उस्मान की शादी को 5 साल हो गए थे, मगर अभी भी उसे बाप होने का सुख नहीं मिला था. उस्मान की बीवी सायरा की गोद नहीं भरी तो उस्मान के अब्बा बेचैन रहने लगे. उन्हें यह चिंता सताने लगी कि वे पोते या पोती का मुंह देखे बिना ही इस दुनिया से चले जाएंगे.
तभी किसी ने उन्हें बताया कि पास वाले गांव में एक पहुंचे हुए मुल्लाजी आए हुए हैं. वे जिस किसी को भी तावीज देते हैं, उस की हर मुराद पूरी हो जाती है.
इतना सुनना था कि उस्मान के अब्बा अगले ही दिन उन मुल्लाजी के पास पहुंच गए.
मुल्लाजी ने कहा, ‘‘मैं घर आ कर पहले आप की बहू को देखूंगा कि उस पर किस का साया है. और हां, साए को दूर करने में खर्चा भी आएगा.’’
‘‘आप पैसे की परवाह मत करो, बस मेरे बेटे और बहू को औलाद का सुख दे दो.’’
उस्मान के अब्बा उसी वक्त मुल्लाजी को अपने साथ ले आए और उन्हें बैठक में बिठा कर उन्होंने उस्मान व सायरा को बताया, ‘‘इन मुल्लाजी के तावीज से तुम्हारी औलाद की चाहत जरूर पूरी होगी, बस तुम दोनों को इन की हर बात माननी पड़ेगी.’’
थोड़ी देर के बाद उस्मान की बीवी सायरा को बैठक में बुलाया गया. जैसे ही मुल्लाजी की नजर सायरा पर पड़ी, वे उसे पाने के लिए बेताब हो गए. हों भी क्यों न, सायरा थी ही इतनी खूबसूरत. सुर्ख गाल, गुलाबी होंठ, गदराया बदन जिसे देखते ही कोई भी मदहोश हो जाए.
मुल्लाजी किसी भी कीमत पर सायरा को अपनी बांहों में भरना चाहते थे, इसलिए उन्होंने अपनी चाल चली और उस के मखमली पेट पर हाथ रखते हुए उस्मान के अब्बा से कहा, ‘‘तुम्हारे एक दुश्मन ने जादूटोने से इस की
गोद बांध रखी है. जब तक इस को खोला नहीं जाएगा, तब तक यह मां नहीं बन पाएगी.
‘‘इस काम में 3 दिन लगेंगे और यह काम रात को 12 बजे अकेले में बंद कमरे में करना पड़ेगा और इस में काफी पैसा भी लगेगा, क्योंकि जाफरान से 3 तावीज बनाने पड़ेंगे.’’
उस्मान और सायरा को तो औलाद की इतनी ज्यादा चाहत थी कि उन्होंने फौरन हां कर दी. उस्मान के अब्बा ने 50,000 रुपए उस ढोंगी मुल्लाजी को दे दिए. उन्होंने उन के घर में से एक कमरा ले लिया और कहा, ‘‘जब तक पूरा इलाज न हो, तब तक कोई भी कमरे में मेरी बिना इजाजत के अंदर न आए.’’
मुल्लाजी शाम ढलते ही कमरे के अंदर लुबान जला कर कुछ बुदबुदाने लगे. कभी उन की आवाज तेज हो जाती, तो कभी शांत.
मुल्लाजी कभी किसी से बात करने का नाटक करते और चिल्लाते, ‘‘तू इसे छोड़ कर चला जा, वरना तु?ो यहीं भस्म कर दूंगा. क्यों इस बच्ची की कोख पर बैठा है? क्यों इसे मां नहीं बनने दे रहा है? इस मासूम ने तेरा क्या बिगाड़ा है?’’
इस तरह मुल्लाजी ने कई घंटे तक यह नाटक जारी रखा और रात ढलते ही उन्होंने सायरा को अपने कमरे में बुलाया और उसे एक तावीज देते हुए बोले, ‘‘इसे अपनी शर्मगाह में रख लो और चुपचाप लेट जाओ. एक घंटे तक बिलकुल भी हिलनाडुलना नहीं.
‘‘और हां, इस एक घंटे के लिए अपने बदन पर कोई भी सिला हुआ कपड़ा मत पहनना. बिना सिला हुआ कपड़ा जैसे चादर वगैरह से अपना बदन ढक लो.’’
