ग्ली डेन एक डेटिंग एप है, जिस का इस्तेमाल देशभर के तकरीबन 20 लाख मर्दऔरतें कर रहे हैं. इस एप की पहुंच और पूछपरख बड़े शहरों से होते हुए अब छोटे शहरों और कसबों तक में होने लगी है. हालांकि अभी यह तादाद बहुत ज्यादा नहीं है, लेकिन बहुत जल्द हो जाएगी, क्योंकि कोई भी नई चीज, प्रोडक्ट, सर्विस या टैक्नोलौजी छोटी जगहों पर देर से पहुंचती है, लेकिन इस में नई या दिलचस्प बात क्या है?
इस सवाल का जवाब बेहद साफ है कि लोग जायज सैक्स के बाद नाजायज रिश्तों के लिए भी एप का सहारा लेने लगे हैं, जबकि आमतौर पर माना यह जाता है कि सैक्स संबंध, फिर वे जायज हों या नाजायज, जानपहचान वालों से ही बनते हैं.
ग्लीडेन एप के अलावा टिंडर, बंबल, ट्रूलीमैडली और लड़कियों द्वारा सब से ज्यादा इस्तेमाल किया जाने वाले डेटिंग एप बू के यूजर्स की कुल तादाद तो करोड़ों में है. इन एप के जरीए यूजर्स दोस्ती कर न केवल रोमांटिक और सैक्सी बातें करते हैं, बल्कि हमबिस्तरी करने के लिए भी पार्टनर ढूंढ़ते हैं.
ग्लीडेन ने हाल में ही जो आंकड़े जारी किए हैं, वे दिलचस्प भी हैं और चिंताजनक भी हैं. एक सर्वे रिपोर्ट में बताया गया है कि देश की तकरीबन
77 फीसदी औरतें पति के अलावा भी गैरमर्दों से जिस्मानी ताल्लुक बनाती हैं और इस के लिए एप का सहारा लेती हैं.
मुमकिन है कि ये आंकड़े एक हद तक सच हों, क्योंकि औफलाइन भी अखबारों में ऐसी खबरों की भरमार रहती है, जिन में पत्नी ने प्रेमी के संग मिल कर पति की हत्या कर दी या पति ने पत्नी को बेरहमी से मार डाला और इस काम में माशूका ने उस का साथ दिया. ऐसी वारदात की बड़ी वजह नाजायज संबंधों से परदा उठ जाना या पार्टनर को सैक्स करते रंगेहाथ पकड़ लेना ज्यादा रहती है.
सवाल प्राइवेसी और सेफ्टी का डेटिंग एप इस लिहाज से बेहतर होते हैं कि इन में अपराधों की गुंजाइश कम रहती है, क्योंकि नाजायज संबंध ऐसे मर्द या औरत से बनना रहता है, जिस से कोई पहले से जानपहचान नहीं होती और दोनों का खास लेनादेना नहीं होता.
इस के अलावा ये रिश्ते हर समय नहीं बनते. सौदा मरजी का होता है, जिस में फारिग होते ही औरत व मर्द अपनेअपने रास्ते हो लेते हैं. बाद में या दोबारा सैक्स संबंध बनाना कोई मजबूरी और दबाव की बात नहीं होती, इसलिए पहचाने जाने और बदनामी का डर या खतरा नहीं होता.
औनलाइन हों या औफलाइन, नाजायज संबंध सदियों से बनते रहे हैं और ये कभी खत्म होंगे, इस की कोई गारंटी नहीं. इस सच को हजम करना आसान बात कभी नहीं रही, इसलिए आएदिन झगड़ेफसाद भी होते रहते हैं, जिन पर यह थ्योरी लागू होती है कि पकड़े गए तो बंटाधार, नहीं तो एक जुर्म का होना तय बात है.
कोई पति या पत्नी यह बरदाश्त नहीं कर पाते कि उस का जीवनसाथी बेवफाई करे, क्योंकि इस से उन की गैरत को धक्का लगता है और भरोसा भी टूटता है. साथ ही टूटता है घर और उजड़ती है जमीजमाई गृहस्थी, जिस से एक बड़ा नुकसान बच्चे अगर हों तो उन का होता है, क्योंकि मां या बाप में से कोई एक जेल और दूसरा हमेशा के लिए ऊपर जा चुका होता है.
ऐसा ही गाजियाबाद के फजलगढ़ गांव के बाशिंदे दिनेश कुमार के साथ हुआ था, जिस ने बीती 24 जनवरी को अपनी पत्नी अंजू की हत्या कर उस की लाश खेत में गाड़ दी थी और 30 जनवरी को पत्नी की गुमशुदगी की रिपोर्ट थाने में दर्ज कराई थी.
लेकिन ठेले पर सब्जी बेच कर गुजारा करने वाला दिनेश कानून के हाथों से बच नहीं सका और 3 फरवरी को गिरफ्तार कर लिया गया. अब उस के दोनों बच्चे इधरउधर भटक रहे हैं. दिनेश को शक था कि अंजू के कहीं और नाजायज संबंध हैं.
