Hindi Funny Story: प्यारेलालजी मेरे बड़े अच्छे दोस्त हैं. उन की एक नई जूते की दुकान का आज सुबह उद्घाटन है. पूरे शहर में ‘प्यारे बूट हाउस’ के एक दर्जन से ज्यादा शोरूम हैं. प्यारेलालजी ने जूतेचप्पलों में जो तरक्की की, वह शायद देश की नामी कंपनियों ने भी नहीं की होगी.
प्यारेलालजी के शोरूम में बड़ेबड़े कवि, मंत्री, विधायक, सांसद आने में गर्व महसूस करते हैं, लेकिन उन्होंने एक आम आदमी की पसंद का भी ध्यान रखा है, जैसे रबड़ की चप्पलें भी वहां मिल जाती हैं.
प्यारेलालजी किसी जमाने में बहुत अमीर नहीं थे, लेकिन अपने गरीब बापू की गरीबी पर मन ही मन दुखी
रहते थे.
आज तो नए शोरूम का उद्घाटन करने के लिए उन्होंने एक फिल्मी हीरोइन को बुलवाया था, जो आड़ीतिरछी हो कर हाथों में सैंडल लिए खड़ी थी. उस को देखने के लिए हजारों लोग जमा हो गए थे. उस ने जब हवा में चुंबन फेंके, तो हजारों ने धड़ाधड़ हवाई चप्पलें खरीद लीं.
मैं भी वहां मौजूद था, लेकिन मु झ पर उस ने एक नजर भी नहीं डाली और हम दिल में अपने आ रहे बुढ़ापे को कोसते रहे.
पूरे कार्यक्रम को होतेसमेटते हुए दोपहर बीत गई. हम प्यारेलालजी के साथ बैठे थे. वे कुछ ठंडागरम कहने गए, तो हम प्यारेलालजी की पुरानी यादों में खो गए.
अपने बापू की गरीबी से प्यारेलालजी बड़े दुखी थे. बापू मजदूरी करते थे. पैरों में कांटे गड़ते, धूप लगती, पत्थर चुभते, लेकिन कभी उफ नहीं की थी.
प्यारेलालजी के बापू का एक ही मकसद था कि उन का प्यारे पढ़ जाए, बढ़ जाए, जबकि प्यारेलाल की एक ही इच्छा थी, ‘पढ़लिख कर क्यों जिंदगी बरबाद करूं? ऐसा धंधा शुरू करूं, जिस से जिंदगी मजे से कटे.’
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