच्चों को उन की दादी गोमती संभाल रही थी.

जीजा के प्यार का रस : भाग 1

कानपुर के सजारी गांव का सर्वेश राजपूत देर शाम थकाहारा घर आया तो उस का साढ़ू कमलेश
उस की पत्नी के साथ उस के ही घर में मौजूद था. दोनों हंसीठिठोली कर रहे थे. उन दोनों को इस तरह करीब देख कर सर्वेश का खून खौल उठा. कमलेश साढ़ू को आया देख कर बाहर चला गया.
उस के जाते ही सर्वेश सोनम पर बरस पड़ा, ‘‘तुम्हारे बारे में जो कुछ सुनने को मिल रहा है, उसे सुन कर अपने आप पर शर्म आती है मुझे. मेरी नहीं तो कम
से कम परिवार की इज्जत का तो
ख्याल रखो.’’

‘‘मैं ने ऐसा क्या गलत कर दिया, जो मेरे बारे में सुनने को मिल गया?’’ सोनम तुनक कर बोली.
सर्वेश ताव में बोला, ‘‘तुम्हारे और कमलेश के नाजायज रिश्तों की चर्चा अब पूरे गांव में हो रही है. लोग मुझे अजीब नजरों से देखते हैं. मेरे घर वाले भी कहते हैं कि अपनी पत्नी को संभालो. सुनसुन कर मेरा सिर शर्म से झुक जाता है. आखिर मेरी जिंदगी को तुम क्यों नरक बना रही हो.’’
‘‘नरक तो तुम ने मेरी जिंदगी बना दी है. पत्नी को जो सुख चाहिए, तुम ने कभी दिया है मुझे? तुम अपनी कमाई तो शराब में लुटाते हो और बदनाम मुझे कर रहे हो.’’ सोनम ने मन की बात उगल दी.
सोनम की बात सुन कर सर्वेश का गुस्सा सातवें आसमान पर जा पहुंचा. वह उसे पीटते हुए बोला, ‘‘साली बदजात, तेरी बहन की… एक तो गलती करती है ऊपर से मुझ से जुबान लड़ाती है.’’

सोनम चीखतीचिल्लाती रही, लेकिन सर्वेश के हाथ तभी रुके, जब पिटतेपिटते सोनम बेहाल हो गई. पत्नी की जम कर धुनाई करने के बाद सर्वेश बिस्तर पर जा लेटा.
सोनम और उस के बीच आए दिन ऐसा होता रहता था. उन के झगड़े की वजह था सर्वेश का साढ़ू कमलेश. वह अकसर उस के घर आता था और सोनम से बतियाता था. सर्वेश को शक था कि सोनम और कमलेश के बीच नाजायज संबंध हैं.

पत्नी की किसी भी पुरुष से दोस्ती चाहे जायज हो या नाजायज, कोई भी पति बरदाश्त नहीं कर सकता. सर्वेश भी नहीं कर पा रहा था. जब भी उस के दिमाग में शक का कीड़ा कुलबुलाता, वह बेचैन हो जाता था.
कानपुर शहर के थाना चकेरी अंतर्गत एक गांव है सजारी. इसी सजारी गांव में मलखे राजपूत अपने परिवार के साथ रहता था. उस के परिवार मे पत्नी गोमती के अलावा 4 बेटियां और एक बेटा सर्वेश था.
मलखे फरनीचर का अच्छा कारीगर था. उस ने अपने बेटे सर्वेश को भी अपना हुनर सिखा दिया था. सर्वेश अब सजारी की एक फरनीचर की दुकान पर काम करने लगा था.

सर्वेश का विवाह सोनम से हुआ था. खूबसूरत सोनम को पा कर सर्वेश बहुत खुश था. उसे वह जी जान से चाहने लगा. लेकिन सोनम सर्वेश जैसा साधारण पति पा कर खुश नहीं थी.
दरअसल, उस ने अपने मन में जिस पति की कल्पना की थी, सर्वेश वैसा नहीं था. सोनम ने सपना संजो रखा था कि उस का पति हैंडसम और मौडर्न होगा. जबकि सर्वेश उस की अपेक्षाओं से बिलकुल विपरीत था.

