लेखकभानु प्रकाश राणा
हमारे देश के अनेक इलाकों के किसान गन्ना, कपास, सब्जी या फूलों वगैरह की खेती लगातार करते आ रहे?हैं. इन सभी फसलों को ज्यादातर लाइन में बोया जाता है. दूसरी फसलों की तुलना में इन फसलों को बोने वाली लाइनों के बीच की दूरी भी अधिक होती है. इस वजह से लाइनों के बीच वाली जगहों में अनेक खरपतवार आ जाते?हैं.
ये ऐसे खरपतवार होते?हैं जो बिना बोए ही उपज आते हैं. उर्वरकों को हम अपनी फसल में इसलिए डालते हैं कि हमें अच्छी पैदावार मिल सके. इन उर्वरकों का फायदा ये खरपतवार भी उठाते हैं और तेजी के साथ
बढ़ते?हैं जिस का सीधा असर फसल की पैदावार पर पड़ता है यानी फसल पैदावार में गिरावट आ जाती है.
खरपतवारों की रोकथाम
सहफसली खेतीबारी : कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि खरपतवारों की रोकथाम के लिए फसल चक्र अपनाना एक तरीका है यानी खेत में फसल को बदलबदल कर बोना. इस से खरपतवारों को पनपने का मौका नहीं मिलता.
जैसे, हम अभी गन्ना की फसल ले रहे हैं तो अगली बार उस में गेहूं बोएं, गेहूं कटने के बाद खेत भी कुछ समय खाली रहते हैं. उस समय उस में हरी खाद के लिए ढैंचा वगैरह बोएं. उस के बाद धान लगाएं, फिर गन्ना की बोआई कर सकते हैं. इस तरह बदलबदल कर फसल बोने से खरपतवारों पर रोक लगती है.
करें सहफसली खेती
अगर आप गन्ने की खेती कर रहे?हैं तो उस के साथ सहफसली खेती करें. जब गन्ना?छोटा होता?है उस समय उस की लाइनों के बीच में खाली जगह में आलू, लहसुन, गोभी, भिंडी टमाटर वगैरह की खेती भी करें. इन सब्जियों के अलावा समय के मुताबिक गन्ने के साथ दलहनी फसल उड़द, मूंग, लोबिया वगैरह भी उगा सकते हैं. ऐसा करने से अधिक फायदा होगा. खरपतवारों की रोकथाम तो होगी ही, साथ ही सहफसली खेती में मुनाफा भी होगा.
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