Hindi Story: उस रात मेरी सांसें तेज रहीं. बेचैनियां साथ रहीं और मैं करवटें बदलती रही. सुबह उठते ही कालेज जा कर तुम्हें बताती हूं, यह सोच कर सोने की कोशिश करती रही और अगले दिन…
आज तुम ने मुझे वहां मिलने बुलाया था जहां हम रोज 2 सालों से मिला करते थे. मैं ने हमेशा पूछा था तुम से कि हमारा रिश्ता क्या है. पर तुम हमेशा मौन रहे. पता नहीं तुम्हें चुप रहना इतना क्यों भाता था. कभी शब्दों में सजासंवार कर तुम ने मुझे से नहीं कहा कि तुम्हें मुझसे प्यार है. पर तुम्हारी आंखों ने, तुम्हारे हावभाव ने सारे राज खोले हैं.
आज जब तुम मेरे समक्ष यों शांत खड़े हो, तो दिल बैठा सा जा रहा है. तुम फिर मौन हो. होंठ जैसे जम से गए हैं. तुम्हारी नजरें जमीन में गड़ सी गई हैं. ये सब बातें प्रमाण हैं इस बात की कि यह मुलाकात हर मुलाकात से कुछ अलग है.
दिल कह रहा है, कुछ घटने वाला है जो मुझे बिखेर देगा. मन शंकाओं से भरा और नजरें एकटक तुम्हें देख रही हैं.
तभी मैं ने अपनी सारी शक्ति एकत्रित कर अपने हाथों को उठाया है. मैं ही जानती हूं, मेरे हाथों को तुम्हारे कंधे तक पहुंचने में कितना संघर्ष करना पड़ा है. जैसे ही तुम ने मेरा स्पर्श पाया, तुम चौंके हो और तुम्हारी कमल जैसी आंखों में बूंदें यों तिलमिला रही थीं जैसे कमल के फूलों पर पानी की बूंदें, परंतु यह वैसा सुखद एहसास नहीं था.
मैं ने अपने मन की बेचैनियों को लगाम देते हुए अपने थरथराते होंठों के साथ पूछा था तुम से, ‘क्या हुआ प्रिय अभी, कहो, मेरी जान जा रही है.’ और तुम ने कुछ नहीं कहा था. तुम से जीवन में पहली बार चिढ़ कर कहा था मैं ने, ‘अब क्या जान लोगे मेरी?’
मेरा यह कहना और तुम्हारी उंगलियों का मेरे होंठों पर आ कर ठहरना शांत कर गया था मुझे पर क्या सच में सुकून इतनी आसानी से हासिल होने वाली शय है. यह तो बेहद कीमती है.
मैं तुम्हें संभाल लेना चाहती थी और तुम्हारी सारी परेशानी ले लेना चाहती थी. इसलिए तुम्हारी हथेलियों को अपने दोनों हथेलियों के बीच यों कस कर पकड़ लिया था मैं ने जैसे कोई बहुमूल्य वस्तु को अपनी मुट्ठी में बंद कर लेता हो, जो उसे जान से भी ज्यादा प्यारी हो. और तुम्हारी आंखों में आंखें डाल कर पूछा था मैं ने, ‘क्या हुआ अभी?’ तुम झट से मुझसे लिपट गए थे. वह पहली बार था.
जब हम दोनों यों मिले थे, उस क्षण ऐसा लगा था, मानो जैसे मैं ने सारे संसार की खुशियां एक क्षण में हासिल कर ली थीं. उस पल तुम्हारे स्पर्श के पश्चात मैं ने यह सोचा, तुम परेशान हो और कुछ जानना मेरे लिए मान्य नहीं था. तुम्हारा आलिंगन बहुमूल्य था.
जब तुम मुझ से अलग हुए, तब तुम शांत थे. तुम्हारे चेहरे पर एक अलग सा तेज था. खूबसूरत तो तुम यों भी थे और मैं ने पूछ ही लिया था तुम से, ‘कोई बात है क्या? आज कुछ कहना हो तो कह दो.’ पर तुम, बस, मुझे निस्तब्ध देखते रहे और मैं जैसे तुम्हारी गहरी सी आंखों में डूब सी गई.
रात होने वाली थी, सो, तुम उठे और मुझ से विदा ली. मैं ने तुम से कहा, ‘कल मिलते हैं. कालेज में इस बार परीक्षा में रैंक वन मैं ही लाऊंगी. हर बार तुम नहीं आ सकते.’ इस बात पर भी नहीं मुसकराए थे तुम. मैं हैरान थी, क्योंकि तुम्हें कभी कोई हरा नहीं पाया. तुम हमेशा हर चीज में अव्वल थे. और हमेशा मेरी इस बात पर मुसकरा देते थे. पर आज, न जाने क्या बात थी, मौन का पहरा था तुम पर.
किसी बात का कोई प्रभाव नहीं हो रहा था. तुम मुड़े कुछ दूर गए. और मैं रोज की तरह तुम्हें देखती रही. कुछ दूर चलने के बाद तुम ने मेरी तरफ पलट कर देखा और दौड़ कर मेरे गले लग गए. जैसे, यह हमारी आखिरी मुलाकात हो. सिहर गई थी मैं.
हाथपैर ठंडे हो गए थे मेरे और धड़कनें बढ़ सी गई थीं. ‘बस, अब और नहीं’, चीख कर कहा था मैं ने, ‘क्या हुआ है, कुछ तो कहो?’ और मुझ से अलग होते हुए तुम ने एक नजर मुझे देखा और तेजी से चले गए थे.
उस रात मेरी सांसें तेज रहीं. बेचैनियां साथ रहीं और मैं करवटें बदलती रही. सुबह उठते ही कालेज जा कर तुम्हें बताती हूं. नहीं, बात नहीं करूंगी. देखती हूं, कैसे नहीं बोलते. मन ही मन कितने खयाल आ रहे थे कि तुम से यों रूठ जाऊंगी और फिर मैं स्कूल भी पहुंची.
वहां भी अजीब सी शांति थी. सब मुझे अजीब सी नजरों से देख रहे थे. पर मेरी नजरें सिर्फ ‘अभी’ को ढूंढ़ रही थीं. तभी अपनी सहेली सूची से मैं ने पूछा, ‘अभी आ गया क्या?’
उस ने आश्चर्य से मेरी ओर देखते हुए पूछा था, ‘तुझे नहीं पता. आज सुबह कालेज आते वक्त रोड क्रौस करते समय उसे किसी गाड़ी ने कुचल दिया और वहीं उस ने दम तोड़ दिया.
बस, उस के बाद सबकुछ शांत हो गया था और मैं वहीं खड़ीखड़ी जमीन पर गिर पड़ी, कितना कुछ पूछना था अभी से. कितने सवाल के जवाब अनकहे छूट गए.
आगे कोई शब्द नहीं थे मेरे पास. उस का स्पर्श, उस की खुशबू अभी मुझ में थी. मैं स्वयं को ही अपने दोनों हाथों से जकड़ कर फूट कर रो पड़ी. क्या तुम जा चुके हो अभी. हमारी कल की वह मुलाकात आखिरी मुलाकात क्यों बन गई. अभी लौट आओ, प्लीज लौट आओ…