एक रोज राघव थाने में बैठे मोबाइल पर यों ही दोस्तों की पोस्ट्स देख रहे थे कि तभी उन की साली का फोन आया.
‘‘जीजू, मैं ने जिस लड़के के बारे में बताया था आप को, उस के साथ मेरी वीडियो सैल्फी देखी आप ने? आज ही अपलोड की मैं ने.’’
राघव झल्लाए, लेकिन उस से जान छुड़ाने के लिए उस का प्रोफाइल पेज खोला. जैसे ही उन्होंने उस की सैल्फी देखी, उस की बैकग्राउंड पर नजर जाते ही मानो वे उछल पड़े.
यहां मुकुल के घर नए रिश्ते वाले आए थे. लड़की का पिता बोल रहा था.
‘‘चलिए, जो हुआ सो हुआ आप के साथ. अब एक नई जिंदगी शुरू कीजिए.’’
तभी एक मजबूत आवाज गूंजी "जिंदगी भी क्याक्या दिखा देती है भाईसाहब," सब ने आवाज की दिशा में देखा. इंस्पैक्टर राघव मुसकराते हुए खडे़ थे. अचानक उन्हें यहां पा कर सभी चौंक उठे. मुकुल ने पूछा.
‘‘विमल ने अपना जुर्म कबूल लिया क्या सर?’’
‘‘उसी सिलसिले में बात करने आया हूं,’’ राघव ने मुसकराते हुए कहा. मुकुल के पिता ने एक प्लेट उन की ओर बढ़ाई, ‘‘जी जरूर, लीजिए मुंह मीठा कीजिए आप भी.’’
‘‘धन्यवाद,’’ राघव ने विनम्रता से मना कर दिया और बोले.
‘‘देखिए मुकुलजी, मैं ने बहुत कोशिश की लेकिन विमल ने अपना जुर्म कबूल नहीं किया.’’
‘‘तो अब क्या होगा?’’ मुकुल के चेहरे पर दुविधा के भाव साफ दिखने लगे. राघव आगे बोले, ‘‘होगा वही जो होना है. मैं ने अभीअभी अपनी साली की भेजी हुई एक वीडियो सैल्फी देखी, संयोगवश ये उसी दिन की है, जिस दिन नव्या का खून हुआ था.’’
‘‘तो? उस से इस केस का क्या लेना?’’ इस बार मुकुल की मां बोल पड़ी.
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