सायरा तो औलाद की चाहत में अंधी हो चुकी थी. वह उस पाखंडी मुल्लाजी की हवस भरी नजरों को भांप नहीं पा रही थी. सायरा ही क्या, उस का शौहर और ससुर भी औलाद की चाहत में कुछ नहीं सम?ा पा रहे थे, इसलिए उन्होंने सायरा को उस पाखंडी मुल्लाजी के पास अकेले बंद कमरे में भेज दिया था. उन की आंखों पर अंधविश्वास की पट्टी जो बंधी हुई थी.
उधर बंद कमरे में सायरा ने अपने बदन से सारे कपड़े अलग किए और चादर ओढ़ कर एक चटाई पर लेट गई.
उस पाखंडी मुल्लाजी ने सायरा के पास आ कर अगरबत्ती जलाई, पूरे कमरे को खुशबू से महकाया और कुछ बुदबुदाने लगे. फिर वे सायरा से बोले, ‘‘अपनी आंखें बंद कर के चुपचाप लेटी रहो और कुछ भी बोलने की कोशिश
मत करना, वरना सारा कियाधरा बेकार हो जाएगा, फिर तुम कभी भी मां नहीं बन पाओगी.’’
सायरा चुपचाप लेटी थी और पाखंडी मुल्लाजी तावीज ले कर उस के होंठों से रगड़ते हुए कुछ बुदबुदाने का नाटक करते हुए धीरेधीरे उस के बदन को सहलाने लगे. उन की इस हरकत पर सायरा हैरान थी, पर औलाद पाने की चाहत में वह कुछ बोलने की हिम्मत नहीं कर पा रही थी, जिस का वे पाखंडी मुल्लाजी फायदा उठा रहे थे.
मुल्लाजी सायरा का बदन सहलाते रहे और उस तावीज को उस की शर्मगाह के पास ले जा कर छेड़छाड़ करने लगे. जल्द ही सायरा की जवानी उफान पर आ गई और वह मुल्लाजी की इस हरकत से मदहोश होने लगी.
सायरा की हवस जाग उठी थी. पाखंडी मुल्लाजी की इस हरकत ने उस के अंदर जोश भर दिया और इस का फायदा उठा कर उस मुल्लाजी ने उस के साथ खूब मजा किया. औलाद पाने की चाहत में सायरा उन के सामने पूरी तरह से बिछ चुकी थी.
इसी तरह उन पाखंडी मुल्लाजी ने 3 दिन तक सायरा की देह के मजे लिए और उस के जिस्म से खूब खेला. 3 दिन बाद उन्होंने उस्मान और उस के अब्बू से कहा, ‘‘जल्दी ही तुम्हें खुशखबरी मिल जाएगी,’’ और वहां से चले गए.
एक हफ्ता गुजर गया, पर सायरा को उम्मीद की कोई किरण नजर न आई. वह सम?ा चुकी थी कि उन पाखंडी मुल्लाजी ने दौलत के साथसाथ उस की इज्जत भी लूट ली है.
उस्मान और उस के अब्बू हैरान थे कि उन की बहू अभी भी पेट से नहीं हुई. उन्होंने पास के गांव जा कर उन मुल्लाजी से मिलना चाहा, तो पता चला कि वे तो यहां एक परिवार से लाखों रुपए ले कर भाग गए हैं.
अब उस्मान और उस के अब्बा को अपने ऊपर पछतावा हो रहा था कि वे क्यों पाखंडी मुल्लाजी की बातों में आ गए. बाद में उन्होंने एक अस्पताल में जा कर एक लेडी डाक्टर से सायरा का चैकअप कराया, तो उन्होंने बताया कि सायरा की बच्चेदानी में सूजन है,
जिस की वजह से वह मां नहीं बन पा रही है. 2-3 महीने के इलाज से सब ठीक हो जाएगा.
और हुआ भी यही. 3 महीने के इलाज के बाद सायरा को बच्चा ठहर गया और वक्त पूरा होने के बाद उस ने एक प्यारी सी बेटी को जन्म दिया.
इस तरह न जाने कितनी सायरा औलाद की चाहत में अपनी इज्जत गंवा बैठती हैं और न जाने कितने उस्मान दौलत के साथसाथ अपने घर की आबरू भी पाखंडी मुल्लाओं को सौंप देते हैं.