हमारे यहां स्कूल में पढ़ने वाले छात्रों को किताबों में पढ़ने के लिए जो मिलता है उस का उलटा उन्हें अपने परिवार वालों, धर्मग्रंथों और धार्मिक गुरुओं से मिलता है. इसी का नतीजा होता है कि एक पढ़ालिखा इनसान भी बेवकूफ जैसा बरताव करता है.
राकेश 7वीं जमात का छात्र था. उस के गांव में यज्ञ हो रहा था. यज्ञ में आए धर्मगुरु अपने प्रवचन में बता रहे थे कि गंगा शिवजी की जटाओं से निकलती हैं और भगीरथ उन्हें स्वर्ग से धरती पर लाए थे.
प्रवचन खत्म होते ही राकेश ने पूछा, ‘‘महात्माजी, मैं ने तो किताब में पढ़ा है कि गंगा हिमालय के गंगोत्री ग्लेशियर से निकलती है?’’
इस पर महात्माजी ने कहा, ‘‘अभी तुम बच्चे हो. धर्म की बातें नहीं समझ पाओगे.’’
वहां बैठे दूसरे लोगों ने भी उसे बोला कि जब तुम बड़े हो जाओगे तो तुम्हें अपनेआप इन सब बातों की जानकारी हो जाएगी.
दूसरे दिन राकेश ने अपनी क्लास में टीचर से पूछा, ‘‘सर, आप जो पढ़ाते हैं उस का उलटा महात्माजी बताते हैं.’’
टीचर ने भी कहा कि जब तुम बड़े हो जाओगे तब समझोगे.
आज राकेश बड़ा हो गया है, फिर भी इन बातों को समझने में उसे मुश्किल हो रही है कि किसे सच माने और किसे झूठ.
प्रीति इंटर की छात्रा थी. एक दिन उस की मां ने उस से कहा, ‘‘तुम नहा कर रोजाना सूर्य भगवान को जल चढ़ाया करो. इस से तुम्हें हर चीज में कामयाबी मिलेगी.’’
इस पर प्रीति बोली, ‘‘मां, आप को पता नहीं है कि सूर्य भगवान नहीं हैं. सूर्य सौर्य मंडल का एक तारा है जो धरती से कई गुना बड़ा है.’’
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