राहुल गांधी ने इस पदयात्रा का आगाज ‘विवेकानंद पौलीटैक्निक’ से 118 दूसरे ‘भारत यात्रियों’ और कई नेताओं व कार्यकर्ताओं के साथ 7 सितंबर, 2022 को शुरुआत की थी. कांग्रेस ने राहुल गांधी समेत 119 नेताओं को ‘भारत यात्री’ नाम दिया है, जो कन्याकुमारी से पदयात्रा करते हुए कश्मीर तक जाएंगे. ये लोग कुल 3,570 किलोमीटर की दूरी तय करेंगे.
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कन्याकुमारी से अपनी ‘भारत जोड़ो’ यात्रा की औपचारिक शुरुआत की और इस मौके पर पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने एक लिखित संदेश में कहा, ‘यह यात्रा भारतीय राजनीति के लिए परिवर्तनकारी क्षण है और यह कांग्रेस के लिए संजीवनी का काम करेगी.’
इस तरह कहा जा सकता है कि राहुल गांधी की यह पदयात्रा कई माने में गंभीर संदेश देश को देने लगी है. देश के प्रधानमंत्री रह चुके और अपने पिता राजीव गांधी को श्रीपेरंबदूर में श्रद्धांजलि देने के बाद यह पदयात्रा शुरू हुई थी, जो देखतेदेखते भाजपा के लिए सिरदर्द बन गई और कांग्रेस अब आगे निकलती दिखाई दे रही है.
भाजपा के आरोप
राहुल गांधी की पदयात्रा शुरू होने से पहले से ही भारतीय जनता पार्टी की घबराहट दिखाई देने लगी थी और उस के नेता इस पदयात्रा पर उंगली उठाने लगे थे. जैसेजैसे पदयात्रा का समय निकट आता गया, भारतीय जनता पार्टी और भी आक्रामक होती चली गई.
पदयात्रा शुरू होने के साथ भाजपा के नेताओं की जैसी आदत है, उन्होंने हर मुमकिन तरीके से राहुल गांधी की इस ऐतिहासिक पदयात्रा को शुरू में ही मानसिक रूप से ध्वस्त और कमजोर करने की भरसक कोशिश की. देश में यह संदेश फैलाने का काम किया कि यह सब तो सिर्फ और सिर्फ बेकार की कवायद है.
भाजपा के एक नेता ने कहा कि भारत जोड़ो यात्रा का क्या मतलब है भाई? भारत तो पहले से ही जुड़ा हुआ है. इस तरह इस अभियान पर सवालिया निशान लगाने की पूरी कोशिश की गई.
मगर आश्चर्यजनक रूप से भाजपा का यह अमोघ ब्रह्मास्त्र फेल हो गया, क्योंकि देश की जनता राहुल गांधी को बड़ी गंभीरता से देख रही है और भारत जोड़ो यात्रा को पौजिटिव भाव से ले रही थी.
भाजपा का जब भारत जोड़ो यात्रा पर सवाल उठाने वाला तीर नहीं चला, तो उस ने दूसरा तीर चलाया और कहा कि राहुल गांधी तो 41,000 रुपए की महंगी टीशर्ट पहन कर पदयात्रा पर निकले हैं, लेकिन भाजपा का यह तीर भी भोथरा साबित हुआ, क्योंकि देश की जनता ने उसे गंभीरता से नहीं लिया.
वजह, आरोप लगाने वाले भाजपाई नेता चाहे वे प्रधानमंत्री हों या गृह मंत्री या फिर दूसरे बड़े नेता खुद लाखों रुपए के बेशकीमती कपड़े पहनते हैं. इन की फुजूलखर्ची सारा देश देख रहा है. इन के स्वभाव में कहीं भी किफायतदारी नहीं है. ऐसे में यह तीर ‘पर उपदेश कुशल बहुतेरे’ कहावत बन कर रह गया.
राहुल गांधी की इस पदयात्रा से अब जहां भाजपा हैरान है, वहीं विपक्ष के कई बड़े नेताओं का भी होश काम नहीं कर रहा है. चाहे वे नीतीश कुमार हों या ममता बनर्जी या फिर अरविंद केजरीवाल, प्रधानमंत्री पद के दावेदार सभी के मुंह पर ताला लग गया है.
वैसे तो होना यह चाहिए था कि विपक्ष की एकता की बात करने वाले ये नेता खुल कर राहुल गांधी की पदयात्रा का समर्थन करते. अभी तक शिव सेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने राहुल गांधी की पदयात्रा के पक्ष में अपना बयान दिया है, बाकी सारे नेता खामोश हैं और उन की खामोशी अपनेआप में एक बड़ा सवाल है.