धर्मनिरपेक्षता की आड़ ले कर देशभर में धार्मिक आजादी का सब से ज्यादा गलत इस्तेमाल जमीनों पर कब्जा करने के लिए हो रहा है. अगर कमाई का जरीया या रहने को जगह चाहिए तो हरी चुन्नी की एक तसवीर या खंभे की जरूरत है. मंदिरमसजिद की आड़ में करोड़ों की जमीनें हड़पी जा रही हैं. बड़ेबड़े आश्रम बनाए जा रहे हैं.
आसाराम जब रेप के आरोपों के बाद गिरफ्तार हुआ तो 60 हजार करोड़ रुपए की जमीन का मालिक निकला. गुरमीत राम रहीम को जब जेल भेजा गया तो वह भी हजारों करोड़ रुपए की जमीन का मालिक निकला. मोहमाया से दूर रहने का ज्ञान बांटने वाले ये ढोंगी अरबों रुपए की जमीनें हड़प रहे हैं.
राजस्थान सरकार ने पिछले दिनों पुष्कर में करोड़ों रुपए मंदिरों को चमकाने के लिए आवंटित किए तो कई सवाल खड़े हुए.
एक तरफ बरबादी की कगार पर खड़े किसान सरकार की तरफ राहत की उम्मीद लगा कर जगहजगह धरनाप्रदर्शन कर रहे हैं, तो वहीं दूसरी तरफ बेरोजगार नौजवान अपराध के दलदल में फंस रहे हैं.
सरकार किसानों की कर्जमाफी व बेरोजगारों को रोजगार देने की बात करती है, पर दूसरी ओर वह पैसे की तंगहाली का रोना रोना शुरू कर देती है. धर्मनिरपेक्षता का चोला ओढ़ कर चल रही सरकार के पास धार्मिक जगहों पर खर्चा करने के लिए पैसों की कोई कमी नहीं है.
आप के सामने 2 सरकारी फैसलों का ब्योरा रखते हैं. पहला फैसला राजस्थान में भैरोंसिंह शेखावत सरकार के समय लिया गया था, जिस में जितने भी पुराने गढ़किले थे, उन को ठीक करने के नाम पर करोड़ों रुपए बांटे गए थे. पर्यटन को बढ़ावा देने का हवाला दिया गया था. और अब यही काम वसुंधरा राजे की सरकार कर रही है.
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