विभा जाटव की शादी को 8 साल हो गए हैं. उस की 2 बेटियां हैं, जिन के आगे की फिक्र विभा को रातदिन सताती है, लेकिन विभा के मर्द को इस से कोई मतलब नहीं है. विभा अब एक निजी स्कूल में नौकरी कर के अपने घर का खर्च चला रही है. इस पर भी जो पैसा वह घर के खर्चों में से बचाती है, वह उस का पति अपनी शराब पीने पर खर्च करने के लिए छीन लेता है. विभा का कहना है कि कई बार सोचा कि पति से अलग हो जाऊं, पर हिम्मत ही नहीं हुई. इसी तरह मीनाक्षी विश्वकर्मा का कहना है,
‘‘मेरी शादी एक अच्छी दुकान चला रहे आदमी से हुई है, पर शादी के बाद पता चला कि मर्द को काम में कोई दिलचस्पी नहीं है और दूसरों के अंडर नौकरी भी नहीं करना चाहते, इसलिए घर में सारा दिन बेकार बैठ कर टाइम पास करते हैं. मुझे एकएक पैसे के लिए दूसरों के सामने हाथ फैलाना पड़ता है और छोटामोटा काम घर पर ला कर करना पड़ता है. मेरा कहीं नौकरी करना उन्हें बरदाश्त नहीं है. ‘‘मैं काफी सुंदर हूं और कई मर्द मुझ पर लाइन मारते हैं और इसलिए मेरा मर्द मुझ पर शक करता है.
अब लगता है कि इस तरह घुटघुट कर पूरी जिंदगी बरबाद करने से तो अच्छा है कि पति को छोड़ दूं और नौकरी कर के एक नई जिंदगी की शुरुआत करूं.’’ यह सिर्फ विभा और मीनाक्षी की कहानी नहीं है, बल्कि कईर् ऐसी युवतियां हैं, जो अपने मन में सुनहरे सपने संजोए शादी की दहलीज पर कदम रखती हैं, लेकिन ये सपने सचाई कि ऐसी जमीन पर आ कर चकनाचूर हो जाते हैं, जब उन्हें पता चलता है कि उन का पति दब्बू और बेकार है और फिर शुरू होती है जिंदगी को बेवजह ढोने की जंग,
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