प्यार को कैमिकल रिएक्शन मानने वाली कुहू को 15 साल बाद पता चला कि औरतों के दिल में 3 कोने होते हैं, जिन में से एक में उस का अपना घर, दूसरे में मायका सिमटा होता है. जबकि तीसरे में ऐसी यादें छिपी होती हैं, जिन्हें वह फुरसत के क्षणों में निकाल कर धोपोंछ कर रख देती है. आरव की यादें…
3बार घंटी बजाने पर भी दरवाजा नहीं खुला तो मोनिका चौंकी, ‘क्या बात है जो कुहू दरवाजा नहीं खोल रही. उसी ने तो फोन कर के कहा था. आज मैं फ्री हूं, उमंग कंपनी टूर पर गया है. कुछ देर बैठ कर गप्प मारेंगे, साथ में लंच करेंगे. बस तू आ जा.’
मोनिका ने एक लंबी सांस ली, कितनी बातें करती थी कुहू. मैं यहां असम में पति के औफिस में काम करने वाले सहकर्मियों की पत्नियों के अलावा किसी और को नहीं जानती थी और कुहू को देखो, उस के जानने वालों की कोई कमी नहीं थी. अपनी बातें कहने के लिए उस के पास दोस्त ही दोस्त थे.
मोनिका और कुहू ने बनारस में एक हौस्टल, एक कमरे में 3 साल साथ बिताए थे. इसलिए एकदूसरे पर पूरा विश्वास था. जो 3 साल एक कमरे में एक साथ रहेगा, वह बेस्ट फ्रैंड ही होगा. मोनिका और कुहू भी बेस्ट फ्रैंड थीं. शादी के बाद भी दोनों फोन और ईमेल से बराबर जुड़ी रहीं. बाद में जब मोनिका के पति की नियुक्ति भी असम के उसी नगर में हो गई, जहां कुहू उमंग के साथ रह रही थी. तो…
मोनिका इतना ही सोच पाई थी कि उस के विचारों पर विराम लगाते हुए कुहू ने दरवाजा खोला तो उस के चेहरे पर मुसकान खिली हुई थी. कुहू ने मोनिका का हाथ पकड़ कर खींचते हुए कहा, ‘‘अरे कब आई तुम, लगता है कई बार बेल बजाना पड़ा. मैं बैडरूम में थी, इसलिए सुनाई नहीं दिया.’’
उस के चेहरे पर भले ही मुसकान खिली थी, पर उस की आवाज से मोनिका को समझते देर नहीं लगी कि वह खूब रोई थी. उस के चेहरे पर उदासी के भाव साफ दिख रहे थे. मोनिका ने मुसकराते हुए कहा, ‘‘एक बात तो उमंग बिलकुल सच कहता है कि रोने के बाद तुम्हारी आंखें बहुत खूबसूरत हो जाती हैं.’’
बातें करते हुए दोनों ड्राइंगरूम में जा कर बैठ गईं. मोनिका के चेहरे पर कुहू से मिलने की खुशी और उसे देख कर अंदर उठ रहे सवालों के जवाब की चाह नजर आ रही थी.
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बातों के दौरान कुहू के चेहरे पर हल्की मुसकान के साथ उस की आंखों के कोर भीगे दिखाई दिए. उस ने बात को बदलते हुए कहा, ‘‘चलो मोनिका खाना खाते हैं.’’
खाने के लिए कह कर कुहू उठने लगी तो मोनिका ने उस का हाथ पकड़ कर बैठाते हुए कहा, ‘‘क्या बात है कुहू?’’
‘‘अरे कुछ नहीं यार, आज मैं ने एक वायरस को निपटा दिया है, जो मेरी जिंदगी की विंडो को खा रहा था.’’ कुहू ने बात तो मजबूरी के साथ शुरू की थी, पर पूरी करतेकरते उस का गला भर आया था.
मोनिका ने धीरे से पूछा, ‘‘कहीं तुम आरव की बात तो नहीं कर रही हो?’’
उस ने धीरे से स्वीकृति में सिर हिलाते हुए कहा, ‘‘हां.’’
आरव उस का कौन था या वह आरव की कौन थी. दोनों में से यह कोई नहीं जानता था. फिर भी दोनों एकदूसरे से सालों से जुड़े थे. और कुहू, उस की तो बात ही निराली थी. वह बहुत ज्यादा सुंदर तो नहीं थी, पर उस की कालीकाली बड़ीबड़ी आंखों में एक अनोखा आकर्षण था. कोई भी उसे एक बार देख लेता, वह उसी में खो जाता.
होंठों पर हमेशा मधुर मुसकान, कभी किसी से कोई लड़ाईगझगड़ा नहीं, वह एक अच्छी मददगार थी. उस के मन में दूसरों के लिए दया का विशाल सागर था.
वह कभी दूसरों के लिए गलत नहीं सोच सकती थी. वह चंचल और हमेशा खुश रहने वालों में थी, किसी को सताने के बारे में सोच भी नहीं सकती थी. वह हमेशा हंसती और दूसरों को हंसाती रहती थी.
