Funny Story: कर्ज ले कर घी पीना पुरानी कहावत है. आज के आदमी में तो घी पीने का स्टैमिना ही नहीं बचा. गंगाधर को तो उस समय हैरानी हुई, जब उसे पता चला कि दुनिया के अमीर देश अमेरिका के ऊपर तकरीबन 37 लाख करोड़ डौलर का कर्ज है, जो इस की जीडीपी का तकरीबन 122 फीसदी है. वहां की सरकार अब इस के बारे में चिंतित है कि कहीं अमेरिका, जो दुनिया के भविष्य के लिए तरहतरह से चिंतित रहता है, दिवालियापन के चलते इस का भविष्य ही अंधकार से न भर जाए.
भारतीय रुपए में यह तकरीबन 3,250 लाख करोड़ रुपए है. कहां भारत 5 ट्रिलियन डौलर की इकोनौमी बनने के सपने न जाने कब से देख रहा है, जबकि अमेरिका पर कर्ज ही इस के 6 गुना से ज्यादा है. भारत का कर्ज सितंबर, 2024 में 161 लाख करोड़ था यानी अमेरिका से 20 गुना कम, जो हमारी जीडीपी का भी महज 60 फीसदी के आसपास है.
ब्रिटेन और फ्रांस जैसे विकसित देशों का भी कर्ज उन की जीडीपी से ज्यादा है. अब समझ आ रहा है कि हम पिछडे़ के पिछडे़ क्यों बने हुए हैं. अगर कुछ साल पहले ही थोड़ा ज्यादा कर्ज ले कर घी पीने की आदत डाल ली होती, तो पिछडे़पन के शाप से कब का छुटकारा पा गए होते.
पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था ही कर्ज पर टिकी है. अब सुपर पावर का मतलब सुपर कर्ज से है और विकासशील मतलब कर्जशील से है. पहले आमदनी, फिर उस के बाद खपत के आधार पर गरीबी की रेखा तय की गई थी, लेकिन अब कर्ज की बुनियाद पर इसे तय करना चाहिए. जिस पर बहुत मामूली सा कर्ज है, वह गरीब. जिस पर बिलकुल भी कर्ज नहीं है, वह दीनहीन या बहुत ज्यादा गरीब और जिस पर ज्यादा कर्ज है, वह अमीर कहलाएगा. जिस पर बहुत ही ज्यादा कर्ज है वह अमीरेआजम.
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