Social Issue: कुछ मामले तो इतनी तेजी से वायरल होते हैं कि बिजली की रफ्तार से देशभर में छा जाते हैं और उन पर चर्चाएं होने लगती हैं. ‘निर्भया रेपकांड’ कुछ ऐसा ही मामला था, जिस ने हर भारतीय के दिमाग को मथ कर रख दिया था.
रोहित वेमुला और मुंबई के एक मैडिकल कालेज की छात्रा की खुदकुशी करने के मामले भी वायरल हुए थे, जिन पर खूब फजीहत हुई थी. किसानों की आएदिन की जाने वाली खुदकुशी की वारदातें हमें दहला देती हैं.
मजदूरों द्वारा भी अपनी बेरोजगारी और गरीबी के चलते खुदकुशी करने के मामले खूब उजागर होते हैं. कोरोना काल में तो खुदकुशी करने का जैसे ज्वार ही आ गया था.
लेकिन अभी पिछले दिनों अतुल सुभाष की खुदकुशी का जो बेहद निजी मामला था, सोशल मीडिया पर खूब वायरल होता रहा. इस की वजह यही थी कि ऐसे मामले भले ही निजी हों, पर इन के पीछे जोरजुल्म की वजहें अब देखी जाने लगी हैं, जिस में हमारा कानून और व्यवस्था भी शामिल हैं.
शुरू में तो इस के पक्षविपक्ष में आवाजें उठीं, फिर अचानक ही मामले ने यूटर्न ले लिया, जब महिला संगठनों ने भी अतुल सुभाष के खुदकुशी मामले में उस के प्रति हमदर्दी से भरी आवाज उठाई.
दरअसल, इस तरह के पारिवारिक मामलों में सिर्फ मर्द ही नहीं, बल्कि औरतें भी सताई गई होती हैं. उन्हें भी पारिवारिक, माली और सामाजिक परेशानियां चाहेअनचाहे झेलनी ही होती हैं, इसलिए यह मामला औरतों के सताने के दायरे से बाहर आ जाता है खासकर महानगरों में इस केस के दूरगामी नतीजे अब नौजवानों के बीच से आने लगे हैं.
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