Family Story : रात के 2 बजे अचानक विमला की नींद जो टूटी, तो बिस्तर पर पति मनोज को न पा कर चिंता में पड़ गई. ‘शायद वह बाथरूम गया होगा,’ उस ने सोचा. मगर 15 मिनट बाद भी मनोज नहीं आया, तो वह फिर से चिंता में पड़ गई. मन नहीं माना, तो उसे ढूंढ़ने बैडरूम से बाहर चली गई.
मनोज बाथरूम में नहीं था. रसोईघर में भी नहीं था. बालकनी में भी नहीं था.
अपनी सौतेली बेटी सरिता के कमरे के दरवाजे के पास खड़ी हो कर विमला सोचने लगी, ‘मनोज घर में नहीं है. मकान का मेन दरवाजा भी अंदर से बंद है. फिर गया कहां वह?’
तभी सरिता के कमरे से उसे मनोज की आवाज सुनाई पड़ी. वह कह रहा था, ‘तुम्हें विमला से डरने की कोई जरूरत नहीं है. मैं हूं न. तुम्हारे लिए कुछ भी कर सकता हूं. तुम बेखौफ हो कर मेरी बांहों में आ जाओ.’ ‘मुझे आप पर भरोसा है, तभी तो मैं अपना जिस्म आप को सौंपने के लिए तैयार हो गई हूं,’ यह आवाज सरिता की थी.
यह सुन कर विमला सन्न रह गई. पिछले कई दिनों से मनोज और सरिता की हरकतें देखदेख कर उसे यह शक हो गया था कि दोनों में कुछ चल रहा है, मगर वह विश्वास नहीं कर पा रही थी. अब दोनों के रिश्तों की सचाई समझते उसे देर नहीं लगी.
एक बार विमला का मन हुआ कि दोनों को रंगे हाथ पकड़ ले, मगर कुछ सोच कर वह रुक गई और बगैर कुछ कहे अपने बैडरूम में लौट गई और मनोज के आने का इंतजार करने लगी.
विमला को जब मनोज से प्यार हुआ था, उस समय यह पता नहीं था कि उस की तरह वह भी गरीब परिवार से है. मनोज जब भी उस से मिलता था, शानदार और कीमती कपड़े पहना रहता था. इस से उसे लगा था कि वह अमीर बाप का बेटा होगा.
विमला को उस दिन सचाई का पता चला, जब एक दिन उस ने मनोज से कहा, ‘हम दोनों एक साल से एकदूसरे से बराबर मिलतेजुलते हैं, मगर तुम ने आज तक मुझे बताया नहीं कि तुम्हारे पिता करते क्या हैं और परिवार में कौनकौन हैं?’
‘तुम ने कभी पूछा ही नहीं, इसलिए बताया नहीं. आज पूछ रही हो तो बता दे रहा हूं. मेरे पिता लौंड्री चलाते हैं. इस के सिवा उन के पास और कोई जायदाद नहीं है. हमारा अपना मकान भी नहीं है. हम किराए के मकान में रहते हैं.
‘परिवार में मातापिता के अलावा मेरी 2 छोटी बहनें हैं. एक 7वीं में पढ़ती है और दूसरी 5वीं में.
‘लौंड्री से जो आमदनी होती है, उस से बड़ी मुश्किल से हमारा गुजारा होता है. मैं कुछ बच्चों को ट्यूशन दे कर अपनी पढ़ाई का खर्च निकालता हूं.
‘लेकिन तुम किसी बात की चिंता मत करो. मैं ने पहले भी कहा था, फिर कहता हूं कि तुम से तभी शादी करूंगा, जब मुझे कोई अच्छी सी नौकरी मिल जाएगी.’
मनोज की सचाई जान कर विमला चौंक गई थी. उस के दिल को धक्का लगा था. उसे लगा कि किसी अमीर लड़के से शादी कर के सुखी जिंदगी जीने का उस ने जो सपना देखा था, मनोज के साथ शादी कर के कभी पूरा नहीं होगा, इसलिए उस ने मनोज से साफसाफ बात करने का फैसला किया.