वह सांवले रंग का था. साधारण कपड़े पहनता था और शराबी था. यह सब सोनम को पसंद न था. इसी कुंठा ने सोनम को चिड़चिड़ा बना दिया था. परिवार में छोटीछोटी बातों को ले कर झगड़ा करना अब उस की आदत बन गई. आखिर परेशान हो कर सासससुर ने उसे अलग कर दिया.
सोनम अब पति के साथ मकान की पहली मंजिल पर रहने लगी. अलग होते ही सोनम ने मनमानी शुरू कर दी. सर्वेश सुबह 9 बजे ही घर से काम करने के लिए निकल जाता था. फिर रात गए ही घर लौटता था.

जीजा के प्यार का रस : भाग 2

चंचल और हसीन सोनम को रोकनेटोकने वाला अब कोई नहीं था. पति के जाते ही वह बनसंवर कर घर के बाहर ताकझांक करने लगती. हालांकि वह 2 बेटियों की मां बन चुकी थी. लेकिन उस की उम्र का अंदाजा लगाना मुश्किल था.

सोनम के घर कमलेश का आनाजाना था. वह सोनम की फुफेरी बहन दीपिका का पति था. कमलेश मूलरूप से महाराजगंज (रायबरेली) का रहने वाला था, लेकिन कानपुर शहर में रानीगंज (काकादेव) मोहल्ले में रहता था. वह शटरिंग का काम करता था.

कमलेश और सोनम का रिश्ता जीजासाली का था. इस नाते वह सोनम से हंसीमजाक व छेड़छाड़ भी कर लेता था. सोनम उस की हंसीमजाक का बुरा नहीं मानती थी, बल्कि वह खुद भी उस से छेड़छाड़ व मजाक करती थी.सोनम को कमलेश की लच्छेदार बातें भी बहुत पसंद आती थीं, इसलिए वह भी उस से खूब बतियाती थी. दरअसल, दोनों के दिलों में एकदूसरे के प्रति चाहत पैदा हो गई थी. कमलेश जब भी उस के रूपसौंदर्य की तारीफ करता था तो सोनम के शरीर में अलग तरह की तरंगे उठने लगती थीं.

2 बच्चों की मां बनने के बाद सोनम के रूपलावण्य में और भी निखार आ गया था. उस का गदराया यौवन और भी रसीला हो गया था. झील सी गहरी आंखों में मादकता छलकती थी. संतरे की फांकों जैसे अधरों में ‘शहद जैसा द्रव्य’ समा गया था. सुराहीदार गरदन के नीचे नुकीले शिखर किसी को भी आकर्षित करने के लिए पर्याप्त थे. उस की नागिन सी लहराती काली चोटी सदैव नितंबों को चूमती
रहती थी.

घर आतेजाते कमलेश अकसर सोनम के रूपलावण्य की तारीफ करता था. किसी मर्द के मुंह से अपनी तारीफ सुनना हर औरत की सब से बड़ी कमजोरी होती है. सोनम से भी रहा नहीं गया.
कमलेश ने एक रोज उस के हुस्न और जिस्म की तारीफ की तो वह फूल कर गदगद हो गई. फिर वह बुझे मन से बोली, ‘‘ऐसी खूबसूरती किस काम की, जिस की तरफ पति ध्यान ही न दे.’’
कमलेश को सोनम की किसी ऐसी ही कमजोर नस की तलाश थी. जैसे ही उस ने अपने पति की बेरुखी का बखान किया, कमलेश ने उस का हाथ थाम लिया, ‘‘तुम चिंता क्यों करती हो, हीरे की परख जौहरी ही करता है. आज से तुम्हारे दुख मेरे हैं और मेरी सारी खुशियां तुम्हारी.’’

कमलेश की लच्छेदार बातों ने सोनम का मन मोह लिया. वह उस की बातों और उस के व्यक्तित्व की पूरी तरह कायल हो गई. अंदर ही अंदर उस के दिल की धड़कनें बढ़ गईं. आखिर में मन बेकाबू होने लगा तो सोनम ने कांपते होंठों से कहा, ‘‘अब तुम जाओ, उस के आने का समय हो गया है. कल दोपहर में आना. मैं इंतजार करूंगी.’’

