Writer- ब्रजेंद्र सिंह
निर्मल को पता था कि अगर वह हिम्मत कर के अपने पिता के सामने सुमन से शादी की बात छेड़ता तो उस के पिता का बदला हुआ स्वरूप क्या होगा. वे कभी नहीं मानते कि वे जाति के आधार पर रिश्ता ठुकरा रहे हैं. पर वह अपने मन की बात छिपा कर कुछ ऐसे बोलते, ‘निर्मल बेटे, मु?ो इस शादी से कोई एतराज नहीं है. आखिरकार लड़की तुम्हारी पसंद की है. उस में कई गुण होंगे. पर यह सोचो कि लोग क्या कहेंगे. सुधीर पांडे, करोड़ों का मालिक, शहर का सब से बड़ा उद्योगपति, वह अपने एकमात्र बेटे की शादी एक छोटे से दुकानदार की बेटी से करवा रहा है. जरूर दाल में कुछ काला है. लड़के ने लड़की के साथ कुछ गड़बड़ की होगी और इसी कारण मजबूरन यह शादी करनी पड़ रही है. निर्मल बेटे, तुम लोगों के मुख को बंद नहीं कर सकोगे. इस तरह की दर्जनों अफवाहें फैलेंगी. तुम्हारी इज्जत मिट्टी में मिल जाएगी, साथसाथ मेरे भी नाम और इज्जत के चिथड़े हो जाएंगे.’
सोचतेसोचते निर्मल को एक नया खयाल आया. ‘जरा धीरेधीरे चल मिस्टर’ उस के दिमाग ने उसे टोका. ‘तुम इतने आगे कैसे निकल गए? तुम्हें पक्का यकीन है कि सुमन तुम से शादी करना चाहेगी? तुम ने अभी तक उस से पूछा तक नहीं है और तुम चले हो उस के बारे में अपने पिता से बात करने. अगर तुम अपने पिता को किसी तरह मनवा ही लो और फिर सुमन तुम से शादी करने के लिए इनकार करे तो फिर तुम कहां के रहोगे?’ मन ही मन में निर्मल ने निर्णय लिया कि जब वह अगली बार सुमन से मिलेगा तो उस के सामने शादी का प्रस्ताव अवश्य रखेगा.
दो दिनों बाद निर्मल और सुमन फिर मिले. निर्मल डर रहा था कि कहीं सुमन बुरा मान कर उसे डांट न दे. डर के मारे वह हकलाने लगा.
‘‘क्या बात है निर्मल?’’ सुमन ने पूछा. ‘‘तुम ऐसे तो पहले कभी नहीं बात करते थे. लगता है तुम कुछ सोच रहे हो और बोल कुछ और रहे हो. सचसच बताओ तुम कहना क्या चाहते हो.’’
निर्मल ने अपनी पूरी हिम्मत इकट्ठी की और बोल ही दिया ‘‘सुमन मैं तुम से प्यार करता हूं और शादी करना चाहता हूं.’’
सुमन चौंकी पर थोड़ी देर चुप रही. वह कुछ सोच रही थी.
निर्मल को चिंता होने लगी. तब सुमन ने जवाब दिया. ‘‘मैं तुम्हारी पत्नी बनने से इनकार नहीं करूंगी. मु?ो इस रिश्ते से कोई आपत्ति नहीं है. मैं तुम्हें काफी अच्छी तरह जानती हूं और तुम मु?ो भले आदमी लगते हो. पर तुम तो जानते हो कि मैं एक हिंदुस्तानी लड़की हूं. मेरे खयालात इतने आधुनिक नहीं हैं कि मैं अपनी मनमरजी से शादी के लिए हां कर दूं. मु?ो अपने मातापिता से बात कर के उन की आज्ञा लेनी होगी.’’
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‘‘मैं तुम्हारी बात सम?ाता हूं,’’ निर्मल ने कहा. दोनों के बीच कुछ देर और बात हुई और यह तय हो गया कि दोनों अपनेअपने मातापिता से बात करने के बाद ही मामला आगे बढ़ाएंगे.