‘ग्रेजुएशन पूरी करने में अभी एक साल बाकी है. उस के बाद तुम्हें नौकरी कब मिलेगी, इस की कोई गारंटी नहीं है. 1-2 साल भी लग सकते हैं और 4-5 साल भी.’ ‘मुझे नहीं लगता कि तब तक मेरे पिता मुझे कुंआरी रहने देंगे. वे तो अभी से मेरे लिए लड़का ढूंढ़ रहे हैं.
‘तुम ने अपने घर की जो हालत बताई है, उस से तुम चाह कर भी अभी मुझ से शादी नहीं कर सकते, इसलिए मेरे खयाल से तुम्हें मुझे भूल जाना होगा,’ बात खत्म करते ही विमला ने सिर झुका लिया. ‘यह सच है विमला कि मैं चाह कर भी अभी तुम से शादी नहीं कर सकता. मेरे घर की हालत बहुत ही खराब है.
‘मेरे बदन पर तुम जो शानदार कपड़े देखा करती हो, वे सब मेरे नहीं, बल्कि मेरे पिता की लौंड्री के किसी न किसी ग्राहक के होते हैं…’ थोड़ी देर चुप रह कर मनोज ने फिर कहा, ‘मैं तुम्हें बहुत प्यार करता हूं विमला. अगर तुम मेरे ग्रेजुएट होने तक रुक जाती, तो बहुत अच्छा होता.’
‘मैं भी तुम्हें बहुत प्यार करती हूं, मगर मेरे वश में कुछ नहीं है. मेरे पिता मेरा हाथ जिस के हाथ में देंगे, मैं उस के साथ शादी कर के चली जाऊंगी.’
मनोज कुछ और कहता, उस से पहले विमला चली गई. मनोज हैरान रह गया. बात यह थी कि विमला ने बचपन से अपने मातापिता को बहुत ही गरीबी में देखा था. भाईबहनों को भूख से बिलखते देखा था, इसलिए होश संभालते ही उस ने सोच लिया कि वह किसी भी सूरत में किसी गरीब लड़के से शादी नहीं करेगी.
विमला के पिता ने मजदूरी कर के अपने परिवार को पाला था. विमला अपने सभी भाईबहनों में बड़ी थी. किसी तरह 10वीं तक पढ़ाई पढ़ने के बाद पैसे की कमी के चलते विमला की पढ़ाई उस के पिता ने छुड़ा दी थी. तब से वह घर के काम में मां का हाथ बंटाती थी.
मनोज से विमला की मुलाकात तकरीबन एक साल पहले एक सांस्कृतिक कार्यक्रम में हुई थी. उस में मनोज ने अपने कालेज की तरफ से गाना गाया था.
विमला को उस का गाना बहुत पसंद आया था. अपनी सहेलियों के साथ उस के पास जा कर उसे बधाई दी थी. विमला से मनोज काफी प्रभावित हुआ. उस की खूबसूरती पर वह फिदा भी हुआ.
अगले 3-4 दिनों के बाद भी मनोज विमला को न भूल सका, तो अपने दिल का हाल उसे बताने का फैसला किया. कुछ दिनों की कोशिश के बाद उस ने विमला के घर का पता लगा लिया. फिर उस की सहेली रचना की मदद से एक दिन उस ने मुलाकात की.
अपने दिल की बेकरारी बताने के बाद मनोज ने विमला से कहा, ‘अभी मैं ग्रेजुएशन कर रहा हूं. मेरा इरादा ग्रेजुएशन के बाद शादी करने का है.
‘अगर तुम मेरा प्यार स्वीकार कर लोगी, तो मेरी जिंदगी कामयाब हो जाएगी. तुम मुझ पर विश्वास करो. मैं तुम्हें हमेशा अपनी पलकों पर बैठा कर रखूंगा.’
