तुम दे कर मधु का प्याला मेरा मन बहला देती हो, उस पार मुझे बहलाने का उपचार न जाने क्या होगा…

मशहूर कवि हरिवंश राय बच्चन की कविता की ये पंक्तियां आज के संदर्भ में बिलकुल सटीक बैठती हैं. कवि ने अपनी कविता में कहा है कि तुम मधु यानी शराब का प्याला दे कर मेरा मन जरूर बहला देती हो पर यह प्याला मेरे जीवन को कोई उपचार शायद ही दे सके.

अब यह विडंबना ही है कि दिल्ली के बुराङी स्थित नत्थूपुरा मोङ पर नशा मुक्ति केंद्र के ठीक आगे शराब की दुकान है. 1-2 साल पहले ही शराब की यह दुकान खुली थी तो खासकर स्थानीय महिलाओं ने कङा विरोध जताया था. इस मामले पर जम कर राजनीति भी हुई थी. तब क्षेत्र के आम आदमी पार्टी विधायक संजीव झा ने पहले तो इस ठेके को बंद करवा दिया पर बाद में ठेका क्यों और किस के आदेश पर खुला, यह बताने को कोई तैयार नहीं.

अब जबकि दिल्ली सहित देश के अन्य राज्यों में करोना वायरस के कहर के बीच शराब की दुकानें खुल गई हैं तो लोग लौकडाउन की धज्जियां उड़ाते हुए सुबह से ही लंबी लाइनों में लग गए.

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समाजिक दूरी का बना मजाक

शराब के ठेके खुलने के आदेश के बाद राजधानी दिल्ली के कई इलाकों में भी बेवङों की भीङ देखी गई.

बुराङी के संतनगर और नत्थूपुरा में सुबह से ही लोग लाइनों में लग गए तो वहीं लक्ष्मी नगर, करोलबाग, रोहिणी आदि जगहों पर लगभग आधा किलोमीटर तक लगी लोगों की लंबी लाइन पहले दिन से ही डराने लगा है.

दिल्ली के लक्ष्मी नगर स्थित शराब की दुकान में हालात इतने बेकाबू हो गए कि खबर है कि पुलिस को लाठी चार्ज तक करनी पड़ी.

यहां एकएक लोग कार्टून भरभर कर बियर की बोतलें ले जाते दिखे.

संतनगर में एक 72 साल का व्यक्ति भी लाइन में लगा था.

इतने सुबहसुबह क्यों आए यहां? क्या कोरोना वायरस से डर नहीं लगता? उस ने छूटते ही बताया,”काहे का डर? एक न एक दिन तो मरना ही है फिर कोरोनाकोरोना क्या करें? लौकडाउन से पहले रोज ही शराब पीता रहा हूं मैं. देखो इतनी उम्र में भी जिंदा हूं. जिस दिन मरना होगा मर जाऊंगा.”

वहां एक 18-19 साल का लङका भी लाइन में खङा था. खुद की पहचान छिपाने के लिए गमछा से अच्छी तरह मुंह ढंके हुए था. कोरोना वायरस की वजह से मुंह में मास्क लगाना जरूरी तो है पर उस ने अपनेआप को छिपाने के लिए कस कर गमछा बांधे था.

शराब अपने लिए खरीद रहे हो? पूछने पर वह भङक गया. बोला,”हम अपने पैसे से शराब खरीद रहे हैं, आप क्यों पूछ रहे हो?”

मुद्दे पर राजनीति हो गई शुरू

अब दिल्ली में शराब के ठेके को ले कर राजनीति भी गरम हो गई है. भाजपा ने इसे केजरीवाल सरकार की विफलता और शराब माफियाओं के आगे झुकना बता रही है.

दिल्ली भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता राहुल त्रिवेदी कहते हैं,”एक तरफ पूरी दिल्ली रैड जोन में है, वहीं दूसरी तरफ केजरीवाल सरकार ने दिल्ली में शराब के ठेके खोलने का जो निर्णय लिया है वह पूरी तरह सरकार का गलत निर्णय है. बिना कोई इंतजाम, बिना कोई पूर्व तैयारियों के यह आदेश दिल्ली सरकार को नहीं देनी चाहिए थी. उस दिल्ली में जहां रोज सैकड़ों मामले कोविड-19 के आ रहे हैं, वहां शराब के ठेके खुलने से स्थिति नियंत्रण के बाहर आ जाएगी.”