कमलेश ने वह रात करवटें बदलते काटी. सारी रात वह सोनम के खयालों में डूबा रहा. सुबह वह देर से जागा. दोपहर होतेहोते वह सजसंवर कर सोनम के घर जा पहुंचा. सोनम उसी का इंतजार कर रही थी. उस ने उस दिन खुद को कुछ विशेष ढंग से सजायासंवारा था. कमलेश ने पहुंचते ही सोनम को अपनी बांहों में समेट लिया, ‘‘आज तो तुम इंद्र की परी लग रही हो, जी चाहता है नजर न हटाऊं.’’
‘‘थोड़ा सब्र से काम लो जीजाजी. इतनी बेसब्री ठीक नहीं होती,’’ सोनम ने मुसकरा कर कहा, ‘‘कम से कम दरवाजा भीतर से बंद कर लो, वरना किसी आनेजाने वाले की नजर पड़ गई तो हंगामा बरप जाएगा.’’

कमलेश ने फौरन घर का दरवाजा भीतर से बंद कर लिया. फिर बेकरार कमलेश ने सोनम को गोद में उठाया और बिस्तर पर लिटा दिया. सोनम ने भी कस कर उसे जकड़ लिया. कमलेश की गर्म बांहों में गजब का जोश था. आनंद का मोती पाने के लिए वह सोनम के शबाब के सागर में गहरे उतरता चला गया.

जीजा के जोश से सोनम निहाल हो गई. उस ने भी जीजा का उत्साह बढ़ाते हुए अपना बदन उस से रगड़ना शुरू कर दिया. कमलेश का तूफान जब थमा तो सोनम के चेहरे पर असीम तृप्ति थी. सोनम ने कभी पति से ऐसी संतुष्टि नहीं पाई थी, जैसी जीजा से पाई.

सोनम से नशीला सुख पा कर कमलेश फूला नहीं समा रहा था. सोनम भी सैक्स का साथी पा कर खुश थी. बस, उस रोज से दोनों के बीच वासना का खेल अकसर खेला जाने लगा. अब कमलेश अकसर सोनम से मिलन करने आने लगा. सोनम के लिए अब पति का कोई महत्त्व नहीं
रह गया, क्योंकि सैक्स का साथी जीजा बन गया.

सोनम के पति सर्वेश और कमलेश में खूब पटती थी. रविवार के दिन जब सर्वेश की दुकान बंद रहती तो कमलेश शराब की बोतल ले कर सर्वेश के घर आ जाता फिर दोनों की महफिल जमती. सोनम भी उन का साथ देती.
कमलेश सोनम से खुल कर हंसीमजाक करता. जीजासाली का रिश्ता था, अत: सर्वेश ने कभी आपत्ति नहीं की. मजाकमजाक में कमलेश रिश्ते की हद भी पार कर जाता, लेकिन सर्वेश खुल कर उस का विरोध नहीं कर सका.

साढ़ू के नाजुक रिश्ते की उस ने हमेशा मर्यादा बनाए रखने की कोशिश की थी. लेकिन सोनम थी कि उसे जरा भी इस की परवाह नहीं थी. वह खुल कर कमलेश के उल्टेसीधे मजाकों के जवाब देती और उस से घुलमिल कर तरहतरह की बातें करती.सर्वेश ने कई बार सोनम को उस की हरकतों के लिए आगाह किया, लेकिन वह हर बार सर्वेश को अपनी लागीलिपटी बातों से फुसला लेती.

गे संबंधों का लव ट्रायएंगल

भाई ही बने जोरू और जमीन के प्यासे- भाग 1

15जुलाई, 2022 को दिन के 11 बजे उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले के थाना सुबेहा पुलिस को
112 नंबर द्वारा सूचना मिली कि शुकुलपुर गांव में एक युवक तमंचा ले कर अपनी छत पर खड़ा हुआ है.
इस सूचना के मिलते ही थानाप्रभारी शिवनारायण सिंह आननफानन में अपनी टीम के साथ गांव पहुंचे. जिस समय पुलिस गांव पहुंची, वह युवक हाथ में तमंचा लिए छत पर इधरउधर घूम रहा था. वह शुकुलपुर के राजनारायण शुक्ला का मंझला बेटा अखिलेश था.

