इस देश में शादीब्याह में जिस तरह जाति का बोलबाला है वैसा ही राजनीति में भी है. उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी ने मायावती की बहुजन समाज पार्टी के साथ मिल यादवोंपिछड़ों को दलितों के साथ जोड़ने की कोशिश की थी पर चल नहीं पाई. दूल्हे को शायद दुलहन पसंद नहीं आई और वह भाजपा के घर जा कर बैठ गया. अब दोनों समधी तूतू मैंमैं कर रहे हैं कि तुम ने अपनी संतान को काबू में नहीं रखा.
इस की एक बड़ी वजह यह रही कि दोनों समधियों ने शादी तय कर के मेहनत नहीं की कि दूल्हेदुलहन को समझाना और पटाना भी जरूरी है. दूसरी तरफ गली के दूसरी ओर रह रही भाजपा ने अपनी संतान को दूल्हे के घर के आगे जमा दिया और आतेजाते उस के आगे फूल बरसाने का इंतजाम कर दिया, रोज प्रेम पत्र लिखे जाने लगे, बड़ेबड़े वायदे करे जाने लगे कि चांदतारे तोड़ कर कदमों में बिछा दिए जाएंगे. वे दोनों समधी अपने घर को तो लीपनेपोतने में लगे थे और होने वाले दूल्हेदुलहन पर उन का खयाल ही न था कि ये तो हमारे बच्चे हैं, कहना क्यों नहीं मानेंगे?
ये भी पढ़ें- मर्दों की नसबंदी: खत्म नहीं हो रहा खौफ
अब दूल्हा भाग गया तो दोष एकदूसरे पर मढ़ा जा रहा है. यह सांप के गुजर जाने पर लकीर पीटना है. मायावती बेवकूफी के बाद महाबेवकूफी कर रही हैं. यह हो सकता है कि पिछड़ों ने दलितों को वोट देने की जगह भाजपा को वोट दे दिया जो पिछड़ों को दलितों पर हावी बने रहने का संदेश दे रही थी.
आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें
डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

सरस सलिल सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं
- सरस सलिल मैगजीन का सारा कंटेंट
- 1000 से ज्यादा सेक्सुअल हेल्थ टिप्स
- 5000 से ज्यादा अतरंगी कहानियां
- चटपटी फिल्मी और भोजपुरी गॉसिप
- 24 प्रिंट मैगजीन
डिजिटल

सरस सलिल सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं
- सरस सलिल मैगजीन का सारा कंटेंट
- 1000 से ज्यादा सेक्सुअल हेल्थ टिप्स
- 5000 से ज्यादा अतरंगी कहानियां
- चटपटी फिल्मी और भोजपुरी गॉसिप