बेरोजगार नौजवानों की फौज दिनोंदिन बढ़ती जा रही है. जहां तक सरकारी नौकरी का सवाल है, चपरासी जैसे पद के लिए लाखों डिगरीधारी अर्जी देते हैं. आज का नौजवान तबका सरकारी नौकरी के लालच में रहता है, लेकिन खुद अपना काम करने की कोशिश नहीं करता.
काश, नौजवान अगर सरकारी नौकरी के बजाय खुद का कारोबार करने का रास्ता चुनें, तो सही समय पर उन के कैरियर की शुरुआत हो सकेगी, क्योंकि तब उन्हें नौकरी के लिए दरदर की ठोकरें नहीं खानी पड़ेंगी.
सरकारी नौकरी मिलना बच्चों का खेल नहीं है. अनेक नौजवान ऐसे हैं, जिन्हें 10-15 साल कोशिश करने के बाद भी सरकारी नौकरी नहीं मिली और अब वे ‘ओवर ऐज’ हो गए हैं, यानी अब उन्हें नौकरी नहीं मिल सकती. अगर वे सरकारी नौकरी का मोह छोड़ कर समय पर कारोबारी बनने की सोच लेते, तो आज नई ऊंचाइयों को छू रहे होते.
ऐसे लोगों से उन नौजवानों को सबक लेना चाहिए, जो आज भी सरकारी नौकरी की उम्मीद लगाए बैठे हैं और अपनी जिंदगी के अहम सालों को बेरोजगार रह कर बरबाद कर रहे हैं.
याद रखिए, बीता हुआ समय लौट कर नहीं आता. ऐसे में जितनी देर से आप कोई कारोबार शुरू करेंगे, उस में उतने ही पीछे रहेंगे, इसलिए सरकारी नौकरी का दामन थामने की इच्छा रखने के बजाय खुद इस लायक बनने की कोशिश करें कि आप दूसरों को अपने कारोबार में रोजगार दे सकें.
अगर सरकारी नौकरी को छोड़ कर निजी क्षेत्र की कंपनियों में नौकरी की बात करें, तो वहां सिर्फ डिगरी होने से काम नहीं चलता, बल्कि कोई हुनर भी होना चाहिए. क्योंकि वहां ‘कचरा’ नहीं चलता, बल्कि वे ‘क्रीम’ को छांटते हैं.
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