पहली नजर में ही विमला को भी मनोज से प्यार हो गया था, इसलिए बगैर देर किए उस के प्यार को स्वीकार कर लिया. चाह कर भी उस समय उस ने उस के घर वालों के बाबत कोई पूछताछ नहीं की थी.
उस दिन के बाद से दोनों ही एकदूसरे से बराबर मिलनेजुलने लगे थे. विमला समझती थी कि मनोज अमीर परिवार से है, इसलिए वह उस से शादी कर के सुखी जिंदगी जीने का सपना देखने लगी थी. एक दिन विमला की मां ने उसे बताया कि उस के पिता उस के लिए लड़का ढूंढ़ रहे हैं, जल्दी ही उस की शादी हो जाएगी, तो उस ने मनोज के मन की थाह लेने का निश्चय किया.
फिर उस दिन वह मनोज से मिली, तो उस के पिता का काम और परिवार के बारे में पूछ लिया. जब उसे पता चला कि मनोज भी उसी की तरह गरीब है, तो उस ने मनोज से रिश्ता तोड़ लेने का फैसला किया.
उस दिन के बाद विमला ने मनोज से मिलनाजुलना बंद कर दिया. हालांकि मनोज उस से मिलने की कोशिश करता रहता था.
इस तरह 4 महीने बीत गए. उस के बाद मां से विमला को पता चला कि उस के पिता ने उस के लिए लड़का ढूंढ़ लिया है. लड़का मजदूर है और बिना दहेज लिए उस से शादी करेगा.
विमला ने शादी करने से मना कर दिया. उस ने मां को साफसाफ बताया कि वह किसी गरीब लड़के से शादी नहीं करेगी. जब भी शादी करेगी अमीर लड़के से ही करेगी.
मातापिता ने उसे खूब समझाया, मगर विमला के कान पर जूं तक नहीं रेंगी. आखिरकार पिता ने शादी तोड़ दी.
एक साल बाद विमला के पिता को उस के जानने वाले ने एक प्रस्ताव दिया. उस परिचित के एक रिश्तेदार की पत्नी की मौत तकरीबन 6 महीने पहले हो गई थी. उस की 12 साल की एक बेटी थी. बेटी की परवरिश के लिए वह विमला से शादी करना चाहता था. बेटी का नाम सरिता था.
शहर में उस का अपना मकान था और कपड़े की एक दुकान थी. वह हर तरह से सुखी था. उस में एक ही कमी थी कि उस की उम्र 40 पार कर गई थी.
विमला 20 साल की थी, इसलिए उस के पिता ने प्रस्ताव खारिज कर दिया, मगर विमला न कर सकी. उस ने जिद की, तो मजबूर हो कर पिता ने अधेड़ सकलदेव से उस की शादी कर दी.
सुहागरात में पलंग पर विमला के पास बैठ कर सकलदेव ने कहा, ‘तुम कभी यह मत समझना कि मैं ने हवस शांत करने के लिए शादी की है.
‘मैं ने अपनी बेटी सरिता के लिए शादी की है. मुझे विश्वास है कि जिंदगीभर तुम उसे सगी मां की तरह प्यार करती रहोगी.
‘अगर सरिता ने कभी तुम्हारी शिकायत की, तो उस का अंजाम तुम्हें भुगतना पड़ेगा.’
पति का प्यार पाने के लिए विमला का जो दिल बल्लियों उछल रहा था, वह पर कटे कबूतर की तरह फड़फड़ा कर रह गया. उस के बाद सकलदेव ने उस से कोई बात नहीं की. चुपचाप वहशी दरिंदे की तरह वह उस पर टूट पड़ा.
सकलदेव ने कहा था कि उस ने हवस शांत करने के लिए शादी नहीं की थी, जबकि वह हर रोज रात को बिस्तर पर वहशी जानवर की तरह विमला पर जुल्म करता था.
इतना ही नहीं, वह शक्की भी था. महल्ले में कभी विमला किसी मर्द से बात कर लेती, तो वह गालियां देते हुए उस की पिटाई कर देता था.
