अंधविश्वास हमारे देश में सबसे बड़ी समस्या है, अब जब देश और दुनिया में कोरोना को लेकर विज्ञान सम्मत जानकारी देने की आवश्यकता है, ऐसे में चंद लोग अंधविश्वास प्रसारित करने का अपराध कर रहे हैं. जिसे समझने  और बचने की समझदारी भरी आवश्यकता है. अन्यथा होगा यह की इन अंधविश्वासों में पड़कर आप अपना और अपने आसपास के लोगों का जीवन मुसीबत में डाल देंगे.

दरअसल, हमें बहुत समझदारी से यह समझ लेना होगा कि कोरोना जैसी महामारी से बचाव सिर्फ "दो और दो पांच" करके नहीं किया जा सकता, इसके लिए ठोस पहल और समझदारी की आवश्यकता है. हमारा देश धर्म भीरु रहा है, परिणाम स्वरूप हर समस्या का हल धार्मिक आस्था के साथ जोड़कर, किये जाने की परंपरा रही है. यह तत्कालिक रूप से तो अच्छी लगती है मगर दीर्घकाल में जाकर नासूर बन जाती है. इस आलेख के माध्यम से हम आपको यह बताना चाहते हैं कि अब समय आंखें खोलने का और खुले दिमाग से सोचने का है. चाहे वह हमारे राष्ट्र नायक हों अथवा हमारे हाथ के मोबाइल में विभिन्न सोशल मीडिया, यहां जो भी तथ्य सामने आता है उसे हमें विज्ञान के कसौटी पर कस कर ही समझना और प्रयोग में लाना होगा, यही हमारे लिए हितकर है. अब जैसे प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी ने 22 मार्च रविवार को "जनता कर्फ्यू" के दरमियान शाम को 5 बजे, घंटी ताली बजाने की बात इस भाव से रखी थी कि यह आम जनता का कोरोना के मोर्चे पर डटे हुए, डॉक्टर वैज्ञानिक एवं अन्य लोगों के लिए उत्साहवर्धक होगा. मगर इसे भी धर्म और रूढ़िवादीता  से जोड़कर झूठ फैलाया गया कि घंटी और ताली बजाने से कोरोना वायरस खत्म हो जाएगा. यह कहना सीधे-सीधे सफेद झूठ के अलावा कुछ भी नहीं है.

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