आज देश का उच्चतम न्यायालय ऑनलाइन गेम्स को लेकर चिंतित है और सरकार को निर्देश दे रहा है. दूसरी तरफ उसका भयावह रूप सामने आ गया, जब एक 13 साल के लड़के ने ऑनलाइन गेम्स में चालीस हजार रूपए की चपत लग जाने के बाद, मैं मां को कैसे मुंह दिखाऊंगा, सोच कर के दुखी होकर आत्महत्या कर ली है.
आपको ऑनलाइन के भयानक रूप का एहसास करना है तो आपको उस मां के आंसू देखने होंगे, महसूस करने होंगे जिसका एक नौनिहाल ऑनलाइन गेम्स के चक्कर में फंस कर मौत को गले लगा लेता है.
आज जिस तरीके से ऑनलाइन गेम लोगों विशेष तौर पर बच्चों के बीच प्रचलित है और जिसके कारण कितने ही लोग बर्बाद हो रहे हैं उसकी कोई गणना नहीं है. एक तरफ हम तेजी से अंजान दौड़ में भागे चले जा रहे हैं, दूसरी तरफ अपने ही युवा पीढ़ी को पुरी तरह से बर्बाद करने के लिए छोड़ रखा है. यह सब क्यों हो रहा है, और इस सब के पीछे का क्या षड्यंत्र है, इस चक्रव्यू के संदर्भ में आज हम भी रिपोर्ट में आपको आगाह करते हुए तथ्यात्मक जानकारी प्रस्तुत कर रहे हैं. जिसके आधार पर आप अपने घर, अपने आसपास नौनिहालों पर निगाह रखते हुए उनकी भविष्य को स्वच्छ बना सकते हैं.
यहां यह भी महत्वपूर्ण तथ्य है कि जिस तरीके से आज बच्चे ऑनलाइन गेम्स में अपना बेशकीमती समय दे रहे हैं, उसके कारण जहां उनकी शिक्षा पर गहरा असर पड़ रहा है वहीं स्वास्थ्य भी खतरे में है. एक तरफ परिवार के अभिभावक एक तरह से कुंभकरणी निद्रा में है दूसरी तरफ सरकार भी अपने दायित्व का निर्वहन ईमानदारी से नहीं कर रही है. यही कारण है कि मामला आज देश के सर्वोच्च न्यायालय में संज्ञान में है.
ये भी पढ़ें- ‘125 वां साल ओलंपिक’ का ऐतिहासिक आगाज!
मैं चालीस हजार रुपए हार गया हूं
नाबालिक बच्चा जिसके लिए आज के समय में पचास सौ रुपए बहुत बड़ी वैल्यू रखता है अगर रूपए चालीस हजार हार जाता है तो उसकी मानसिक दशा क्या होगी, इसका अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है.
मध्यप्रदेश के छतरपुर में एक मां ने ऑनलाइन गेम में पैसे खर्च करने को लेकर 13 साल के इकलौते बेटे को डपट दिया, और बस इतनी सी बात पर लड़के ने फांसी लगा ली. पुलिस को मौके से सुसाइड नोट मिला है. किशोर ने अंतिम पत्र में स्वीकार करते हुए बताया कि- फ्री फायर खेलते हुए 40 हजार रुपए गंवा बैठा हूं. साथ ही, लिखा है- आई एम सॉरी मां, डोंट क्राइ. इस संवेदनशील मामले की गूंज अनुगूंज बहुत दूर तक हो रही है.
दरअसल, मध्य प्रदेश में छतरपुर में विवेक पांडेय अपनी पत्नी प्रीति पांडेय, बेटे कृष्णा और बेटी के साथ सुखमय जीवन व्यतीत कर रहे थे . विवेक एक पैथालॉजी संचालक हैं, जबकि प्रीति जिला अस्पताल में कार्यरत हैं.कृष्णा 6वीं स्टेंडर्ड का होनहार छात्र था.30 जुलाई 2021दिन शुक्रवार दोपहर 3 बजे पिता पैथोलॉजी पर थे, जबकि मां प्रीति अस्पताल में थीं. इसी दौरान प्रीति को को अपने बैंक अकाउंट से 1500 रुपए कटने का मैसेज मोबाइल पर मिला. प्रीति ने घर पर मौजूद बेटे को फोन लगाया और पूछा कि यह पैसे क्यों कट गए.
कृष्णा ने बताया, यह ऑनलाइन गेम के कारण कट गए हैं. इस पर प्रीति को गुस्सा आ गया उसे डपट लगा दी. उसके बाद जो हुआ उस की कल्पना नहीं की जा सकती. 13 वर्ष के कृष्णा ने मां की नाराजगी से अवसाद में आकर के फांसी लगा आत्महत्या कर ली.
ये भी पढ़ें- बाप की छोटी दुकान का मजाक न उड़ाएं
जब अचानक कृष्णा कमरे में चला गया.और अंदर से दरवाजा बंद कर लिया तो घर में मौजूद बड़ी बहन ने कुछ देर बाद दरवाजा खटखटाया, तो जवाब नहीं मिला.बेटी ने पिता को इस बारे में बताया.माता-पिता तुरंत घर पहुंचे. दरवाजा तोड़कर देखा, तो अंदर कृष्णा फंदे पर लटका हुआ था.और सब कुछ खत्म हो चुका था.
13 साल के कृष्णा ने सुसाइड नोट में मां को संबोधित करते हुए लिखा है- मां आप मत रोना!
दरअसल, इस घटना से ऑनलाइन गेम्स की भयावहता का आपको एहसास हो सकता है. विगत कुछ महीनों से कृष्णा पांडेय ऑनलाइन गेम फ्री फायर का शिकार हो गया था. उसकी संवेदना की झलक पत्र में देखने को मिलेती है.