और इसी तरह एक दिन उस का रौंग नंबर लग गया. दूसरी ओर से ऐसी आवाज आई, जो किसी के भी दिल को भा जाए. उस मनमोहक आवाज में मंत्रमुग्ध हो कर कुहू इस तरह बातें करने लगी जैसे वह उसे अच्छी तरह जानती हो. थोड़ी देर बातें करने के बाद उस ने खुश हो कर फोन डिसकनेक्ट करते हुए कहा, ‘‘तुम से बात कर के बहुत अच्छा लगा आरव, तुम से फिर बातें करूंगी.’’
फोन रख कर कुहू पलटी और मोनिका के गले में बांहें डाल कर कहने लगी, ‘‘आज तो बातें करने में मजा आ गया. आज पहली बार किसी ऐसे लड़के से बात की है, जिस से फिर बात करने का मन हो रहा है.’’
‘‘तुझे क्या पता, वह लड़का ही है, देखा है उसे?’’ मोनिका ने टोका.
‘‘उस ने बताया कि एलएलबी कर रहा है तो लड़का ही होगा न?’’
‘‘बस, छोड़ो मुझे जाने दो, मुझे पढ़ना है. मैं तुम्हारी तरह होशियार तो हूं नहीं.’’ मोनिका ने कहा और कमरे में आ गई.
उस के पीछेपीछे कुहू भी आ गई. वह इस तरह खुश थी मानो उस ने प्रशासनिक नौकरी की प्रीलिम पास कर ली हो. कुहू बहुत ज्यादा नहीं पढ़ती थी फिर भी उस के नंबर बहुत अच्छे आते थे. जबकि मोनिका खूब मेहनत करती थी, तब जा कर उस के अच्छे नंबर आ पाते थे.
उस दिन के बाद उस ने आरव से बातचीत शुरू कर दी थी. दिन में कभी एक बार तो कभी 2 बार उस से बात जरूर करती थी. उस दिन कुहू बहुत खुश थी, क्योंकि आरव उस से मिलने हौस्टल आ रहा था. खुश तो थी, पर मन ही मन घबरा भी रही थी.
क्योंकि इस के पहले वह किसी लड़के से इस तरह नहीं मिली थी और न आमनेसामने बात की थी. पर अब तो आरव को आना ही था. उस दिन वह काफी बेचैन दिखाई दे रही थी. 11 बजे के आसपास हौस्टल के गेट पर बैठने वाली सरला देवी ने आवाज लगाई, ‘‘कुहू नेगी, आप से कोई मिलने आया है.’’
मोनिका भी कुहू के पीछेपीछे दौड़ी कि देखूं तो कुहू का बौयफ्रैंड कैसा है. क्योंकि वह अकसर मुंह टेढ़ा कर के उस के बारे में बताया करती थी.
आरव भी घबराया हुआ था. गोरा रंग, भूरी आंखें और तपे सोने जैसी आभा वाले बाल, वह काफी सुंदर नौजवान था. दोनों हौस्टल के पार्क में एकदूसरे के सामने बैठे थे. मोनिका ने देखा तो आरव शायद सोच रहा था कि वह क्या बात करे.
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वैसे कुहू के बताए अनुसार वह कम बातूनी नहीं था, पर किसी लड़की से शायद उस की यह पहली मुलाकात थी, वह भी गर्ल्स हौस्टल में. शायद वह रिस्क ले कर वहां आया था.
बात करने के लिए कुहू भी उत्सुक थी. उस से रहा नहीं गया तो उस ने आरव के हाथ में एक काला निशान देख कर उस के बारे में पूछा, ‘‘यह क्या है? स्कूटर की ग्रीस लग गई है या जल गया है? क्या हुआ यहां?’’
एक साथ कुहू ने कई सवाल कर डाले.
आरव मुसकराया, अब उसे भी कुछ कहने यानी बातचीत करने का बहाना मिल गया था. उस ने कहा, ‘‘यह मेरा बर्थ मार्क है.’’
थोड़ी देर दोनों ने यहांवहां की बातें कीं, इधरउधर की बातें कर के आरव चला गया. वह गीतसंगीत का बहुत शौकीन था. जबकि कुहू को गीतसंगीत पसंद नहीं था. उसे सोना अच्छा लगता था. एक दिन वह सो रही थी, तभी सरला देवी ने आवाज लगाई, ‘‘कुहू नेगी का फोन आया है.’’
थोड़ी देर बाद कुहू बातचीत कर के लौटी, तो जोरजोर से हंसने लगी. मोनिका उस का मुंह ताक रही थी. हंस लेने के बाद कुहू ने कहा, ‘‘यार मोनिका, आज तो आरव ने गाना गाया. उस की आवाज बहुत अच्छी है.’’
‘‘कौन सा गाना गाया?’’ मोनिका ने पूछा.
तो कुहू ने कहा, ‘‘बड़े अच्छे लगते हैं, ये धरती, ये नदियां, ये रैना और तुम.’’
थोड़ा रुक कर आगे बोली, ‘‘यही नहीं, वह सिनेमा देखने को भी कह रहा था. मैं मना नहीं कर पाई यार वह कितना भोला है, थोड़ा बुद्धू भी है. यार मोनिका, तुम भी साथ चलना. मैं उस के साथ अकेली नहीं जाऊंगी, ठीक नहीं लगता.’’
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कुहू एकदम से चल पड़ी तो उसे चुप कराने के लिए मोनिका ने कहा, ‘‘ठीक है बाबा, चलूंगी बस…’’