जब से मोदीजी का लिट्टी-चोखा खाते हुए फोटो वायरल हुआ है, बिहार के नेता लोगन खासा बौरा गए हैं खासकर विपक्ष. एक नेता ने तो खिसिया कर बोल ही दिया, “बिहार चुनाव खातिर ई मोदीजी के नया ड्रामा हौ.”

अब अचानक मोदीजी को बिहारी लिट्टी-चोखा क्यों पसंद आया. यह तो नहीं मालूम पर इस साल दिसंबर में बिहार विधानसभा का चुनाव जरूर है जहां एक बार फिर भाजपा और जदयू एक साथ चुनाव लड़ेगी.

बिहारी भाई लोगन को खुश करने के लिए हालांकि दिल्ली चुनाव में भी जदयू को 2 सीट दी गई थी पर लोग कहते हैं, “खुद मनोज भैया (मनोज तिवारी) ने ही ई चुनाव हरवा दिया है. टिकटे नहीं बांट पाए कायदे से.”

वैसे बिहार में एक कहावत है कि जो खाए लिट्टी-चोखा, वह कभी न खाए धोखा मगर यह कहावत सच नहीं है बिहार में. सच तो यह है कि लिट्टी-चोखा खाने में इतना स्वादिष्ठ होता है कि इस का स्वाद बड़े-बड़े तीसमार खां को भी चकमा दे दे.

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एक सच यह भी है कि नीतीश बाबू मोदीजी को खाने का न्यौता दे कर धोखा न दिए होते तो मोदीजी को राजपथ पर हुनर हाट में खुद ही लिट्टी-चोखा न खाना पड़ता.

बिहार के सीएम नीतीश कुमार को वहां की राजनीति में भले ही ‘सुशासन बाबू’ के नाम से जाना जाता है लेकिन वहां के लोग अब दबी जबान से कहना नहीं छोङते कि कोई ऐसा सगा नहीं जिस को नीतीश बाबू ने ठगा नहीं. तभी तो ठगी के शिकार मोदीजी खुद भी हुए बिहार में. पहली बार भोज के नाम पर और दूसरी बार बिहार बाढ़ राहत कोष में गुजरात सरकार का चेक वापस पा कर.

राजनीति के समझदार लोग कहते हैं कि मोदीजी इस बार फूंक-फूंक कर चलेंगे वहां. इस अर्थ में गिरगिटिया टाइप की राजनीति से दूर ही रहेंगे क्योंकि समय रहते चेते नहीं तो महाराष्ट्र जैसा कांड हो जाएगा, जब शिवसेना ने खूब चमकाया था. तब तो गुड़ गोबर हो जाएगा.

फिलहाल तो सब का ध्यान अब बिहार चुनाव पर ही है क्योंकि एकएक कर मोदीजी के हाथ से राज्य की राजनीति फिसलती जा रही है. अभी हाल ही में दिल्ली चुनाव क्रिकेट मैच सरीखा लगा जिस में केजरीवाल आस्ट्रेलिया जैसे खेले. पर आश्चर्य देखिए कि इस हार का श्रेय भोजपुरी सिनेमा के गायक-अभिनेता से नेता बने मनोज तिवारी ने ले लिया.

दिल्ली भाजपा के लोग भी कहां चूकने वाले थे, सो दबी जबान से वे भी नहीं चाहते कि मनोज तिवारी भाजपा दिल्ली के प्रदेश अध्यक्ष रहें. मगर बिहार चुनाव की बात अलग है और यह फैसला करना कि मोदीजी और नीतीश बाबा में कौन है लिट्टी और कौन है चोखा थोड़ा कठिन जरूर है.

वैसे नीतीश बाबू खुद भी नहीं चाहेंगे कि मोदीजी बिहार में सारी लिट्टी खुद ही चांप लें और उन के हाथ में सिर्फ चोखा ही रह जाए.

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