एक समुदाय विशेष के शख्स चमन लाल जोगी ने यह ऐलान किया कि मैं समाधि लूंगा यह खबर सुर्खियों में रही. शासन प्रशासन अर्ध निंद्रा में उंघता रहा. हालात यह हो गए कि सार्वजनिक रूप से भीड़ की उपस्थिति मे उसने समाधि ले ली. और उसे रोका भी नहीं जा सका.
दरअसल, छत्तीसगढ़ की छवि वैसे भी देश दुनिया में अंधविश्वास रूढ़िवादिता और भोले भाले लोगों की स्वर्ण भूमि के रूप में जाना जाता रहा है. अक्सर यहां अंधविश्वास की घटनाएं घटती रहती हैं शासन सिर्फ औपचारिकता निभाता है, कुछ विज्ञापन जारी कर देता है. कुछ आंसू बहा देता है और फिर सब कुछ वही ढाक के तीन पात होने लगता है. महासमुंद के पचरी गांव में बाजे-गाजे और धूम धाम के साथ समाधि लेने वाले बाबा को जब लोग निर्धारित तिथि पर पांच दिवस पश्चात समाधि से निकालने पहुँचे तो सभी की आँखे फटी की फटी रह गयी….!!
समाधि, ढोंग और अंधविश्वास
सबसे त्रासद स्थिति यह है कि छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिला में एक श्वेत कपड़ा धारी शख्स ने जब यह घोषणा की कि वे समाधि लेगा और दो चार घंटे नहीं, बल्कि 5 दिन की समाधि लेगा.तब यह घोषणा आग की तरह फैल गई . पक्ष में लोग खड़े हो गए . धार्मिक मामला होने के कारण पुलिस प्रशासन के हाथ बंधे हुए थे, उसमें इतना साहस नहीं था कि लोगों को समझा सके कि ऐसा कतई संभव नहीं है.
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परिणाम स्वरूप समुदाय विशेष की धार्मिक गतिविधि सार्वजनिक रूप से घटित होती चली गई.
पांच दिन होने पर जब समाधि स्थल पर लोग पहुंचे और सच देखा तो हतप्रभ रह गए.क्योंकि समाधि से बाहर निकलने से पूर्व का समाधि के अंदर उस शख़्स का दम घूंट चुका था . सच तो यह है कि समाधि साधना के जूनून ने आखिर एक युवक की जान ले ली… पांच दिनों तक समाधि लेने के बाद जब उसे निकाला गया तो वह मृत था.
जिला प्रशासन ने आत्महत्या रोकने यहां नाम मात्र का ‘नवजीवन’ कार्यक्रम चला रखा है…वहीं अंधविश्वास की आंधी के प्रवाह में बहकर ग्राम पचरी का रहवासी चम्मन लाल जोगी ने समाधि के दौरान दम तोड़ दिया. कुल जमा यह की तपोबल से समाधि लगाना महासमुंद जिले के ग्राम पचरी के एक युवक के लिए जानलेवा साबित हो गया.
दम घुटने से हो गई मौत
दरअसल, 30 वर्षिय चमनदास ग्राम पचरी के निवासी पिछले पांच सालों से अलग अलग अवधि की खतरनाक समाधि लिया करता रहा था. इस समाधि में उसने पहले साल 24 घंटे, दूसरे साल 48 घंटे, तीसरे साल 72 घंटे, चौथे साल 96 घंटे की समाधि ली थी. समाधि लेने के बाद हर साल किसी तरह जान बच जाने की वजह से इस दफे 16 दिसंबर 2019 को 108 घंटों की समाधि के लिए 4 फिट गड्ढे में भुमिगत समाधि के लिए उतरा था.
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पर उसको और उसके भक्तों को क्या मालूम था कि अंधविश्वास की ये समाधि चमनदास को मौत के बाद ही बाहर निकालेगी. पांच दिन बाद जब चमनदास को जब गड्ढे से बाहर निकाला गया तब वह बेहोश था…जहाँ उसे आनन फानन मे जिला चिकित्सालय ले जाया गया. महासमुंद जिला अस्पताल में जांच के बाद चिकित्सकों नें उसे मृत घोषित कर दिया.मृतक के रिश्तेदार का कहना है कि हमने लंबे समय तक समाधि लेने को मना किया था लेकिन वह नही माना और जान गवा दी. चिकित्सक जी. आर. पंजवानी ने इस संदर्भ में बताया कि जमीन के अंदर ऑक्सीजन की कमी के वजह से दम घुटने से उसकी मौत हुई है.