सारा दिन घर का काम करना, पति की गालियां सुनना और रात में पति की वासना शांत करना, यही विमला की दिनचर्या थी. इस तरह 3 साल बीत गए.
धीरेधीरे विमला अंदर ही अंदर घुटने लगी और इस से नजात पाने का रास्ता ढूंढ़ने लगी. अब तक उस की समझ में यह आ गया था कि सकलदेव अपनी वासना तो शांत कर सकता था, मगर उसे कभी मां नहीं बना सकता था. न ही उस की प्यास बुझा सकता था. कोई रास्ता ढूंढ़ पाती, उस से पहले अचानक सकलदेव को कैंसर हो गया.
इलाज का दौर शुरू हुआ, तो 2 साल में सारी जमापूंजी खत्म हो गई. दुकान भी बिक गई. सिर्फ मकान रह गया था.
घर चलाने के लिए सकलदेव की रजामंदी से विमला को एक दफ्तर में नौकरी करनी पड़ी.
फिर भी सकलदेव ने उस पर शक करना बंद नहीं किया. जिस किसी दिन घर लौटने में जरा सी देर हो जाती, तो वह यह कहे बिना नहीं रहता, ‘किसी यार का बिस्तर गरम करने लगी थी क्या, जो इतनी देर हो गई?’
विमला कुछ कहती नहीं थी. होंठ सिल कर बेइज्जती का घूंट पी कर रह जाती थी.
विमला का कई बार मन हुआ था कि वह किसी नौजवान से शादी कर ले, मगर दिल नहीं माना था.
विमला हर हाल में पति के साथ वफा करना चाहती थी, इसीलिए चाह कर भी वह उस का साथ नहीं छोड़ पा रही थी.
विमला चाहती थी कि मकान न बिके और सकलदेव अच्छा हो जाए, मगर उस का सोचा नहीं हुआ. अच्छे इलाज के लिए मकान भी बेचना पड़ा.
पति और सरिता के साथ विमला को किराए के मकान में जाना पड़ा. इस के बावजूद वह पति को बचा न सकी. भरी जवानी में वह विधवा हो गई. उस के नाजुक कंधों पर जवान सरिता का बोझ भी आ गया.
विमला दिनरात यह सोचने लगी कि क्या उसे सकलदेव की विधवा बन कर सरिता की परवरिश करनी होगी या उस की जिम्मेदारी उठाते हुए पूरी जिंदगी गुजार देनी चाहिए या फिर सरिता को उस के हाल पर छोड़ कर किसी दूसरे मर्द का दामन थाम कर नई जिंदगी की शुरुआत करनी चाहिए?
विमला कुछ फैसला कर पाती, उस से पहले एक दिन अचानक उस के घर मनोज आ गया.
शादी के बाद विमला मनोज को एकदम से भूल गई थी. उसे देख कर वह हैरान हुए बिना न रह सकी.
विमला को हैरत में देख मनोज ने ही कहा, ‘तुम मुझे भूल सकती हो, मगर मैं तुम्हें कैसे भूल सकता हूं?’
‘तुम्हारी शादी हो गई थी, इसी वजह से मैं ने तुम से मिलने की कभी कोशिश नहीं की. मगर तुम्हारी सहेली रचना से बराबर तुम्हारी खबर लेता रहता था.’
‘ग्रेजएशन होते ही मुझे कोलकाता में नौकरी मिल गई. मेरे घर वालों ने मेरी शादी करने की बहुत कोशिश की, पर मैं ने नहीं की. मैं ने दिल तुम्हें दिया है, फिर किसी और से कैसे शादी करता?
‘कुछ दिन पहले रचना से पता चला कि तुम विधवा हो गई हो. मुझे काफी दुख हुआ. मुझ से रहा नहीं गया, तो तुम से मिलने चला आया.
‘जो होना था, सो हो गया. अब तुम्हें अपने बारे में सोचना है. अगर तुम्हें बुरा न लगे, तो शादी कर के तुम मेरे साथ कोलकाता चलो.’