निर्मल को यह पता नहीं था कि सुमन को अपने मातापिता को मनाने में कितनी दिक्कत होगी, पर उस को पक्का यकीन था कि उस के अपने सामने जो समस्या थी, उसे सुल?ाना तकरीबन असंभव था.
निर्मल को एक पूरा दिन लगा एक संभव योजना बनाने में, जिस से शायद सुमन से शादी का रास्ता खुल जाए.
उस दिन शाम को जब वह अपने मातापिता के साथ खाना खाने बैठा तो बातोंबातों में उस ने आकस्मिक स्वर में कहा, ‘‘हमारे यहां एक बहुत सुंदर रूसी लड़की है. उस का नाम मारिया है और वह तैराकी की कोच है. वैसे तो उस की उम्र 35 साल है पर देखने में 20-22 साल की लगती है. मैं उसे बहुत पसंद करता हूं और हम दोनों एकदूसरे से लंबीलंबी बात करते रहते हैं.’’
निर्मल ने देखा कि उस के पिता और उस की माता एकदूसरे से नजर मिला रहे थे. उस ने आगे कुछ और नहीं कहा और अपने खाना खाने में व्यस्त हो गया. उस के मातापिता भी चुप ही रहे. अगले दिन प्रशिक्षण के दौरान निर्मल सुमन से मिला.
‘‘मैं तुम्हारे लिए अच्छी खबर लाई हूं,’’ सुमन ने उस से कहा. ‘‘मैं ने अपने मातापिता से तुम्हारे बारे में बातचीत की. शुरूशुरू में तो वे कुछ हैरान थे और शायद नाखुश भी कि मैं ने अपना वर स्वयं चुन लिया था. काफी बहस के बाद मैं ने उन को यकीन दिला दिया कि मामला कुछ गड़बड़ी का नहीं है और उन को तुम्हारे मातापिता से मिलने को राजी किया. तुम कहां तक पहुंचे हो?’’
‘‘मैं कोशिश कर रहा हूं,’’ निर्मल ने जवाब दिया, ‘‘मु?ो थोड़ा और समय चाहिए. पर तुम चिंता मत करो, मु?ो पक्का विश्वास है कि मेरे मातापिता तुम्हें बहू के रूप में स्वीकार कर लेंगे.’’
उस दिन शाम को निर्मल ने अपनी योजना के अनुसार अगला कदम उठाया. खाना खाते हुए उस ने कहा, ‘‘आज उस रूसी लड़की मारिया और मेरी काफी लंबीचौड़ी और गहराई में बातचीत हुई. हम अपने भविष्य के बारे में काफी देर तक विवेचन करते रहे. पिताजी, मैं उसे जल्दी ही यहां बुलाना चाहता हूं ताकि वह आप लोगों से मिले.’’
‘‘निर्मल,’’ उस के पिता ने गुस्से भरी आवाज में उसे टोका. ‘‘मैं आशा करता हूं कि तुम इस लड़की से शादी करने की नहीं सोच रहे हो, क्योंकि अगर तुम्हारा ऐसा इरादा है तो मैं इसे कभी मंजूरी नहीं दूंगा. मेरे खानदान का लड़का एक विदेशी लड़की से शादी करे, वह भी जो शायद ईसाई धर्म की है और मेरे लड़के से अधिक उम्र की है. मैं किसी को मुंह दिखाने लायक नहीं रहूंगा. लोग मेरा हंसीमजाक उड़ाएंगे. मैं तुम्हें उस लड़की से फिर मिलने से मना करता हूं.’’
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निर्मल के दिल में खुशी हुई. उसे लग रहा था कि उस की योजना सफलता के रास्ते पर थी. पर उस ने मुख ऐसे बनाया जैसे वह कच्चा करेला खा रहा था. खाने को बीच में छोड़ कर वह खड़ा हो गया. ‘‘मैं और नहीं खाऊंगा,’’ कहते हुए वह अपने कमरे की ओर चला.
‘‘निर्मल बेटे…’’ उस की मां ने करुण स्वर में उसे रोकने की कोशिश की, पर निर्मल ने उन की ओर देखा तक नहीं.
‘‘जाने दो,’’ उस के पिता ने कहा. ‘‘अगर आज रात भूखा रहेगा तो शायद उस के दिमाग में कुछ अक्ल आएगी.’’