यह पूछने पर कि दिल्ली सरकार ने तो केंद्र की मंजूरी के बाद ही ठेके खोलने के आदेश जारी किए हैं, तो राहुल त्रिवेदी कहते हैं,”देखिए, यह सही है कि शराब से राजस्व की प्राप्ति होगी पर दिल्ली रैड जोन में है. केंद्र ने ग्रीन और औरेंज जोन में ठेके सशर्त खोलने की अनुमति दी है. रैड जोन में ठेके खोलने के लिए राज्य सरकारों को अपने विवेक पर निर्णय लेने को कहा है. ऐसे में जब पूरी दिल्ली में रैड जोन है तो शराब के ठेके खोलना जनता को महामारी में धकेलने जैसा है.

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“पूरी दिल्ली से यह खबरें आ रही हैं कि शराब के ठेकों पर लंबीलंबी लाइनें लगी हैं. कहींकहीं तो पुलिस बल का प्रयोग तक करना पङ रहा है. यह केजरीवाल सरकार का गलत निर्णय है.”

शराब दुकानों पर भीड़ डरा रही है

दिल्ली महिला कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष, शर्मिष्ठा मुखर्जी कहती हैं,”एक महिला होने के नाते केजरीवाल सरकार की इस निर्णय की निंदा करती हूं. एक तरफ दिल्ली की महिलाएं जरूरी राशन जुटाने के लिए सुबह लाइनों में लगती हैं, वहीं दिल्ली के ठेकों पर पुरूषों की भीङ देख कर हैरान हूं. आज पूरी दिल्ली रैड जोन में है. शराब दुकानों पर भीङ काफी डरावनी है.

“मुख्यमंत्री केजरीवाल ने यह कहा था कि दुकानों में मार्शल तैनात होंगे पर न तो कहीं मार्शल दिखे और न ही सुरक्षा के कोई खास इंतजाम. सोशल डिस्टैंसिंग का माखौल उङ रहा है सो अलग.”

एक नई मुसीबत

औल इंडिया संगठित कामगार, उत्तर भारत की प्रभारी व पूर्व दिल्ली प्रदेश महिला कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष, साईं अनामिका कहती हैं,”केजरीवाल सरकार के इस निर्णय से हैरान भी हूं और हताश भी. एक तरफ लोग कोरोना वायरस के कहर से परेशान हैं, तो वहीं दूसरी ओर यह नई मुसीबत. ठीक है, इस से सरकार को आबकारी राजस्व की प्राप्ति होगी पर लोगों की जान की कीमत से बढ़ कर कतई नहीं.”

बोलने से बचते रहे

उधर चौतरफा आलोचनाओं में घिरी केजरीवाल सरकार के मंत्री, विधायक इस मुद्दे पर कुछ भी बोलने से बचते दिखे.

दिल्ली के तीमारपुर से विधायक और आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता दीलिप पांडेय ने पहले तो यह पूछा कि किस विषय पर बात करनी है और जब यह बताया कि दिल्ली सरकार ने शराब के ठेके खोलने की अनुमति क्यों दी जबकि पूरी दिल्ली रैड जोन में है, तो उन्होंने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया.

इस साल दिल्ली विधानसभा चुनाव में भारी जीत दर्ज करने वाले मुख्यमंत्री केजरीवाल की तारीफ मुफ्त बिजली, पानी और डीटीसी में महिलाओं को मुफ्त यात्रा कराने पर काफी हुई थी. मगर शराब के ठेके खोलने को ले कर दिल्ली सरकार बैकफुट पर है और विरोध करने वाले खूब तंज कस रहे हैं.

सोशल मीडिया पर भी लोग केजरीवाल सरकार की खूब आलोचना कर रहे हैं. एक यूजर ने लिखा,”हमें पीने का शौक नहीं, पीते हैं राजस्व जुटाने के लिए…”

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मगर यह बात सिर्फ दिल्ली की ही नहीं है. राजस्व जुटाने के नाम पर लोग केंद्र सरकार पर भी जम कर भड़ास निकाल रहे हैं. यूजर्स कह रहे हैं कि अभी स्थिति गंभीर थी तो यह निर्णय लेना कतई उचित नहीं था, वह भी तब जब बिहार में शराबबंदी है और राज्य ने इस बड़े राजस्व प्राप्ति के रास्ते बंद कर भी विकास के काम किए हैं.

तो क्या हर मोरचे पर तारीफ बटोरने वाले दिल्ली के मुख्यमंत्री को पूरी दिल्ली में भी शराबखोरी पर रोक लगा कर शराबबंदी लागू नहीं करनी चाहिए?

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