सेक्स का सीधा संबंध मन और मस्तिष्क से है. इसलिए आपस में सेक्स संबंध बनाने वाले कपल में एक दूसरे के लिए न केवल प्यार और सम्मान हो बल्कि भरपूर दोस्ताना भी हो. कोई किसी के साथ जोर जबरदस्ती न करे,न कोई किसी पर सिर्फ अपनी चाहत जबरदस्ती लादे . सेक्स में किसी भी तरह की कोई सीमा नहीं है, सीमा बस एक ही है आपके पार्टनर की सहमति. इसलिए सबसे पहली और जरूरी शर्त यह है कि जिसके साथ सेक्स संबंध बनाएं उसकी भावनाओं की कद्र करें, उसकी इज्जत करें, उसे सम्मान दें.
बकौल सेक्स एक्सपर्ट डेविड रूबीन, ‘सेक्स एक ऐसा खेल है, जो दुनिया में सबसे ज्यादा खेला जाता है. जिसमें सबसे ज्यादा आनंद आता है. जिसे किसी को भी खेलने का हक है. जिसमें हर खिलाड़ी का बराबर का योगदान होता है. कोई पराजित नहीं होता हर कोई विजेता होता है. जब इस भावना से यह खेल खेला जाता है तो यह आनंद का सागर बन जाता है. सेक्स के खेल में छेड़छाड़, मनुहार, हंसी, आश्चर्य, नाटकीयता और भावुकता सब जायज है. सच तो यह है कि बिना नाटकीयता और एक्साइटमेंट के यह खेल बिल्कुल नीरस लगता है.
वास्तव में सेक्स का हमारे मन और हमारे ख्यालों से बहुत गहरा रिश्ता है. आपमें कितनी ही शारीरिक उत्तेजना क्यों न हो, अगर मन किसी दूसरे काम या चिंता में फंसा हुआ है तो आप सेक्स नहीं कर सकते. करेंगे तो खुशी नहीं मिलेगी. इसलिए जब सेक्स करें तो उसमें खो जाएं. उस समय दीन-दुनिया के बारे में कुछ न सोचें. हर अदा की तरह सेक्स के भी दो रूप होते हैं. आप इसे नियंत्रित भी कर सकते हैं और बेकाबू होने पर आप इसके गुलाम भी हो सकते हैं. कहने का मतलब यह है कि सेक्स को दबाने की शक्ति तो आपमें होती है, लेकिन अगर यह बहुत प्रबल हो जाए तो किसी भी हाल में पार्टनर ढूंढ़ने लगता है.
सेक्स अगर दिल दिमाग पर हावी हो जाए और कोई वाजिब रास्ता ढूंढे न मिले तो रेप जैसे अपराध जन्म लेते हैं. सेक्स में जब दोनो पार्टनर की आपस में रजामंदी होती है तो आनंद की जबरदस्त लय बनती है. ऐसे कपल्स के बीच में ही प्रगाढ़ सेक्स संबंध बनते हैं. एक दूसरे के प्रति प्यार और सम्मान के साथ किया गया सेक्स दो लोगों को एक ऐसी आत्मीयता की जंजीर से बांधता है जो जंजीर कभी नहीं टूटती. हालांकि सेक्स एक शारीरिक अभिव्यक्ति है, भूख है, पर सेक्स उत्पन्न केवल मन से होता है. मन स्वस्थ हेागा, तो सेक्स भी स्वस्थ होता है. शुरू में शारीरिक आकर्षण के चलते संबंध बनते हैं. लेकिन यदि मन के तार न मिले तो चेहरे चाहे कितने ही आकर्षक क्यों न हो, यह रिश्ता टूट जाता है.
मन के तार जब आपस में मजबूती से बंधे होते हैं तो हर बार के सेक्स संबंध मुकम्मल और संतुष्टि से भर देने वाले होते हैं. ज्यादातर पुरुषों में शीघ्रपतन और लिंग में तनाव न हो पाने की समस्या मानसिक तनाव के चलते ही आती है. 100 में 98-99 बार चेकअप के बाद पाया जाता है कि सब कुछ बिल्कुल ठीक है. लेकिन अगर पार्टनर के साथ प्यार भरे रिश्ते नहीं हैं तो दिल दिमाग में हमेशा एक धुकपुकी मची रहती है और इस धुकपुकी के चलते कुछ भी अच्छा नहीं होता, कई तरह की समस्याएं आ जाती हैं. इसलिए जब किसी के साथ शारीरिक संबंध बनाएं उससे पहले उसके साथ दिल के, प्यार के और सम्मान के रिश्ते भी बनाएं.