घर के आसपास खड़े गांव के लोग उसे समझाने में लगे हुए थे. लेकिन अखिलेश का कहना था कि वह अब जीना नहीं चाहता, इसलिए वह अपनी जीवनलीला समाप्त करने वाला है.
पुलिस ने भी अखिलेश को समझाने की काफी कोशिश की. लेकिन वह किसी की भी सुनने को तैयार नहीं था. पुलिस ने अखिलेश से ऐसा करने की वजह पूछी तो उस ने पुलिस को जो बताया, वह चौंका देने वाला था.

अखिलेश ने अपनी दर्दनाक दास्तां सुनाते हुए बताया कि उस की जिंदगी में अब कुछ नहीं बचा. पत्नी ही उस का एकमात्र सहारा थी. 2 दिन पहले ही उस ने उस की भी हत्या कर दी. वह उसे बहुत प्यार करता था. वह उस के बिना जिंदा नहीं रह सकता.युवक की बात सुनते ही गांव में सनसनी फैल गई. इस का कारण था कि गांव में इतना बड़ा हादसा हो गया, लेकिन किसी को भी कानोंकान खबर तक नहीं लगी, न उस के घर वालों को और न ही किसी रिश्तेदार को.

पुलिस ने अखिलेश से पूछा कि उस ने अपनी पत्नी को क्यों मार डाला, तब उस ने बताया कि उस की पत्नी अंजलि का उस के छोटे भाई के साथ काफी समय से चक्कर चल रहा था.
उस ने उसे और अपने भाई दोनों को समझाने की कोशिश की, लेकिन दोनों ने उस की एक न मानी. उन की इसी हरकत से तंग आ कर उस ने पत्नी को मौत के घाट उतार दिया. उस की लाश घर में पड़ी है.
अखिलेश के इस खुलासे के बाद गांव वालों के साथसाथ पुलिस भी हैरत में पड़ गई थी.
अखिलेश के हाथ में तमंचा था. पुलिस को डर था कि कहीं वह गोली मार कर सुसाइड न कर ले. पुलिस उसे बातों में उलझाना चाहती थी.
पुलिस ने इधरउधर के मकानों पर चढ़ने का रास्ता देखा, लेकिन उस छत का जीना घर के अंदर से ही था. छत पर जाने का रास्ता न होने के कारण लगभग 45 मिनट तक पुलिस उसे समझाती रही.
अखिलेश की हरकतें देख पुलिस ने मकान के दरवाजे को तोड़ने की कोशिश की. जब अखिलेश को लगा कि पुलिस उस के घर का दरवाजा तोड़ कर अंदर आने की कोशिश कर रही है तो उस ने अपने गले पर तमंचा सटा कर चेतावनी दी, ‘‘अगर किसी ने दरवाजा तोड़ कर मेरे पास आने की कोशिश की तो मैं गोली चला कर अपनी जीवनलीला समाप्त कर लूंगा.’’

उसी दौरान अखिलेश ने 3 बार गोली चलाने की कोशिश की. लेकिन तीनों बार ही फायर मिस हो गया. चौथी बार में गोली चल गई. इस से पहले कि घर का दरवाजा टूटता, अखिलेश ने अपनी गरदन के पास गोली मार ली. गोली लगते ही वह बुरी तरह से घायल हो गया.अखिलेश के गोली चलाते ही घटनास्थल पर हाहाकार मच गया. वहां पर खड़े लोगों में खलबली मच गई. घर का दरवाजा टूटते ही पुलिस तेजी से घर के अंदर दाखिल हुई. लेकिन अंदर का जो दृश्य था, दिल को दहला देने वाला था. अंदर के दृश्य को देख कर पुलिस सन्न रह गई.

