Social Issue : बढ़ती आबादी भारत के लिहाज से तो और भी बेहद गंभीर मामला है. इस देश की लगातार बढ़ती आबादी देख कर तो यही लगता है कि अगर मैडल मिलने की प्रथा होती तो भारत की झोली में एक गोल्ड मैडल जरूर होता. सब से ज्यादा आबादी वाला देश बनने का गौरव हमारे भारत का सरताज ही होता.
भारत दुनिया में सब से ज्यादा आबादी वाला देश तो बन गया है, लेकिन यहां संसाधनों की बेहद कमी होती जा रही है. आज जिस भी जगह जाओ एक लंबी कतार लगी मिलती है. लगता है, मानो जहां हम जा रहे हैं, वहीं सब से ज्यादा भीड़ उमड़ जाती है, चाहे बात करें एयरपोर्ट की, रेलवे स्टेशन की, अस्पताल की, यहां तक कि घरों के आसपास लगने वाले बाजारों में भी ऐसा लगता है कि सारी जनता वहीं आ जाती है. जहां हम हैं. फोन काल से ले कर रोजगार के मौके तक हर जगह यही सुनने को मिलता है कि ‘कृपया प्रतीक्षा करें’, ‘असुविधा के लिए खेद है’, ‘आप लाइन में हैं’.
आज दुनिया की आबादी 8 अरब है, जबकि साल 1950 में दुनिया की आबादी 2.5 अरब थी. महज चंद दशकों में यह आंकड़ा कहां से कहां पहुंच गया है. अंदाजा है कि साल 2050 तक दुनियाभर की आबादी 10 अरब तक पहुंच जाएगी, जो दुनियाभर में शांति के लैवल को गंभीर चुनौती दे सकती है. वहीं अगर सिर्फ हमारे भारत में देखें, तो 142 करोड़ की आबादी है, जो हमें गंभीर श्रेणी में ले जाता है.
अगर दुनिया में क्षेत्रफल के नजरिए से भारत को देखें, तो यह 7वें पायदान पर है और दुनियाभर का सिर्फ
2.5 फीसदी क्षेत्रफल ही भारत के पास है, लेकिन यह आबादी के नजरिए से सब से पहले नंबर पर है.
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