मध्य प्रदेश के धार जिले के ढोलाना गांव में 13 जनवरी, 2023 को राधेश्याम पाटीदार की हत्या उस की ही पत्नी ने अपने प्रेमी मनसुख के साथ मिल कर कर दी थी.
राधेश्याम और मनसुख रिश्तेदार थे, जिस के संबंध राधेश्याम की बीवी से हो गए थे.
छोटी जगहों में ऐसे ताल्लुक ज्यादा छिपे नहीं रहते. लिहाजा, आसपास के तक में गांवों जल्दी ही यह बात फैल गई. राधेश्याम की भोंहें तिरछी होने लगीं, तो इन दोनों ने उसे रास्ते से हटाने के लिए जुर्म कर डाला.
नाजायज संबंधों की कुछ आम वजहें जगजाहिर हैं. मसलन, मियांबीवी में पटरी न बैठना, सैक्स में असंतुष्टि, पैसों की कमी, घर में कलह, जज्बाती लगाव न होना और मियांबीवी का एकदूसरे का ध्यान न रखना.
कई बार महज मौजमस्ती की
गरज से भी ऐसे संबंध बन जाते हैं, लेकिन वजह कोई भी हो, छोटी जगहों में ऐसा होना मुमकिन नहीं होता कि एकाध बार के बाद मुंह मोड़ा जा सके, क्योंकि मनमाफिक सैक्स की लत अकसर औरत और मर्द दोनों को लग जाती है.
चूंकि दोनों का अकसर ही आमनासामना होता रहता है, इसलिए दोनों की सैक्स की तलब फिर सिर उठाने लगती है और वे न चाहते हुए फिसल ही जाते हैं.
नाजायज संबंधों में अपराध और उस में भी हत्या की 90 फीसदी खबरें गांवदेहात या कसबों से ही आती हैं, क्योंकि वहां ये संबंध औफलाइन बनते हैं. खेत, जंगल या सुनसान इलाके इस
के लिए मुफीद होते हैं, लेकिन यह सिलसिला लंबा नहीं चल पाता, भले ही वहां सीसीटीवी न होते हों, लेकिन कोई न कोई, कभी न कभी देख ही लेता है और फिर दबी आवाज में इन की चर्चा चटकारे लेले कर होती है और एक दिन राज खुल ही जाता है.
उलट इस के बड़े शहरों में सहूलियत रहती है. औरत और मर्द हमबिस्तरी के लिए होटल या रिसोर्ट में ज्यादा जाते हैं, जहां बंद कमरे में अपनीअपनी प्यास बुझा कर दोनों अपनेअपने रास्ते हो लेते हैं. नजदीकी या दूर के रिश्ते का कोई फूफा, जीजा, मौसा या मामा वहां नहीं होता, जो हल्ला मचाए. लिहाजा, सारा प्रोग्राम बड़े सुकून और शांति से पूरा हो जाता है.
डेटिंग एप इसीलिए ज्यादा लोकप्रिय हो रहे हैं, क्योंकि ये मर्द और औरत दोनों के लिए हिफाजत की गारंटी होते हैं कि बाद में कोई फसाद खड़ा नहीं होगा. संबंध बनाने वालों को इस बात की भी बेफिक्री रहती है कि न तो इस से उन का घर टूटना और न पार्टनर को इस की हवा लगना. हां, खर्च जरूर इस में ज्यादा होता है, लेकिन वह तमाम दुश्वारियों से बचाता भी है, इसलिए कोई इस की परवाह नहीं करता. फिर भी बचें
पकड़े नहीं जाएंगे या अभी तक पकड़े नहीं गए, तो इस का यह मतलब नहीं है कि नाजायज संबंध कोई अच्छी बात है और इन्हें धड़ल्ले से बनाया जाए. यह बहुत बड़ा गुनाह न सही, पर गलती जरूर है. आज नहीं तो कल इस का असर शादीशुदा जिंदगी और गृहस्थी पर पड़ सकता है.
दूसरे, आजकल टैक्नोलौजी के चलते फोटो खींच लेना या वीडियो बना लेना भी आम बात हो गई है, इसलिए ब्लैकमेलिंग का खतरा बना ही रहता है. लोग कितने ही सावधान हो जाएं, सैक्स संबंध बनाते समय लापरवाह हो ही जाते हैं.
अगर पतिपत्नी को एकदूसरे से कोई शिकायत है, तो उन्हें बिना झिझक बताना चाहिए, जिस से वक्त रहते उस का हल निकल सके. मर्दों की नामर्दी और औरत का सैक्स में ठंडापन अब बहुत बड़ी समस्याएं या हौआ नहीं रह गई हैं.
पति और पत्नी एकदूसरे का सहयोग करें, तो इन का इलाज अब मुमकिन है, इसलिए किसी दूसरे से रिश्ता बनाने से पहले एक बार संजीदगी से इस बात पर गौर करना चाहिए कि क्या इस के अलावा अब और कोई रास्ता नहीं.
अगर एक बार कोई रास्ता नजर आ जाएगा, तो न खेतखलिहान में चोरीछिपे जाने की जरूरत रह जाएगी और न ही किसी डेटिंग एप, फेसबुक या ह्वाट्सएप पर चैटिंग की जरूरत रह जाएगी.