घर के अंदर अखिलेश के भाई अजय का रक्तरंजित शव पड़ा हुआ था. उस के पास बुरी तरह से घायल अवस्था में उस के पिता राजनारायण पड़े हुए थे. पुलिस ने दोनों की हालत बिगड़ती देख तुरंत हैदरगढ़ के ट्रामा सेंटर भेज दिया. घटना की जानकारी मिलते ही एसपी अनुराग वत्स, एएसपी मनोज पांडेय भी घटनास्थल पर पहुंच गए थे.अखिलेश और उस के पिता राजनारायण को ट्रामा सेंटर में भरती कराने के बाद पुलिस ने उस की पत्नी की तलाश शुरू की तो उस का शव घर के बगल वाली झोपड़ी में पौलीथिन व बोरी में छिपा मिला. अखिलेश ने अपनी बीवी अंजलि की हत्या 2 दिन पहले ही कर दी थी. इसी कारण उस के शव से बदबू भी आने लगी थी.

अंजलि की हत्या की पुष्टि होते ही पुलिस ने मृतका के मायके वालों को भी इस की खबर दे दी थी. बेटी की हत्या की खबर सुनते ही उस के मायके वाले तुरंत शुकुलपुर पहुंच गए.
अंजलि के मायके वालों से पूछताछ करने के बाद पुलिस ने अपनी काररवाई पूरी कर दोनों शवों (अंजलि और अखिलेश के भाई अजय) का पंचनामा कर पोस्टमार्टम हेतु भिजवा दिया.

पोस्टमार्टम के बाद अंजलि का अंतिम संस्कार उस के मायके वालों ने शहर के ही श्मशान घाट पर कर दिया था. जबकि अजय का शव देर रात शुकुलपुर गांव में ही लाया गया था. जबकि अजय के पिता राजनारायण शुक्ला की बिगड़ती हालत के कारण वह उस के दाह संस्कार में शामिल नहीं हो पाए थे.
इस मामले को ले कर पुलिस ने घायल राजनारायण शुक्ला की हालत में सुधार होने पर उन से गहन जानकारी ली. पुलिस पूछताछ में पता चला कि उस के 4 बेटे राघव शरण, अजय, अखिलेश और अनिल सभी अलगअलग रहते थे. राजनारायण शुक्ला बेटे अखिलेश के साथ ही रहते थे.

कुछ समय पहले ही अखिलेश ने अपने घर के सामने ही अपने पैसों से कुछ जमीन खरीदी थी. उस के तीनों बेटे उस पर भी अपना अधिकार मान रहे थे. जिसे ले कर चारों भाइयों में मनमुटाव चल रहा था.
अखिलेश ने 15 जुलाई की सुबह अपने बड़े भाई अजय व छोटे भाई अनिल को अपने घर बुलाया. तीनों राजनारायण के सामने ही जमीन बंटवारे की बात करने लगे. उसी दौरान अखिलेश ने अपने छोटे भाई अनिल को कोल्डड्रिंक लाने दुकान पर भेज दिया.

अनिल के जाते ही अखिलेश अजय से मारपीट पर उतर आया और घर में रखे बांके से उस ने अजय पर हमला बोल दिया. बांके के ताबड़तोड़ प्रहार से अजय की मौके पर ही मौत हो गई. अजय के बचाव में पिता राजनारायण सामने आए तो अखिलेश ने उन्हें भी घायल कर दिया.अखिलेश ने अपने बड़े भाई अजय की हत्या जमीन विवाद के कारण ही की होगी. लेकिन इस मामले में एक अहम सवाल उठ रहा था कि अखिलेश ने आत्महत्या करने की कोशिश के दौरान बताया था कि उस की पत्नी का उस के भाई के साथ चक्कर चल रहा था, जिस के कारण उस ने उसे मौत के घाट उतार दिया था. उस का सब से बड़ा दुश्मन तो उस का छोटा भाई अनिल ही था, जिस के कारण उस ने सुसाइड करने की कोशिश की थी.
अनिल भी जमीन में बंटवारे को ले कर विवाद कर रहा था. फिर उस ने अनिल को छोड़ कर अजय को ही मौत के घाट क्यों उतारा. यह बात पुलिस के गले नहीं उतर रही थी.

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