Long Hindi Story, लेखक - हरे राम मिश्र

पिछले अंक में आप ने पढ़ा था : विधवा दुलारी की बेटी रुपाली घर से क्या गई, वापस नहीं लौटी. दुलारी नेता मनोहर लाल के दरवाजे गुहार लगाने पहुंची. उन्होंने भरोसा दिलाया और कहा कि थाने में रिपोर्ट लिखवा दो. वहां मुंशी ने खर्चापानी मांगा और दुलारी की चांदी की अंगूठी रख ली. इस के बाद दुलारी ऐयाश किस्म के सरपंच से मिलने गई. अब पढि़ए आगे...

हालांकि, सरपंच से दुलारी की मुलाकात नहीं हुई और वह फिर से घर लौट आई. काफी शाम हो चुकी थी. उस ने पतीले में थोड़ा चावल डाला और नमकप्याज के साथ पका कर किसी तरह उसे हलक से नीचे उतारा. दालसब्जी कुछ नहीं थी.

दुलारी की रात किसी तरह कटी. पूरी रात वह जागती रही. लेकिन, बिटिया का अभी कोई सुराग नहीं मिला था.

दूसरे दिन अलसुबह ही दुलारी फिर से मनोहर लाल के घर पहुंच गई थी. इस बार वह अपने साथ गांव के एक लड़के को ले कर गई थी. हालांकि, बदनामी के डर से उस ने रास्ते में बिटिया के गायब होने के बारे में कोई चर्चा नहीं की, लेकिन गांव में यह बात रायते की तरह फैल चुकी थी, क्योंकि थाने से सरपंच को फोन पर मामले की जानकारी दी गई थी, ताकि लापता रूपा को खोजने में मदद मिल सके.

मनोहर लाल के यहां दुलारी की जाति के ही एक और आदमी, जो बगल के गांव का छुटभैया नेता था, से उस की मुलाकात हुई. वह मनोहर लाल से अपने गांव के वोट उन के लिए फिक्स करवाने के एवज में सौदा करने आया था और मछली बाजार के ग्राहक की तरह उन से ‘मोलतोल’ कर रहा था.

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