Social Awareness: एक दौर ऐसा था जब किसी के घर के आगे खाकी वरदीधारी का दिख जाना पड़ोसियों तक को डरा देता था. लोग अपने घरों में घुस जाते थे और सोचते थे कि किसी तरह यह बला टले. पुलिस भी बहुत कम ही किसी की गिरफ्तारी का वारंट ले कर उस के घर पर दस्तक देती थी.
पर अब जमाना बदल चुका है. आज के दौर में पुलिस किसी के खिलाफ कभी भी कोर्ट से गिरफ्तारी का वारंट ले कर घर पर धमक सकती है. इस की सब से बड़ी वजह यह है कि पहले मुकदमे कम होते थे, तो लोगों को उन की जानकारी होती थी. तब वे इस के लिए पहले से तैयार होते थे. तब आपसी रंजिश या जमीनजायदाद के ही मुकदमे ज्यादा कायम होते थे.
लेकिन आज का दौर सोशल मीडिया का दौर है. कोई भी आप की टिप्पणी से आहत हो सकता है, जिस से वह पुलिस या कोर्ट में शिकायत दर्ज करा सकता है, जिस के बाद पुलिस वारंट ले कर आ सकती है.
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 72 के तहत अदालत किसी शख्स के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी कर सकती है. जमानती गिरफ्तारी वारंट के तहत कोई शख्स अदालत के सामने एक तय समय पर हाजिर हो कर जमानतदारों के साथ जमानत बौंड भर सकता है. इस के बाद अदालत तय करती है कि वारंटी को छोड़ा जा सकता है या उस को जेल भेजा जाना है.
गैरजमानती गिरफ्तारी वारंट
इस तरह का वारंट आमतौर पर गंभीर अपराधों के लिए जारी किया जाता है और यह भी मान लिया जाता है कि शायद आरोपी फरार हो सकता है. बीएनएसए की धारा 74 और 75 मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट या प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट को ताकत देती है कि वह किसी भी फरार अपराधी, घोषित अपराधी या किसी ऐसे शख्स की गिरफ्तारी के लिए अपने स्थानीय अधिकार क्षेत्र के भीतर वारंट जारी करने का निर्देश दे सकती है, जिस पर गैरजमानती अपराध का आरोप है और वह गिरफ्तारी से बच रहा है.
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