Sexual Health: तकरीबन 12 साल की उम्र से ले कर अधेड़ उम्र तक महिलाओं को माहवारी से सामना करना पड़ता है. ऐसे में देशदुनिया में महावारी बताने के कई दिलचस्प ‘कोडवर्ड’ बना दिए गए हैं.

जापान के झंडे को ‘निशोकी’ कहते हैं, जिस का मतलब है ‘सूरज का झंडा’. इसे आमतौर पर ‘हिनोमारू’ भी कहा जाता है यानी ‘सूरज का घेरा’. यह झंडा सफेद बैकग्राउंड पर एक लाल गोले (सूरज का प्रतीक) के साथ बनाया गया है.

पर जब इंगलिश में कहा जाता है कि ‘जापान इज अटैकिंग’ तो यह कोई असल में जापान द्वारा किया गया हमला नहीं है, बल्कि उन लड़कियों या औरतों का कोडवर्ड होता है, जिन्हें माहवारी आई होती है.

यहां पर भी जापान के झंडे को ही सिंबल की तरह इस्तेमाल किया जाता है, सफेद रंग पर लाल रंग का चढ़ना. मतलब अगर कोई लड़की बोल रही है कि ‘जापान इज अटैकिंग’, तो सुनने वाली समझ जाए कि उसे माहवारी आई है.

किसी लड़की को माहवारी आने का मतलब है कि वह मां बनने की काबिलीयत रखती है और अमूमन 12 साल की उम्र में हर लड़की को पहली माहवारी आ जानी चाहिए. कभीकभार यह उम्र 1-2 साल ऊपरनीचे हो सकती है.

माहवारी है क्या

माहवारी किसी महिला को कुदरत का सब से अनमोल तोहफा है. इसे ‘मासिक धर्म’ या ‘महीना आना’ भी कहते हैं. माहवारी में महिला के शरीर से गंदा खून और ऊतक बाहर निकलते हैं, जिस से महिला का शरीर गर्भधारण करने के लिए तैयार हो जाता है. ऐसा अमूमन महीने में 4-5 दिन होता है और यह चक्र 11-12 साल की उम्र से ले कर अधेड़ उम्र तक जारी रहता है.

पर भारत जैसे देश में माहवारी को हौआ बना कर रखा गया है. धर्म की जंजीरों में कुदरत की इस नायाब चीज को जकड़ कर रख दिया गया है.

एक सर्वे में सामने आया है कि आज भी 81 फीसदी लड़कियों को पता ही नहीं होता है कि उन्हें जब पहली बार माहवारी आए, तो उसे कैसे हैंडल करना है. उन की मां तक उन्हें इस की जानकारी देने में झिझकती है, क्योंकि उसे खुद अपने समय में अधकचरा ज्ञान दिया गया था. वह खुद इन दिनों में ‘अपवित्र’ हो जाती थी, तो बेटी को किस मुंह से बताए कि वह जिंदगी के ऐसे पड़ाव पर आ गई है, जहां से मां बनने का सुख भोगा जा सकता है.

पर जानकारी तो देनी ही होगी. यह लड़की को किसी सहेली से मिले या बड़ी बहन से या फिर महल्ले की किसी दीदी या फिर आंटी से, उसे अपने आंखकान खुले रखने होंगे.

सब से पहले तो लड़की को अपने शरीर में होने वाले बदलावों को समझना चाहिए. इन हालात में लड़की को अचानक शरीर में मरोड़ सी उठने लगती है. नाजुक अंगों पर बाल आने शुरू हो जाते हैं. आवाज में बदलाव महसूस होता है. चेहरे पर मुंहासे की शुरुआत होने लगती है. छाती में दर्द होता है. लंबाई बढ़ती है.

माहवारी के कोडवर्ड

अगर लड़की को माहवारी की जानकारी मिल भी जाती है, तो इन खास दिनों में उसे कुछ सावधानियां भी बरतनी चाहिए. उस में माहवारी में पैड लगाने और साथ रखने की जागरूकता होनी चाहिए, पर कभीकभार उन्हें जब इस के बारे में आपस में बात करनी होती है, तो बहुत सी लड़कियां कुछ खास शब्दों में बात करती हैं, ताकि सिर्फ उन्हें ही समझ आए, जैसे ‘जापान इज अटैकिंग’.

भारत में लड़कियां माहवारी को ‘पीरियड्स’, ‘मूड स्विंग्स’, ‘एमसी’, ‘महीना’, ‘खास दिन’ कह देती हैं. पर बहुत से देशों में माहवारी को अलगअलग कोडवर्ड में जाहिर किया जाता है, जैसे ‘नियाग्रा इज ब्लीडिंग’, ‘शार्क वीक’, ‘आंटी फ्लो’, ‘इट्स माई टाइम औफ द मंथ’, ‘इट्स माई मून टाइम’, ‘माई रैड वैडिंग’, ‘ब्लडी मैरी’, ‘कोड रैड’ वगैरह. Sexual Health

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