Superstition: आजकल देशभर में कथावाचकों की बाढ़ आई हुई है. वे अपने अनुयायियों को दानदक्षिणा और धार्मिक यात्राओं की अहमियत समझा कर उन की जेब खाली करा लेते हैं, जबकि आम जनता को गरीबी के अलावा कुछ हासिल नहीं होता है.
उत्तर प्रदेश के इटावा जिले में कुछ गांव ऐसे हैं, जो बकरीपालन में विदेशों तक अपनी पहुंच बना चुके हैं.
इन गांवों में पाली जाने वाली ‘जमुनापारी’ बकरी की डिमांड तेजी से बढ़ रही है. बकरी को ‘गरीबों की गाय’ भी कहा जाता है, पर आजकल धर्म के नाम पर गरीबों की ही बकरी की तरह बलि चढ़ाई जा रही है. कहीं कथा सुनने के नाम पर, तो कहीं धार्मिक यात्रा में उन के नाम पर सरकारी इमदाद लूटने का खेल चल रहा है.
हाल ही में इसी ऐतिहासिक जिले इटावा में एक कथावाचक को पीटने का मामला सामने आया. मुकुट मणि यादव नाम के एक कथावाचक पर खुद को ब्राह्मण बता कर कथा सुनाने का आरोप लगाया गया, जबकि वह यादव जाति का निकला. इस मामले में इटावा पुलिस ने 4 आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया.
दरअलस, इटावा जिले के ददारपुर गांव वालों ने भागवत कथा कराई थी, पर जब पता चला कि कथावाचक मुकुट मणि यादव ब्राह्मण नहीं, बल्कि यादव है, तो गांव वालों ने मुकुट मणि यादव और उस के सहयोगी संत कुमार यादव के साथ मारपीट और बदतमीजी की, साथ ही उन दोनों के बाल भी काट दिए.
आजकल देशभर में ऐसे कथावाचकों की बाढ़ सी आ गई है, जो अपने हुनर और मशहूरी के चलते हजारों से लाखों रुपए कथा बांचने के वसूलते हैं. कथा सुनने वालों में ज्यादातर वे लोग होते हैं, जिन के पास काम नहीं होता है और वे भंडारे में मिलने वाले भोजन की आस में वहां चले जाते हैं और अपनी जेब के पैसे तक चढ़ावे में चढ़ा आते हैं. उन्हें धर्म का ऐसा नशा दिया जाता है कि मानो ऐसी कथाएं सुनने से ही उन का यह जीवन तर जाएगा.
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