एक संपूर्ण सुख से भरा संतुष्टिायक सेक्स तनाव से पूरी तरह मुक्ति दिलाता है. जबकि सेक्स से वंचित रहने पर या संतुष्टिदायक सेक्स न हासिल होने पर तनाव व चिड़चिड़ापन पैदा हो जाता है. अब आप सूरज और श्रद्धा की कहानी पर एक नजर दौड़ाएं. सूरज अभी अधेड़ नहीं हुए. लेकिन उनकी काया कह रही है कि जवानी उनका साथ छोड़ चुकी है. अधपके बाल, पिचके गाल, झुकी पीठ, बेहिसाब तोंद और ढीली लड़खड़ाहट भरी चाल. दरअसल, उनकी समस्या थी जबर्दस्त तनाव. दफ्तर में वे बारह से सोलह घंटे तक काम करते हैं. इसके बाद क्लब जाकर दो-तीन पैग पीते हैं. घर पहुंचते हैं रात में ग्यारह बजे के बाद. फिर जल्दी-जल्दी खाना और सोना. उनकी पत्नी श्रद्धा उनसे चैबीसों घंटे खफा रहती है.
श्रद्धा को लगता है कि उनके पति घर खर्च के पैसे देकर अपनी जिम्मेदारियों से मुक्त हो जाते हैं. बेटा अपनी दुनिया में मस्त है. वह इस साल 12वीं में गया है. बेटी 7वीं की छात्रा है. श्रद्धा के निजी जीवन में बहुत तनाव है. उसकी सूरज के साथ अकसर किसी न किसी बात पर लड़ाई होती रहती है. सूरज भी इन बातों से तनाव में रहता है. एक रोज सूरज आॅफिस में बाॅस से हुई तनातनी के बाद अपना इस्तीफा उनके टेबल पर फेंक आए.
ये सारी स्थितियां श्रद्धा और सूरज के दाम्पत्य जीवन को बुरी तरह से प्रभावित कर रही हंै. अंत में दोनो ने मनोचिकित्सक की सलाह लेने में ही भलाई समझी. मनोचिकित्सक ने उनसे छूटते ही पूछा, ‘दोनो के रिश्ते कैसे हैं?’ इस पर सूजर अचकचा गया. सूरज भी खामोश रहा और श्रद्धा भी कुछ नहीं बोली. डाॅक्टर ने सवाल इस बार और भी सपाट शब्दों में पूछा आप दोनो के बीच कितने दिन में शारीरिक सम्बंध बनते हैं? सूरज को वह दिन याद करने में काफी मुश्किल हुई. श्रद्धा ने ही धीमे स्वर में कहा तकरीबन 4 महीने गुजर हैं. उस रोज भी वे ठीक से परफाॅर्म भी नहीं कर पाए थे. श्रद्धा ने अपनी असंतुष्टि भी जता दी थी.
डाॅक्टर ने अगला सवाल किया, ‘क्या अब आप सेक्स मेें बिलकुल भी रूचि नहीं लेते?’ सूरज को मजबूरन कहना ‘मैं इतना व्यस्त रहता हूं कि समय ही नहीं मिलता. ऊपर से हर वक्त तनाव बना रहता है. आॅफिस में भी और घर में भी. ऐसे में सेक्स करें, तो कैसें?’ डाॅक्टर ने जब उन्हें बताया कि नियमित सेक्स से वे तनाव से निजात पा सकते हैं, तो सूरज को विश्वास नहीं हुआ. इतनी टेंशन, इतनी कुंठा- सेक्स से कैसे दूर हो सकती है? लेकिन वे उन्हें यकीन दिलाते हैं कि जब शारीरिक सम्बंध निरंतर विकसित होते हैं, निजी जीवन से तनाव दूर भाग जाता है.
अच्छा और रोमांटिक सेक्स तभी संभव है जब आप खुशबू का दामन छूते हैं. कहने का मतलब यह है कि कुछ परफ्यूम या प्राकृत सुगंध ऐसी होती है जो महिलाओं और पुरुषों को सेक्सुअली उत्तेजित करती है. ऐसे में जरूरी है कि दम्पति अपने जीवन को रोमांस से भरने के लिए उनका सहारा ले ताकि सेक्स में भी मजा आता रहे और तनाव से भर दूर हो जाएं.