Family Story In Hindi, लेखक - रंगनाथ द्विवेदी

सोमा अपने 2 कमरे के मकान में बिलकुल अकेली रहती थी. ऐसा नहीं है कि अकेले रहना उस का कोई शौक था. दरअसल, उस के मांबाप उसे बचपन में ही अकेला छोड़ कर इस दुनिया से चले गए थे. उन के मरने के बाद सोमा घर में बिलकुल अकेली रह गई थी.

सोमा के मम्मीपापा ने गैरजातीय ब्याह किया था, जिस की नाराजगी की वजह से सोमा के मम्मीपापा से उन के घर वालों ने अपना सारा रिश्ता हमेशाहमेशा के लिए खत्म कर लिया था.

अनाथ और बेसहारा सोमा ने मेहनतमजदूरी कर के खुद को बिना किसी सहारे के पालापोसा था. अब वह पूरे 24 साल की हो चुकी थी. उस का रंग यों तो सांवला था, लेकिन उसे कुदरत ने इतनी अच्छी शक्लसूरत दी थी कि वह किसी भी गोरी लड़की से ज्यादा खूबसूरत लगती थी.

एक तरह से कहूं तो सोमा मुझे मन ही मन बहुत पसंद थी, लेकिन अपने दिल की बात उस से कहने की कभी मेरी हिम्मत ही नहीं पड़ती थी.

इस की सब से बड़ी वजह थी सोमा का झगड़ालू स्वभाव. अकसर जब मैं दफ्तर जाने के लिए तैयार हो कर अपने घर से निकलता था, तो उसे रोजाना महल्ले में किसी न किसी से जोरजोर से लड़तेझगड़ते हुए देखता था.

कभीकभार तो सोमा औरतों और मर्दों को ऐसीऐसी गालियां दे देती थी कि अच्छेअच्छे गाली देने वालों तक की टैं बोल जाए. सच तो यह था कि पूरी कालोनी ही उस के इस झगड़ालू स्वभाव की वजह से उस से बचती थी.

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