Funny Story In Hindi: आदरणीय... परमादरणीय सब से बड़े साहबजी, जयहिंद.

जैसे कि आप को पता ही है कि हम 4 चपरासी पिछले 15 सालों से आप के दफ्तर के दरवाजे पर बैठ कर आप के लिए काम करवाने आने वालों से आप के कहे मुताबिक रेट वसूलते रहे हैं. हम से रेट वसूलवाते हुए पता नहीं आप जैसे कितने बड़े साहब आए और आ कर चले गए, पर हम वहीं के वहीं रहे साहबजी.

हे सब से बड़े साहबजी, हमारे द्वारा वसूला गया रेट ऊपर तक जाता है, जैसा कि हमें बताया गया है. इस में हमें कोई एतराज भी नहीं कि हमारे द्वारा जनता से वसूला गया रेट कहां जाता है? जहां जाता हो, वहां जाता रहे. अपना काम तो बस, काम करवाने आयों से आप के द्वारा तय रेट वसूलने के बाद ही उसे दफ्तर में दाखिल होने की इजाजत देना है और इस काम को पिछले 15 सालों से हम पूरी ईमानदारी से निभाते भी आ रहे हैं.

हम ने बिन रेट लिए आप के दफ्तर में आज तक किसी को घुसने नहीं दिया, चाहे वह यमराज ही क्यों न हो. लेकिन हमारी इस ईमानदारी के बाद भी हम वहीं के वहीं बैठे हैं, पर उसी आप के दफ्तर के बाहर वाले स्टूल पर और हम से काम करवाने वाले पता नहीं कहां से कहां पहुंच गए.

कसम बीवीबच्चों की बड़े साहबजी, जो हम ने आज तक जनता से वसूले गए पैसों में से एक पैसा भी अपनी जेब में रखा हो. हम आप के दफ्तर के वे ईमानदार मुलाजिम हैं, जो छोटे बाबू की हथेली में 5 बजने के तुरंत बाद पूरी ईमानदारी से पाईपाई जमा करवाते रहे हैं. हम आप के दफ्तर के सींसियर बंदे हैं, इस का अंदाजा इसी बात से आसानी से लगाया जा सकता है बड़े साहबजी.

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