अफरोज के जाने के बाद परवेज की जिंदगी थम सी गई थी. बच्चे अकेले से हो गए थे. अपनों ने जो रंग दिखाया था, उस ने परवेज को झकझोर कर रख दिया था. बच्चों की आंखों में मां की तड़प, उन की बेबसी, उन की मासूमियत भरी आवाज और अपनों से मिले दर्द से वे सहम गए थे.

चाची का बच्चों की औकात से ज्यादा काम करवाना, उन के बच्चों का मारना, तंग करना, खाना न देना, उन को बारबार ‘तुम्हारी तो मां भी नहीं है’ कह कर मजाक उड़ाना, कहीं बाहर जाओ तो बच्चों का दिनभर चड्डी में ही टौयलैट किए हुए ही भूखेप्यासे रहना... बच्चों की ऐसी बुरी दशा और बेबसी देख कर परवेज पूरी तरह टूट चुका था.

कोरोना की दूसरी लहर ने देशभर में मौत का जो नंगा नाच नचाया था, उस से कोई शहर ही नहीं, बल्कि गांवमहल्ला और शायद कोई खानदान ऐसा बचा हो, जो इस की चपेट में न आया हो.

अफरोज के जाने के बाद परवेज अकेला अपने मासूम बच्चों के साथ गांव में रहता था. उस की बड़ी बेटी 8 साल की, उस से छोटी बेटी 5 साल की और उस से छोटा बेटा डेढ़ साल का था.

जो लोग कल तक परवेज की इज्जत करते थे, उस के बच्चों की देखभाल भी करते थे, आज अफरोज के जाने के बाद वे उन से आंखें चुराने लगे थे. लौकडाउन की वजह से परवेज का कामधंधा चौपट हो गया था. कहीं से कोई आमदनी का जरीया न था, ऊपर से इन बच्चों को छोड़ कर वह कहीं जा भी नहीं सकता था.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD48USD10
 
सब्सक्राइब करें

सरस सलिल सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं

  • सरस सलिल मैगजीन का सारा कंटेंट
  • 1000 से ज्यादा सेक्सुअल हेल्थ टिप्स
  • 5000 से ज्यादा अतरंगी कहानियां
  • चटपटी फिल्मी और भोजपुरी गॉसिप
  • 24 प्रिंट मैगजीन

डिजिटल

(1 महीना)
USD4USD2
 
सब्सक्राइब करें

सरस सलिल सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं

  • सरस सलिल मैगजीन का सारा कंटेंट
  • 1000 से ज्यादा सेक्सुअल हेल्थ टिप्स
  • 5000 से ज्यादा अतरंगी कहानियां
  • चटपटी फिल्मी और भोजपुरी गॉसिप
 
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...