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Writer- डा. भारत खुशालानी

बेशक, इस का नतीजा यह हो सकता था कि विमान को समतल बनाने के बजाय आकृति अपने विमान को तेजी से आपदा की ओर धकेल रही हो. अगर विमान को तेजी से नीचे ले जाते समय वह वापस विमान का नियंत्रण हासिल नहीं कर पाई तो विमान कुंडलीदार चक्करों की चपेट में आ जाएगा. ऐसे गोल घूमने की स्थिति से उत्पन्न गुरुत्त्वाकर्षण बल इतना तीव्र हो जाएगा कि जमीन पर पहुंचने से पहले ही विमान टूट कर बिखर जाएगा.

आकृति के लिए यह अनिर्णय का एक नारकीय क्षण था. घबराहट में पसीने से उस की आंखें तरबतर थीं. उस के हाथ डर के मारे कांप रहे थे. अपनी कनपटियों पर दस्तखत देती हुई खून की नब्ज अब उसे साधारण महसूस नहीं हो रही थी.

नब्ज की धड़कन को महसूस करने के लिए अब उसे कनपटियों पर उंगलियां फिराने की जरूरत नहीं थी. उसे ऐसा लग रहा था, जैसे खून की यह नाड़ी कनपटियों के बाहर आ गई हो. जैसेजैसे उस की बेचैनी बढ़ रही थी, वैसेवैसे नाड़ी की धड़कन बढ़ रही थी. उस के दिल की धड़कन तो बढ़ ही गई थी, लेकिन अधिक दबाव के कारण कनपटियों की नाड़ी सिर में दर्द पैदा कर रही थी. आमतौर पर सौ से नीचे रहने वाली यह धड़कन अब शायद डेढ़ सौ तक पहुंच गई थी.

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ऐसा लग रहा था कि कानों के पास का हिस्सा फट जाएगा. उस ने थोड़ा सोचने की कोशिश की, लेकिन सोचने का समय नहीं था. स्टौल की स्थिति गंभीर हो कर और खराब हो रही थी.

अचानक आकृति को एहसास हुआ कि यदि इस क्षण वह किसी नतीजे पर पहुंच कर ठोस कदम नहीं उठाएगी, तो विमान आकाश से नीचे गिर जाएगा.

उस क्षण में आकृति ने अपना मन बना लिया. उस ने फैसला कर लिया कि विमान को बचाने के लिए वह उसे नीचे की ओर ले जाएगी. उस ने कार के स्टीयरिंग व्हील जैसे दिखने वाले जोत को सामने की ओर धकेला, जिस से विमान के सामने का नाक वाला हिस्सा नीचे की ओर  झुक गया और विमान के पीछे का हिस्सा ऊपर उठ गया. इस से विमान अपनी नाक की सीध में नीचे की ओर जाने लगा.

आकृति ने मन ही मन कहा कि विमान की रफ्तार तेज हो जाए. तुरंत ही, विमान की रफ्तार तेज हो गई. लेकिन अब समस्या यह खड़ी हो गई कि विमानतल के रनवे की तरफ जाने के बदले विमान शहर के इलाके में जा रहा था.

ऊंचाईसूचक यंत्र बता रहा था कि विमान की ऊंचाई तेजी से शून्य की ओर बढ़ रही है. मतलब, विमान तेजी से जमीन की ओर आ रहा था.

जैसेजैसे इस यंत्र की सूई शून्य की तरफ  झुक रही थी, वैसेवैसे शहर के इलाके में घुस कर विमान के तबाही मचा देने के आसार बढ़ रहे थे. लेकिन विमान के अतिरिक्त वेग का एक फायदा यह हुआ कि आकृति को विमान को समतल बनाने में अचानक ही आसानी हो गई.

जिस समय इंजन में आग लगी थी, उस समय से ले कर अब तक, पहली बार आकृति को प्रतीत हुआ कि विमान को नियंत्रण में ला कर उसे स्थिर रास्ते पर लाया जा सकता है.

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वैसे तो विमान अभी भी किसी भारी पत्थर की तरह ही नीचे गिर रहा था, लेकिन आकृति उस को एक सीधी रेखा में रख काबू में रखने की कोशिश कर पा रही थी. उस ने तब तक इंतजार किया, जब तक विमान 2 हजार फुट नीचे न आ गया हो.  उस के बाद उस ने जोत को पीछे की ओर खींचा.

जोत को पीछे की ओर खींचने से विमान की नाक नीचे की ओर से ऊपर आ कर सीधी हो गई और विमान आकाश में समतल हो गया.

इस के बाद आकृति ने थ्रौटल को आगे धकेला, जिस से विमान की गति बढ़ी. विमान की उड़ान में अभी भी ऊबड़खाबड़ मची हुई थी, लेकिन एक इंजन पर विमान को उस दिशा में घुमा पाना संभव हो गया जिस दिशा से वह भटक गया था. विमान की उतराई का मार्ग अब निशाने पर था.

आकृति ने अवतरण गियर को नीचे किया, जिस से वायुयान के पहिए अपनी सामान्य गति से विमान के बाहर आ गए. अपने सामने के वायुरोधक शीशे से उसे हवाईअड्डे का रनवे नजर आ रहा था.

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