राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति को अब भी देश के प्रमुख नौकरशाहों और तीनों सेनाओं के प्रमुखों के मुकाबले कम वेतन मिलता है. ऐसा इसलिए है क्योंकि करीब दो साल पहले सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के लागू होने के बाद आई विषमताओं को दूर करने के लिए कानून में अब तक संशोधन नहीं हो पाया है.
राष्ट्रपति को तीनों सेनाओं का सर्वोच्च कमांडर होने के बावजूद फिलहाल सेना प्रमुखों के वेतन से भी कम वेतन मिल रहा है. वहीं, सेना प्रमुखों को कैबिनेट सचिव के बराबर वेतन मिलता है.
एक साल पहले भेजा प्रस्ताव
गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राष्ट्रपति, उप राष्ट्रपति और राज्यपालों के वेतन बढ़ाने का एक प्रस्ताव तैयार कर करीब एक साल पहले मंजूरी के लिए कैबिनेट सचिवालय को भेजा था. नाम जाहिर न करने की शर्त पर अधिकारी ने बताया कि इस पर हालांकि अब तक कोई फैसला नहीं हो पाया है.
मंत्रिमंडल की मंजूरी का इंतजार
सरकार के प्रवक्ता को जब पूछा गया कि गृह मंत्रालय के प्रस्ताव को केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी मिलने में होने वाली देरी की वजह क्या है तो उनकी तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली. अधिकारी ने कहा कि मंत्रालय के प्रस्ताव को मंत्रिमंडल से मंजूरी मिलने के बाद इस आशय का विधेयक संसद में पेश किया जाएगा.
फिलहाल राष्ट्रपति और उप राष्ट्रपति का वेतन
राष्ट्रपति : 1,50,000
उप राष्ट्रपति : 1,25,000
राज्यपाल : 1,10,000
सातवें वेतन आयोग के बाद केंद्रीय सचिवों का वेतन
कैबिनेट सचिव : 2,50,000
सचिव : 2,25,000
ये हो सकता है वेतन
राष्ट्रपति : 5,00,000
उप राष्ट्रपति : 3,50,000
राज्यपाल : 3,00,000
(नोट : वर्ष 2008 में आखिरी बार राष्ट्रपति, उप राष्ट्रपति और राज्यपाल के वेतन में इजाफा किया गया था.)
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