मनोज का प्यार पा कर विमला खुश हो गई. वह उस से बोली, ‘तुम मुझे अब भी चाहते हो?’
‘मैं ने बताया न कि तुम मेरी धड़कन हो. मुझ से शादी करो या न करो, जिंदगीभर मैं तुम्हें प्यार करता रहूंगा. अपनी जिंदगी में किसी और लड़की को शामिल नहीं होने दूंगा.’
विमला खुशी से मनोज से लिपट गई और बोली, ‘‘मैं नहीं जानती थी कि तुम मुझे इतना प्यार करते हो. मैं तुम से शादी करने के लिए तैयार हूं, मगर मेरी एक विनती है.’
‘विनती नहीं, तुम आदेश दो. मैं तुम्हें इतना ज्यादा प्यार करता हूं कि किसी बात के लिए मना नहीं कर सकता.’
‘मेरे सिवा सरिता का कोई नहीं है, इसलिए मैं उसे अपने साथ ही रखना चाहती हूं. उस की शादी की जिम्मेदारी भी मैं तुम्हें सौंपना चाहती हूं.’
कुछ सोच कर मनोज ने विमला की बात मान ली. फिर वह यह कह कर चला गया कि घर वालों से शादी की बात कर के 15 दिन बाद आएगा.
15 दिन बाद मनोज आया, तो उस ने विमला को बताया कि उस के घर वाले उसे अपने घर की बहू बनाने के लिए तैयार नहीं हैं. मगर वह हर हाल में उस से शादी करेगा और सरिता की शादी की जिम्मेदारी उठाएगा.
मनोज ने ऐसा किया भी. अपने घर वालों से नाता तोड़ कर विमला से शादी की, फिर उस के साथ सरिता को भी कोलकाता ले आया. कोलकाता में 3 कमरे का एक फ्लैट किराए पर मनोज ने पहले से ही ले रखा था.
विमला को मनोज पर पूरा विश्वास था. मनोज भी उसे प्यार करता था. इस तरह 2 साल बड़े आराम से बीत गए. इस बीच विमला पेट से भी हुई, मगर मनोज ने यह कह कर उस का पेट गिरवा दिया कि बच्चे की जिम्मेदारी वह सरिता की शादी के बाद उठाएगा.
विमला ने ऐसा कभी नहीं सोचा था कि मनोज कभी उस के साथ बेवफाई भी करेगा. 2 घंटे बाद मनोज बैडरूम में आया. विमला को जगा देख वह चौंक गया.
वह कुछ कहता, उस से पहले विमला ही बोली, ‘‘मैं जानती हूं कि इस समय तुम सरिता के साथ अपना मुंह काला कर के आ रहे हो. मैं सिर्फ यह जानना चाहती हूं कि तुम ने मुझे धोखा क्यों दिया? मेरे प्यार में क्या कमी थी?’’
कुछ सोचने के बाद मनोज ने कहा, ‘‘अब मैं तुम्हें धोखे में नहीं रखना चाहता, इसलिए मेरी बात अच्छी तरह से सुन लो.
‘‘दरअसल बात यह है कि सरिता मुझे चाहने लगी थी. वह मुझ से संबंध बनाना चाहती थी. मेरा दिल भी अचानक उस पर आ गया और मैं ने उस के साथ जिस्मानी संबंध बना लिया.
‘‘तुम मेरी पत्नी बने रहना चाहती हो, तो हमारा विरोध करने की कोशिश मत करना.
‘‘मैं वादा करता हूं कि जल्दी ही उस की शादी किसी अच्छे लड़के से कर दूंगा, तब तक तुम्हें सबकुछ अपनी आंखों से देखना और सहना पड़ेगा.’’
उस के बाद मनोज चुपचाप बिस्तर पर लेट गया. थोड़ी देर बाद वह करवट बदल कर सो भी गया.
विमला असहाय हो गई. मनोज को छोड़ कर वह जाती तो कहां जाती? सरिता भी तो अब उस के साथ नहीं थी. अकेले घर कैसे बसाएगी वह?